अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का आकलन करने के लिए कपड़ा निर्यातकों के साथ हो रहा नियमित परामर्श

अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का आकलन करने के लिए कपड़ा निर्यातकों के साथ हो रहा नियमित परामर्श

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केंद्र सरकार ने कहा है कि वह अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने के लिए देशभर के निर्यातकों, विशेष रूप से एमएसएमई सेक्टर, के साथ नियमित रूप से परामर्श कर रही है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमेरिकी टैरिफ उपायों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक और बहु-आयामी रणनीति पर काम किया जा रहा है।

कपड़ा राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार न केवल निर्यात से जुड़े तात्कालिक मुद्दों की निगरानी कर रही है, बल्कि दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने के लिए भी सक्रिय कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के लिए अमेरिकी प्रशासन के साथ गहन संवाद जारी है।

मंत्री के अनुसार, इस रणनीति के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा उपलब्ध कराए गए ट्रेड राहत उपाय, निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम, और अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों के माध्यम से घरेलू मांग को बढ़ाने जैसे कदम शामिल हैं। इसके साथ ही, निर्यातकों को सहयोग देने के लिए नई एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन लागू की गई है, जिससे उन्हें वित्तीय और नीतिगत सहायता मिल सके।

सरकार ने यह भी बताया कि नए देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) करने और मौजूदा एफटीए का बेहतर उपयोग करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा, एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम के तहत निर्यात दायित्व अवधि का विस्तार किया गया है।

राज्य मंत्री ने बताया कि एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक्स और तकनीकी वस्त्रों के लिए PLI योजना में संशोधन किया गया है, ताकि निवेश और प्रवेश से जुड़ी शर्तों को आसान बनाया जा सके। कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 31 दिसंबर 2025 तक कपास आयात पर सीमा शुल्क में छूट दी गई है।

इसके साथ ही सरकार RoSCTL (राज्य और केंद्रीय करों की वापसी) योजना के तहत परिधान और मेड-अप्स को राहत दे रही है, जबकि अन्य कपड़ा उत्पादों के लिए RoDTEP योजना लागू की जा रही है।

मंत्री ने बताया कि कपड़ा मंत्रालय निर्यातकों, निर्यात संवर्धन परिषदों (EPCs) और अन्य सभी हितधारकों, जिनमें एमएसएमई भी शामिल हैं, के साथ नियमित रूप से बैठकें कर रहा है ताकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और अन्य चुनौतियों का सही मूल्यांकन किया जा सके।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2025 के दौरान भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात (हस्तशिल्प को छोड़कर) 32,560.04 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.26 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्शाता है।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों में भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात पर लगातार नजर रखे हुए है और अमेरिकी टैरिफ का विभिन्न उप-क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन कर रही है।

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