क्या सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मानेगी डिजिटल संपत्ति ? रिजर्व बैंक सहित कई मंत्रालयों को भेजी गई सिफारिशें !      

क्या सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मानेगी डिजिटल संपत्ति ? रिजर्व बैंक सहित कई मंत्रालयों को भेजी गई सिफारिशें !      

नई दिल्ली। आने वाले समय में हर वो चीज जिसकी हमें जरूरत है वो पूरी तरह से डिजिटल हो जायेंगे। वक्त की नजाकत को देखते हुए अब देश में भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी को पेमेंट आदि में वैध बनाने की मांग होने लगी है। इसी संबंध में उद्योग संगठन IndiaTech.org ने 5 पॉइंट पॉलिसी बनाई है और सरकार से सिफारिश की है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट किया जाए. उद्योग संगठन IndiaTech.org ने अपने सिफारिश में कहा है की इसमें अपार संभावनाएं हैं और आने वाले समय इसकी जरूरत होगी। इसलिए क्रिप्टोकरंसी को डिजिटल संपत्ति माना जाए और देश के एक्सचेंज में इसे शुरू किया जाए. बता दें कि क्रिप्टो एक डिजिटल संपत्ति है.

किसको- किसको भेजा 

इस 5 पॉइंट पॉलिसी को वित्त मंत्रालय, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय, रिजर्व बैंक और नीति आयोग को भेजा गया है. सिफारिश में कहा गया है कि भारत तेजी से उभरता हुआ बाजार है और यहां स्टार्टअप की संभावनाएं अपार हैं, खासकर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में. इसे देखते हुए टेक्नोलॉजी से जुड़ी क्रिप्टोकरंसी को वैध बनाने पर विचार होना चाहिए. IndiaTech.org में ओला, मेक माई ट्रिप, ड्रीम11 और पॉलिसीबाजार जैसी कंपनियां जुड़ी हैं. इनकी तरफ से सिफारिश भेजी गई है.

ऐसे करती है काम 

क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, जिसमें एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है. एन्क्रिप्शन के जरिये ही इस करेंसी को रेगुलेट और जनरेट किया जाता है. किसी बैंक के जरिये इसका काम नहीं होता और डिजिटल माध्यम से ही फंड ट्रांसफर किया जाता है. रिजर्व बैंक ने साल 2018 में क्रिप्टोकरंसी पर बैन लगा दिया था. सभी वित्तीय संस्थानों को आगाह किया था कि वर्चुअल करेंसी की डीलिंग से बचें.  2019 में मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था जिसमें केंद्र से पॉलिसी बनाने की बात कही गई थी. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई की पाबंदियों को हटा दिया था.

कैसे बनाएं सुरक्षित 

IndiaTech.org ने अपनी पॉलिसी में बताया है कि क्रिप्टोकरेंसी को कैसे सुरक्षित बनाया जा सकता है. इसमें टैक्सेशन, ट्रांजेक्शन, मनी लॉन्डरिंग पर गंभीरता से विचार कर आगे बढ़ाने की सलाह दी गई है. इन चिंताओं को दूर करने के लिए एक्सचेंज ओनरशिप, कस्टमर केवाईसी, अकाउंट और रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड, डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स रेगुलेशन, एंटी मनी लॉन्डरिंग कानून को सख्त बनाने, इंपोर्ट रेगुलेशन और संदिग्ध लेनदेन पर ध्यान रखने की सलाह दी गई है. सरकार से क्रिप्टोकरंसी के उद्योग को रेगुलेट करने का सुझाव दिया गया है. इसके लिए नई-नई टेक्नोलॉजी को अपनाने पर जोर देने की बात कही गई है.

क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल संपत्ति मनाने की सलाह

सबसे अहम सिफारिश यह दी गई है कि क्रिप्टोकरंसी को डिजिटल संपत्ति की तरह माना जाए और इसे किसी करंसी की श्रेणी में न रखा जाए. क्रिप्टोकरंसी को गोल्ड, स्टॉक और सिक्योरिटी की तरह डिजिटल दर्जा देने की मांग की गई है. भारत में ही क्रिप्टोकरंसी के एक्सचेंज बनाने, उसे रजिस्टर और रेगुलेट करने की बात कही गई है. इसके लिए जरूरी चेक और बैलेंस की आवश्यकता होगी. जो लोग क्रिप्टोकरंसी रखेंगे या उससे बिजनेस करेंगे उसे टैक्स नियमों के तहत ‘प्रोफिट एंड गेन्स फ्राम बिजनेस एंड प्रोफेसन’ या ‘इनकम फ्राम कैपिटल गेन’ में शामिल करने की बात कही गई है.

…तो संदिग्ध लेन-देन पर आये सुझाव

इसके अलावा कस्टमर वेरीफिकेशन, ट्रेसीबिलेटी, जीएसटी, संदिग्ध लेनदेन के बारे में जानकारी पाने के लिए ट्रांजेक्शन रिपोर्टिंग मेकेनिज्म बनाने, चार्टर्ड अकाउंटेंट या कॉस्ट अकाउंटेंट से लेनदेन का पूरा हिसाब रखे जाने का सुझाव दिया गया है. यह भी कहा गया है कि सरकार सेल्फ रेगुलेटरी गाइडलाइंस बनाए और उसके बारे में उद्योगों को बताए. यह काम तब तक किया जाए जब तक क्रिप्टो से जुड़े कानून और रेगुलेशन अमल में न आ जाएं.

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