आसिम मुनीर अब पाकिस्तान के सबसे ऊंचे सेना प्रमुख बने हैं और देश के रक्षा प्रमुख के रूप में अपने पहले भाषण में, डींगे हांकते हुए कहा, “भारत को किसी भी आत्म-प्रवंचना या धारणा का शिकार नहीं होना चाहिए, अगली बार पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भी तीव्र तथा अधिक कठोर होगी।” साथ ही मुनीर अफ़ग़ानिस्तान को भी धमकी दी थी। हालांकि की मुनीर की यह ख़ुशी लंबे समय तक नहीं टिक पाई। दूसरी ओर पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अफगानिस्तान सीमा से सटे कुर्रम ज़िले में एक सुरक्षा चौकी पर हुए हमले हो रहे थे, जिसमें छह पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
दरअसल यह हमला सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह के बीच हुआ। रिपोर्टों के अनुसार, अब तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान और अफगान तालिबान शासन के बीच संबंधों में भारी गिरावट आई है। इसी के समानांतर सीमा क्षेत्रों में क्रॉस-बॉर्डर हमलों में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अक्टूबर में दोनों पक्षों के बीच 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अब तक की सबसे भीषण झड़पें हुई थीं, जिनमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। पाकिस्तान ने बार-बार आरोप लगाया है कि अफगान तालिबान आतंकी समूहों को कार्रवाई से बचा रहा है, जिससे भीतर सुरक्षा हालात बदतर हो रहे हैं।
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव कम करने के लिए तुर्की और क़तर ने मध्यस्थता की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक यह बातचीत पूरी तरह विफल हो गई है। पाकिस्तान में हाल के आतंकी हमलों के पीछे मुख्य रूप से तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का हाथ माना जा रहा है। इस संगठन के बारे में पाकिस्तान का दावा है कि यह अफगानिस्तान में तालिबान की सहूलियत के चलते सुरक्षित है और वहीं से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और संस्थानों पर हमले कर रहा है।
हालांकि TTP विचारधारा के स्तर पर अफगान तालिबान से जुड़ा है, लेकिन यह एक अलग समूह है और स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में लगा हुआ है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान में सरकार को उखाड़ कर एक कठोर शरीया-आधारित शासन स्थापित करना है।
साउथ एशिया टेररिज़्म पोर्टल के अनुसार, 9 दिसंबर 2024 तक यह साल पाकिस्तान के लिए आतंकवाद से जुड़ी मौतों के मामले में लगभग एक दशक में सबसे घातक साल रहा है। इस साल पाकिस्तान में 1100 से अधिक सैनिक ऐसे हमलों में ही मारे गए है। सवाल उठ रहें है की क्या पाकिस्तान ने पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा मौतें हासिल करने के लिए आसिम मुनीर को सेना का सर्वोच्च प्रमुख पद देकर गौरव किया है, या फिर असीम मुनीर ने खुद ही इस पद को अपने लिए चुना है।
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