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बहराइच में दुर्गा विसर्जन के दौरान रामगोपाल मिश्रा को गोली मारने वाले सरफराज को मौत की सजा

अन्य आरोपियों को मिली उम्रकैद

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बहराइच में दुर्गा विसर्जन पर हुए साम्प्रदायिक हमले में रामगोपाल मिश्रा की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी सरफराज उर्फ रिंकू को मौत की सज़ा सुनाई गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (प्रथम) पवन कुमार ने गुरुवार को यह सजा सुनाई, जबकि मामले के नौ अन्य दोषियों को उम्रकैद की सज़ा दी गई है। अदालत ने कुल 10 आरोपियों को दोषी माना था। फैसला घटना के लगभग 14 महीने बाद आया है।

मृतक रामगोपाल मिश्रा की हत्या के लिए सरफराज को गोली चलाने का दोषी करार दिया गया। उम्रकैद पाने वालों में सरफराज का पिता अब्दुल हमीद और उसके दो भाई फहीम और तालिब उर्फ सबलू भी शामिल हैं। इसके अलावा दोषियों में सैफ, जावेद, ज़ीशान, ननकौ, शोएब और मारूफ के नाम शामिल हैं।वहीं, सबूतों के अभाव में तीन आरोपियों खुर्शीद, शकील और अफ़ज़ल को अदालत ने बरी कर दिया है।

अभियोजन के अनुसार, आरोपियों पर CrPC की धारा 103(2), 191(2), 191(3), 190, 109(2), 249, 61(2) के तहत और आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत मुकदमा चलाया गया था।

यह घटना बहराइच के हरदी थाना क्षेत्र के मंसूर गाँव में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन यात्रा के दौरान हुई थी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस में बज रहे संगीत का विरोध किया, जिसके बाद तनाव बढ़ा और हिंसा भड़क उठी। हिंसा के दौरान रामगोपाल मिश्रा  एक छत पर चढ़कर वहाँ लगाए गए हरे झंडे उतार रहे थे। इसी बीच सरफराज ने रामगोपाल  पर गोली चलाई, जिससे रामगोपाल की मौत हो गई।

इसके अलावा मुस्लिम भीड़ की ओर से किए गए पथराव में कई हिंदू श्रद्धालु घायल हुए, और विसर्जन के लिए ले जाए जा रहे दुर्गा प्रतिमाओं को भी क्षति पहुँची। तत्पश्चात हिंदुओं प्रतिशोधात्मक कारवाई करते हुए इलाके के कई घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की थी।

पुलिस ने जांच के दौरान कुल 13 प्रमुख आरोपियों की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार किया। इनमें से पाँच अब्दुल हमीद, मोहम्मद तालिब उर्फ सबलू, मोहम्मद सरफराज अहमद उर्फ रिंकू, शकील अहमद उर्फ बब्लू और खुर्शीद के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया। बाद में शेष आठ आरोपियों पर भी NSA लागू किया गया। इस मामले 11 हरदी थाने में और 2 रामगाँव थाने में कुल 13 एफआईआर दर्ज की गई थीं।

बहराइच की यह घटना पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में हुए सबसे गंभीर साम्प्रदायिक मामलों में से एक मानी गई थी। अदालत का यह फैसला पीड़ित परिवार को न्याय देने की दिशा में अहम मील का पत्थर माना जा रहा है।

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