बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुणे पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को 2016 के पुणे जमीन सौदा मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एकनाथ खड़से के खिलाफ मार्च तक आरोप पत्र दायर नहीं को कहा है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे एवं न्यायमूर्ति पी के चव्हाण ने खडसे की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया जिसमें दावा किया गया है कि एसीबी ने अप्रैल 2018 में मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था और कहा था कि उनके खिलाफ आरोपों में कोई तथ्य नहीं मिला, लेकिन जून 2022 में राज्य में सरकार बदलने के बाद एसीबी ने मामला फिर से शुरू करने का अनुरोध किया।
मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागियों ने जून 2022 में महा विकास आघाड़ी गठबंधन की सरकार के गिरने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से नयी सरकार बनाई जबकि राकांपा एमवीए सरकार का हिस्सा थी। याचिका में कहा गया है कि जुलाई 2022 में सरकार बदलने के बाद एसीबी ने अपना रुख बदला और मामले में आगे की जांच के लिए सत्र अदालत में अर्जी दायर की। याचिका के अनुसार, अक्टूबर 2022 में पुणे में सत्र अदालत ने एसीबी को मामले में जांच की अनुमति दी और क्लोजर रिपोर्ट वापस ले ली गई। पीठ ने शुक्रवार को एसीबी को निर्देश दिया कि वह खड़से की याचिका के जवाब में एक हलफनामा दायर करे और मामले में सुनवाई मार्च तक स्थगित कर दी।
खड़से पूर्व भाजपा मंत्री रहे हैं जो 2020 में राकांपा में शामिल हुए, उनकी पत्नी और दामाद पर भूमि मामले में भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप हैं। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गावंडे की शिकायत के बाद पुणे शहर के बंड गार्डन थाने में मामला दर्ज किया गया था। बाद में मामला एसीबी को स्थानांतरित कर दिया गया था। खड़से पर आरोप है कि उन्होंने मंत्री के तौर पर अपने अधिकार का दुरुपयोग किया और पुणे के भोसरी इलाके में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) के स्वामित्व वाली जमीन को पत्नी और दामाद के नाम पर 3.75 करोड़ रुपये में खरीदा जबकि इसका बाजार मूल्य 40 करोड़ रुपये था।
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