धर्मस्थल ‘मास बरीअल’ अफवाह मामले में बड़ा मोड़ एसआईटी ने कुख्यात तथाकथित ‘एक्टिविस्टों’ के खिलाफ रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिन्होंने इस पूरे मामले को झूठ और भ्रम से हवा देकर मंदिर नगर की छवि खराब करने की कोशिश की थी। कर्नाटक के बेल्थांगडी स्थित स्थानीय अदालत में यह रिपोर्ट भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 215 के तहत दाखिल की गई है, जिसमें गलत सूचना देना, सबूत छिपाना या जांच को गुमराह करने की कोशिश जैसी गंभीर धाराएँ शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सफाई कर्मचारी को मुख्य आरोपी बनाया गया है जिसने सबसे पहले ‘मास बरीअल’ यानी सामूहिक दफन की झूठी कहानी फैलाकर पूरे क्षेत्र में भय और भ्रम का माहौल खड़ा किया था। इसके अलावा पाँच अन्य लोगों को भी आधिकारिक रूप से आरोपी बनाया गया है, जो खुद को ‘एक्टिविस्ट’ बताते थे और इस अफवाह को संगठित तरीके से आगे बढ़ाते रहे।
इनमें महेश शेट्टी तिमरोड़ी, गिरीश मट्टन्नावर, विट्टल गौड़ा, जयंता टी और सुजाता गौड़ा शामिल हैं। ये सभी धर्मस्थल में कथित ‘मास बरीअल’ की आधारहीन और मनगढ़ंत कहानियों को लेकर सार्वजनिक हित याचिका (PIL) की मांग करते रहे और इस मुद्दे पर लगातार दुष्प्रचार चलाते रहे। SIT ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज किया है कि इन व्यक्तियों ने जानबूझकर अतिरंजित दावे किए, तथ्य गढ़े और समाज में अविश्वास फैलाने की कोशिश की।
जांच अधिकारियों के अनुसार, यह पूरा अभियान मंदिर नगर को बदनाम करने के उद्देश्य से चलाया गया प्रतीत होता है। SIT अब इस बात की तह तक जा रही है कि इन ‘एक्टिविस्टों’ ने किस उद्देश्य से यह भ्रामक अभियान चलाया और किन-किन स्तरों पर तथ्य छिपाए या तोड़े-मरोड़े।
स्थानीय अदालत अब एसआईटी की इस विस्तृत रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और तय करेगी कि आगे आरोपियों पर कौन-सी कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए। प्रारंभिक संकेत बताते हैं कि मामला आगे बढ़ने पर कई आरोपियों को गंभीर दंड का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अफवाह फैलाकर एक पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने का आरोप हल्का नहीं माना जाएगा।
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