वसई-विरार महानगरपालिका के पूर्व आयुक्त अनिल पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। एजेंसी ने अनिल पवार सहित कुल छह लोगों को समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया है। यह कार्रवाई बुधवार को पवार से जुड़े 12 ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद की गई है, जिसमें ईडी को 1.33 करोड़ रुपये नकद, महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल उपकरण मिले हैं।
ईडी के मुताबिक, बरामद दस्तावेजों में अनिल पवार के नाम या उनसे जुड़ी शेल कंपनियों का विवरण है, जिनका कथित तौर पर काले धन को सफेद करने में इस्तेमाल किया गया। जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि पवार के परिजनों ने छापेमारी के दौरान एजेंसी का सहयोग नहीं किया और दरवाजा तक नहीं खोला। हालात ऐसे बने कि ईडी को दरवाजा तोड़ना पड़ा। एजेंसी का दावा है कि इस दौरान पवार के परिजनों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट कर दिए।
प्राथमिक जांच से यह संकेत मिला है कि अनिल पवार ने अपने पद का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर रिश्वत ली और उस धन को वैध रूप देने के लिए फर्जी कंपनियों का नेटवर्क खड़ा किया। ईडी को संदेह है कि इन शेल कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को खपाया गया।
सूत्रों के अनुसार, छापेमारी में जब्त किए गए डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच की जा रही है, जिससे और बड़े खुलासों की उम्मीद है। एजेंसी यह जानने की कोशिश कर रही है कि रिश्वत की रकम किस स्रोत से आई और किन परियोजनाओं में इसका इस्तेमाल हुआ।
जिन अन्य लोगों को समन भेजा गया है, वे या तो पवार के करीबी हैं या उन शेल कंपनियों से जुड़े हुए हैं जिन पर संदेह है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पूछताछ के बाद इस मामले में कई और प्रभावशाली नाम सामने आ सकते हैं। ईडी की जांच से यह स्पष्ट है कि घोटाले की परतें अब तेजी से खुल रही हैं।
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