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Wednesday, December 10, 2025
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जिसके लिए बना कातिल,वही नहीं हुई हासिल

दोस्त की हसीन बीवी को पाने के लिए ले ली उसकी जान

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नवी मुंबई। घनसोली परिसर निवासी एक अधेड़ को यहां की रबाले पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार किया है कि उसने उसे पाने की चाहत में अपने दोस्त का कत्ल कर दिया, जो उसे हासिल ही नहीं हुई। मूलतः पश्चिमी बंगाल के अर्जुन चौधरी (43 साल) नामक इस अभियुक्त की यह चाहत थी, उसके उसी दोस्त की 37 वर्षीया पत्नी सुनैना। घनसोली की ही रहने वाली सुनैना के पति नरेंद्र पांडेय की हत्या कर अर्जुन पश्चिमी बंगाल में मौजूद अपने गाँव भाग गया था। मुंबई वापस लौटते वक्त पुलिस ने उसे इगतपुरी में ही धर दबोचा, महज 6 महीने पहले ही नरेंद्र अपनी पत्नी और बेटी के संग यहां किराए के मकान में रहने आया था। एक बेटी की माँ बन जाने के बावजूद नैन-नक्श की शोख सुनैना पर पहली नजर पड़ते ही अर्जुन बेचैन हो उठा था। उसे पाने की जुगाड़ में अर्जुन ने नरेंद्र से दोस्ती गांठी और मौके की ताक में रहने लगा। यदाकदा किसी-न-किसी बहाने सुनैना को फ्लर्ट करने की कोशिश में रहता। पर वह उसे घास तक नहीं डालती थी। यानी कि कुल मिलाकर एकतरफा प्यार का मामला था यह।

अर्जुन पर इस केस में दफा 302 लगाई गई है। मामले की तफ्तीश कर रहे रबाले पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर शिरीष पवार के बताया है कि घटना 18 जुलाई की है, शाम साढ़े 6 बजे के करीब नरेंद्र पत्नी को यह बताकर घर से निकला कि वह अर्जुन के यहां जा रहा है। इसके बाद वह न तो घर वापस लौटा और न ही उसका मोबाइल लग रहा था। लिहाजा, घबराई सुनैना के इस बाबत बताने पर उसका देवर जटाशंकर नरेंद्र की खोज में अर्जुन के घर पहुंचा। घर में कोई नहीं था, दरवाजे पर ताला लटका था। बाहर उसे अपने भाई का छाता और जूते पड़े मिले। सो, जिज्ञासावश उसने खुली पड़ी दिखी खिड़की से झांका। तब भीतर का माजरा देख उसकी जान ही सूख गई। भीतर खून-ही-खून था। फौरन उसने इस बारे में पुलिस को इत्तिला किया। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच जब अर्जुन के घर का ताला तोड़ा, तो अंदर बाथरूम में नरेंद्र की क्षतविक्षत लाश बरामद हुई। जगह-जगह खून के दाग भी थे, जो सूख गए थे।

पुलिस स्टेशन इंचार्ज सीनियर इंस्पेक्टर योगेश गावड़े के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दरमियान अर्जुन ने पहले तो ना-नुकुर की, पर ‘थर्ड डिग्री’ मिलते ही उसने अपना अपराध  कबूल कर झट सारा सच उगल दिया। उसने पुलिस को बताया कि उस रोज संडे था और नरेंद्र केवल संडे को ही दारू पीता था। लिहाजा, दोनों ने जमकर दारू पी। नरेंद्र को चूंकि उसके सुनैना पर डोरे डाल रहे होने की भनक थी। नशे में बहकने के बाद इस बात को लेकर उनमें बहस ठन गई और बढ़ते-बढ़ते बात मारपीट तक जा पहुँची। इस दौरान अर्जुन ने तैश में आकर नरेंद्र को चाकू घोंप दिया और लोहे की राॅड से भी बुरी तरह पीटा। इससे उसके शरीर से खून का फव्वारा छूट पड़ा और तड़पते हुए वह जगह पर ही शांत हो गया।

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