ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा के दौरान मंगलवार (29 अप्रैल) को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में घोषणा की के पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों को सेना की संयुक्त टीमों ने ऑपरेशन महादेव में मार गिराया। गृहमंत्री ने बताया की लश्कर-ए-तैयबा के A श्रेणी के तीन आतंकी सुलेमान उर्फ़ फैजल भट, अफगान और जिब्रान को सेना बल की पैरा-4 की टुकड़ी के नेतृत्व में सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवानों के साथ संयुक्त ऑपरेशन में मार गिराया। जिसकी तैयारी कई दिनों से की जा रही थी।
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों के हमले के बाद इसकी जांच तुरंत ही विश्वमान्य जांच एजेंसी NIA (नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को दी गई। इसके अलावा तुरंत ही 23 अप्रैल को एक सुरक्षा मीटिंग की गई, जिसमें सभी सुरक्षा बल, भारतीय सेना, सीआरपीएफ, बीएसफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी शामिल थे। इस बैठक में सबसे पहले निर्णय किया गया की पर्यटकों के नृशंस हत्यारों को देश छोड़कर पाकिस्तान भागने का कोई मौका नहीं देना चाहिए। जिसके बाद सीमा पर सुरक्षा और भी चौकन्नी की गई। इसके अलावा आतंकियों को ढूंढने के लिए इंटेलीजेंस की टीमों को पर्वतीय क्षेत्रों में जानकारी जुटाने के लिए भेजा गया।
22 मई को IB (इंटेलीजेंस ब्यूरो) के पास एक ह्यूमन इंटेल (गुप्त सुचना) आई, जिसमें दाचीगाम क्षेत्र में आतंकवादियों के उपस्थिती की सुचना मिली। जानकारी पाते ही आईबी और सेना द्वारा दाचीगम क्षेत्र में अल्ट्रा सिग्नल कैप्चर करने और सिग्नल्स को पुख्ता करने के लिए 22 जुलाई तक लगातार प्रयास किए गए। ठंड में ऊंचाइयों पर सेना के अधिकारी पैदल आतंकियों के सिग्नल प्राप्त करने के लिए घूमते रहे, जो 22 जुलाई को सेंसर्स के माध्यम से सफलता दे गई। दाचीगम में आतंकियों के होने की पुष्टी हुई।
आतंकियों की पुष्टी होते ही सेना, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक बैठक भी की गई, इनके साथ 5 इंटेलीजेंस के अधिकारीयों को उसमें शामिल किया गया। 4-पैरा के सेना टुकड़ी के नेतृत्व में, 4 पैरा के जवान, सीआरपीएफ के जवान, और जम्मू -कश्मीर पुलिस के जवान, इन्होने एक साथ आतंकियों को घेरना का काम किया। दाचेगाम वन क्षेत्र में घेराबंदी के दो दिन बाद, 4 पैरा के जवानों ने एक छिपे हुए ठिकाने के अंदर आतंकवादियों की पहचान की गई और तुरंत गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे तीनों मौके पर ही मारे गए।
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