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Saturday, December 6, 2025
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जस्टिस वर्मा केस मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट सुनेगा

महाभियोग प्रक्रिया भी शुरू

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (23 जुलाई) को घोषणा की कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित की जाएगी। वर्मा ने अपने दिल्ली स्थित सरकारी आवास से नकदी के बंडल मिलने के बाद गठित इन-हाउस समिति की जांच और निष्कर्षों को चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की सेवानिवृत्ति के बाद कार्यभार संभालने वाले मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने स्वयं को इस मामले से अलग कर लिया, क्योंकि वे पहले की चर्चाओं का हिस्सा रह चुके थे।

मामला मुख्य न्यायाधीश गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ के समक्ष पेश किया गया। जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की तात्कालिक सुनवाई की मांग की, तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “मेरे लिए इस मामले की सुनवाई करना उचित नहीं होगा। हम इस पर विचार करेंगे और एक विशेष पीठ गठित करेंगे।”

मार्च 2025 में दिल्ली स्थित न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के बाद, दमकलकर्मियों ने बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की थी। इस पर अप्रैल में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट वापस भेज दिया गया और न्यायिक कार्य से अलग कर दिया गया। जांच के लिए एक तीन सदस्यीय इन-हाउस समिति बनाई गई थी, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थे।

समिति ने 50 से अधिक गवाहों से पूछताछ की और निष्कर्ष निकाला कि बरामद नकदी न्यायमूर्ति वर्मा या उनके परिवार के सीधे या अप्रत्यक्ष नियंत्रण में थी। वर्मा ने आरोपों को साजिश बताया और कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दिया।

न्यायमूर्ति वर्मा ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर जांच प्रक्रिया के साथ समिति की सिफारिशों को भी चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि उन्हें प्राकृतिक न्याय का अवसर नहीं मिला, उन्हें सबूतों तक पहुंच नहीं दी गई, और उन्हें गवाहों से जिरह करने की अनुमति भी नहीं मिली। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि महत्वपूर्ण सीसीटीवी फुटेज की अनदेखी की गई।

इस बीच, न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की औपचारिक प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। सोमवार को 152 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपकर न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने की मांग की। यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत दायर किया गया है।

हस्ताक्षर करने वालों में बीजेपी, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम जैसे दलों के नेता शामिल हैं, जिनमें अनुराग ठाकुर, राहुल गांधी, सुप्रिया सुले, रविशंकर प्रसाद और के.सी. वेणुगोपाल प्रमुख हैं। राज्यसभा में भी 50 से अधिक सांसदों ने इस संबंध में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को प्रस्ताव सौंपा।

अब दोनों सदनों द्वारा मिलकर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की जाएगी, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात विधिवेत्ता शामिल होंगे। जजेस इंक्वायरी एक्ट के तहत गठित यह समिति आगामी संसद सत्र तक अपनी रिपोर्ट दे सकती है।

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