तमिलनाडु के सिवगंगई ज़िले में मंदिर रक्षक अजीत कुमार की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर हुई न्यायिक जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि अजीत कुमार की मौत पुलिस कस्टडी में हुई और यह एक हिरासत में हत्या (custodial death) का मामला है।
हाईकोर्ट की निगरानी में हुई इस जांच में जो निष्कर्ष निकले हैं, वह पुलिस पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि करते हैं। मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) कर रही है और अब वह यह तय करेगा कि क्या अधिक पुलिस अधिकारियों को आरोपी बनाया जाए। फिलहाल, 5 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
27 वर्षीय अजीत कुमार की मौत ने पूरे राज्य में आक्रोश फैला दिया था। घटना के बाद एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें अजीत को लकड़ी से बेरहमी से पीटते हुए देखा गया। पुलिस ने उसे ज्वैलरी चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया था। 27 जून को उसे एक गौशाला ले जाया गया, और 28 जून को उसकी मौत हो गई।
पहले पुलिस ने दावा किया था कि अजीत को मिर्गी का दौरा पड़ा था और वह भागने की कोशिश करते समय गिर पड़ा, जिससे उसकी मौत हुई। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया। इंडिया टुडे द्वारा एक्सेस की गई ऑटोप्सी रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि अजीत कुमार के शरीर में भीतरूनी रक्तस्राव और गंभीर शारीरिक चोटें थीं, जो लगातार और योजनाबद्ध शारीरिक प्रताड़ना का संकेत देती हैं।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, अजीत कुमार के शरीर पर कुल 44 चोटों के निशान पाए गए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उसके हृदय और यकृत में अंदरूनी रक्तस्राव हुआ था, मांसपेशियों में गहरी सूजन थी और खोपड़ी के नीचे भी चोटों के निशान मिले। इन सभी चोटों की दिशा, गहराई और प्रकार से यह स्पष्ट होता है कि अजीत पर डंडों, लाठियों या लोहे की छड़ों जैसे भारी हथियारों से बार-बार हमला किया गया। ये चोटें किसी एक बार की चोट नहीं थीं, बल्कि लंबे समय तक लगातार और जानबूझकर की गई पिटाई का परिणाम थीं।
ये चोटें किसी आकस्मिक चोट या एकल हमले के कारण नहीं, बल्कि कई बार हुई गंभीर पिटाई से उत्पन्न हुई थीं। अब जब न्यायिक जांच में यह साबित हो गया है कि अजीत कुमार की मौत पुलिस प्रताड़ना से हुई, तो CBI अगला कदम उठाएगी। माना जा रहा है कि कुछ और पुलिस अधिकारियों को नामजद किया जा सकता है और जल्द ही अधिक गिरफ्तारियां भी संभव हैं।
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