Maharashtra: 15 माह में निकाले गए 651 गर्भाशय!…कहां और कैसे? जानिए

Maharashtra: 15 माह में निकाले गए 651 गर्भाशय!…कहां और कैसे? जानिए

मुंबई। महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। महाराष्ट्र में बीते 15 महीनों के भीतर गर्भाशय निकाले जाने के करीब 651 मामले सामने आए हैं।

मेडिकल गाइडलाइन को खुलेआम धता

बीड जिले में गन्ना खेतों की मजदूर महिलाएं बीमारी के कारण अपना गर्भाशय निकलवा ले रही हैं। मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कई युवतियों के गर्भाशय मेडिकल दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए खुलेआम निकाले जा रहे हैं। बीड जिले में तो अब गर्भाशय निकलवाना एक आम बात-सी हो गई है।

सेहत पर पड़ रहा बहुत बुरा असर

बीड जिले में गर्भाशय निकलवाने का औसत दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है, जिसका सबंधितं महिलाओं की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। हजारों महिलाएं इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ-साथ दुष्प्रभावों का भी सामना कर रही हैं।

ज्यादातर हिस्टरेक्टॉमी सर्जरी अनावश्यक

विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर हिस्टरेक्टॉमी सर्जरी अनावश्यक होती है। महिलाओं द्वारा गर्भाशय को निकलवाने से उनमें से कई के स्वास्थ्य पर काफी विपरीत असर पड़ा है। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में गर्भाशय निकलवाने की दर बहुत ज्यादा है। कुल मिलाकर अगर देखा जाए, तो देखें तो तौर सरकार की अनदेखी इसके लिए जिम्मेदार दिखाई पड़ रही है।

थम नहीं रहा सिलसिला

जिले भर में गर्भाशय निकलवाने का सिलसिला अब भी थम नहीं रहा है। देखने में यहां तक आया है कि कुछ महिलाओं को जरूरत न होने पर भी अनुमति के लिए जिला सर्जनों (सीएस) के पास भेजा जाता है, हालांकि जांच में साबित होता है कि इसकी कोई आवश्यकता ही नहीं थी। इस तरह पिछले 15 माह के भीतर जिले में 651 महिलाओं के गर्भाशय निकाले जा चुके हैं।

नहीं ली जाती सीएस की अनुमति

निजी और सरकारी अस्पतालों के बीच इस सिलसिले में एक बात और भी है, कम उम्र व इलाज जारी होने के नाम पर के कारण सीएस से अनुमति नहीं ली जाती है और वही अनुमति तुरंत गैर सरकारी अस्पताल से हासिल कर ली जाती है। यही कारण है कि गर्भाशय निकलवाने की दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

Exit mobile version