महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने अपने आरोप पत्र में दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) 2047 तक पुलिस मशीनरी को निशाना बनाना चाहता है और भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना चाहता है। इसके लिए उन्हें कुछ मुस्लिम देशों से फंड मिल रहा था। एटीएस के आरोप पत्र में कहा गया है अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने महाराष्ट्र में सात स्थानों पर गुप्त बैठकें कीं। आरोपी भारतीय संविधान की जगह शरिया कानून स्थापित करना चाहते हैं। आरोपियों ने अंतरराष्ट्रीय फर्मों की मदद से भारत में कानून व्यवस्था की स्थिति को बाधित करने की योजना बनाई।
एटीएस ने आरोपियों में से एक मजहर मंसूर खान के सेल फोन से एक पुस्तिका जब्त की, इसमें भयावह साजिश का उल्लेख किया गया था। बुकलेट में कहा गया है कि भारत की आजादी के 100 साल पूरे होने पर वे इस्लामिक स्टेट की स्थापना करेंगे। जिस बुकलेट को वे पीएफआई के सदस्यों को बांट रहे थे, उसमें इस बात का जिक्र था कि वे 2047 तक इस्लामिक स्टेट को कैसे हकीकत बनाएंगे। किताब का शीर्षक था- ‘इंडिया 2047, टुवार्ड्स रूल ऑफ इस्लाम इन इंडिया।’
आईएएनएस के पास उपलब्त चार्जशीट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले साल एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई की थी। इस दौरान महाराष्ट्र में पीएफआई से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस मामले में एटीएस ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें सनसनीखेज दावे किए गए हैं। चार्जशीट से पता चलता है कि पीएफआई के सदस्य राज्य के खिलाफ साजिश रच रहे थे। पीएफआई के सदस्य राज्य सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे। पीएफआई के सदस्यों ने चेंबूर, धारावी, कुर्ला, ठाणे, नेरुल, पनवेल और मुंब्रा में गुप्त बैठकें कीं। पीएफआई ने मुस्लिम युवाओं को यह बताकर शामिल करने की योजना बनाई थी कि उनका धर्म (मुस्लिम धर्म) खतरे में है। उन्होंने भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को लामबंद किया और उन्हें अन्य धर्मों के खिलाफ भड़काया। चार्जशीट में आगे कहा गया है कि पीएफआई चाहती है कि मुस्लिम युवकों की पहचान केवल ‘मुस्लिम’ के रूप में की जाए न कि भारतीयों के रूप में।
चार्जशीट से खुलासा हुआ है कि वे भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने की योजना बना रहे थे। आरोपी यह दिखा कर पीड़ित कार्ड खेलना चाहते थे कि देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। आरोपियों में से एक के पास से जब्त की गई किताब से पता चला है कि वे चाहते थे कि कश्मीर और लक्षद्वीप के मुसलमान उनके साथ शामिल हों, क्योंकि इन जगहों पर बड़ी मुस्लिम आबादी है। आरोपपत्र में कहा गया है कि आरोपी भोले-भाले मुस्लिम युवकों को यह सोचने के लिए स्थानीय धार्मिक मुस्लिम नेताओं की मदद लेना चाहते थे कि मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है।
आरोप पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पीएफआई आरएसएस को खत्म करने के लिए भी काम कर रहा है। चार्जशीट में आरोप है कि भारत में अशांति पैदा करने के लिए पीएफआई इस्लामिक देशों से भी मदद मांग रहा था। पीएफआई ने कथित तौर पर एससी/एसटी और आदिवासी समुदायों के लोगों को भड़काने की भी योजना बनाई थी, ताकि उनकी भी मदद ली जा सके। एटीएस ने चार्जशीट में आरोप लगाया है, एक पीएफआई नेता एससी, एसटी जनजाति के लोगों की मदद करेगा, ताकि वे उनके लिए काम करें। वे आदिवासी समुदाय का इस्तेमाल करना चाहते थे। वे चाहते थे कि उनका कैडर न्यायपालिका और पुलिस का हिस्सा हो।
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