दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके और फरीदाबाद में बरामद विस्फोटकों के बाद चल रही बहु-एजेंसी जांच में मंगलवार (11 नवंबर)को बड़ा खुलासा हुआ। जम्मू-कश्मीर के शोपियां ज़िले के रहने वाले मौलवी इरफ़ान अहमद वगाह को गिरफ्तार किया गया है। वगाह पर आरोप है कि उसने डॉक्टरों और अन्य शिक्षित युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर मोड़ा और उन्हें आतंकवादी संगठनों से जोड़ने का काम किया।
सूत्रों के अनुसार, इरफ़ान वगाह पहले श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में पैरामेडिकल कर्मचारी था और बाद में नौगाम की एक मस्जिद में इमाम के रूप में कार्यरत था। गुप्तचर एजेंसियों का कहना है कि वह मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों को धीरे-धीरे चरमपंथ की ओर झुकाने में अहम भूमिका निभा रहा था।
काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) और श्रीनगर पुलिस ने वगाह की पत्नी को भी गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि वह डॉक्टर शहीना शाहिद के साथ संपर्क में थी, जिसने कथित रूप से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के लिए महिलाओं का एक ‘विंग’ बनाने में भूमिका निभाई थी। वगाह के घर से जब्त किए गए मोबाइल फोन और डिजिटल उपकरणों से ऐसे संदेश मिले हैं, जिनमें कथित तौर पर डॉक्टरों और छात्रों को “जिहादी उद्देश्य के लिए चिकित्सा ज्ञान का उपयोग करने” की प्रेरणा दी गई थी।
19 अक्टूबर को नौगाम के बुनपोरा इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के नाम वाले पोस्टर दीवारों पर मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों को इरफ़ान वगाह पर शक हुआ। पूछताछ के दौरान गिरफ्तार युवकों ने कबूल किया कि ये पोस्टर उन्हें वगाह ने दिए थे।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि वगाह के संबंध डॉ. मुज़म्मिल शकील से थे, जो डॉ. मोहम्मद उमर के करीबी सहयोगी थे। बताया गया है कि डॉ. मुज़म्मिल, जो फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत था, वगाह के कमरों से ही अपना नेटवर्क चला रहा था। पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क को “व्हाइट-कॉलर टेररिज़्म” का उदाहरण बताया है, जहां शिक्षित पेशेवर, खासकर डॉक्टर और प्रोफेसर, आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और अंसर ग़ज़वत-उल-हिंद से गुप्त रूप से जुड़े हुए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह आतंकवाद का नया चेहरा है, जहां कट्टरपंथ को शिक्षा और सेवा के आवरण में छिपाकर फैलाया जा रहा है।” सूत्रों के अनुसार, पकड़े गए मौलवी और उसके नेटवर्क की योजना एक मल्टी-स्टेट आतंकी ऑपरेशन की थी, जिसका उद्देश्य “भारत को जलाना” था। यह कथित तौर पर पाकिस्तान में जैश सरगना मसूद अज़हर के परिवार की मौत का बदला लेने के लिए बनाया गया था।
इरफ़ान वगाह की गिरफ्तारी के साथ ही इस बड़े षड्यंत्र को सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते नाकाम कर दिया है। फिलहाल, उसकी और उसकी पत्नी की पूछताछ जारी है, और एजेंसियां इस मॉड्यूल के विदेशी कनेक्शन की तह तक पहुंचने में जुटी हैं।
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