मुंबई में ₹65.54 करोड़ के मिट्ठी नदी डिजल्टिंग घोटाले की जांच में बड़ी कार्रवाई हुई है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में गिरफ्तार किए गए बिचौलियों केतन कदम और जय जोशी के खिलाफ 7,000 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। हालांकि, अदालत ने अभी तक इस चार्जशीट को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है, लेकिन पुलिस सूत्रों के अनुसार यह सोमवार (2 अगस्त)तक दाखिल मानी जा सकती है।
चार्जशीट में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 474 के तहत जाली दस्तावेज रखने का आरोप शामिल किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, ईओडब्ल्यू ने 15–16 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और आरोप लगाया है कि ₹9 करोड़ के घोटाले में से ₹4.5 करोड़ की राशि कदम और जोशी ने ठेके प्रक्रिया में हेराफेरी कर एकत्र की।
चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि कदम और जोशी ने बिचौलियों के तौर पर पहले से तय कंपनियों को ठेके दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस घोटाले में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के वरिष्ठ इंजीनियरों और कई निजी ठेकेदार कंपनियों के निदेशकों की संलिप्तता पाई गई है।
6 मई को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें सरकारी अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई है। सबसे पहले नाम आता है प्रशांत रामुगडे का, जो वर्तमान में बीएमसी में सहायक अभियंता हैं और जिन्हें इस घोटाले में मुख्य आरोपी के रूप में चिन्हित किया गया है। उनके साथ ही गणेश बेंद्रे, जो बीएमसी के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता हैं, और तैशेट्ये, जो वर्तमान में पूर्वी उपनगर के उप मुख्य अभियंता हैं, उनके खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं।
निजी क्षेत्र की कंपनियों से जुड़े अभियुक्तों में भी कई नाम शामिल हैं। दीपक मोहन और किशोर मेनन, जो मैटप्रॉप टेक्निकल सर्विसेज प्रा. लि. के निदेशक हैं, पर भी घोटाले में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है। इसके अलावा भूपेंद्र पुरोहित, जो त्रिदेव कॉन्ट्रैक्टर्स के मालिक हैं, उन्हें भी अभियुक्त बनाया गया है। साथ ही, चार अन्य निजी निर्माण कंपनियों — एक्यूट कंस्ट्रक्शन, कैलास कंस्ट्रक्शन, एन.ए. कंस्ट्रक्शन, और जेआरएस इन्फ्रास्ट्रक्चर — के निदेशक भी चार्जशीट में वांछित अभियुक्त के रूप में दर्ज हैं। इन सभी पर ठेके में हेराफेरी और फर्जी बिलिंग के ज़रिए करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
ईओडब्ल्यू की जांच से पता चला है कि टेंडर की शर्तों में जानबूझकर फेरबदल किया गया ताकि सिर्फ चुनी हुई कंपनियां ही अर्हता प्राप्त करें। भूपेंद्र पुरोहित की कंपनी त्रिदेव एंटरप्राइजेज को 2023–24 में डिजल्टिंग का ठेका दिया गया। इससे पहले वर्षों में भी उनके ही स्वामित्व वाली कंपनियों — एमबी ब्रदर्स और तनिषा एंटरप्राइजेज — को लगातार ठेके दिए गए, जिनमें उनके भाई और बहनोई की कथित संलिप्तता थी।
टेंडर की शर्तों में यह अनिवार्य था कि डिजल्टिंग के लिए कम से कम 8 मशीनें लगाई जाएं, लेकिन 2021 से 2023 तक एक भी मशीन मैदान में नहीं उतारी गई, फिर भी भुगतान जारी किया गया। मशीनरी की अनुपस्थिति के बावजूद फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों की रकम जारी की गई।
चार्जशीट के अनुसार, जांच अभी भी जारी है और BNSS की धारा 193(9) के अंतर्गत आगे की पूछताछ और पूरक चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। अदालत द्वारा चार्जशीट को स्वीकार करने के बाद, इस घोटाले में संलिप्त अन्य अधिकारियों और ठेकेदारों पर भी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाएगी।
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