केंद्र की मोदी सरकार ने पीएफआई के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए उसे पांच साल के लिए बैन कर दिया है। सरकार ने पीएफआई क़ो अवैध संस्था घोषित किया है। केंद्र सरकार ने पीएफआई के काले कारनामों का खुलासा करते हुए कहा है कि यह संस्था आतंकी गतिविधियों में लिप्त है। जिसकी वजह से उस पर प्रतिबंध लगाया जा रहा हैं। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है। जिसमें कहा गया है कि पीएफआई को पांच साल क़े लिए प्रतिबंधित किया जाता हैं। सरकार ने कहा है कि संगठन क़े टेरर लिंक और देश की आंतरिक सुरक्षा क़ो होने वाले खतरे क़ो देखते हुए इसे प्रतिबंधित किया गया है।
ऐसे में सवाल उठा रहे हैं कि सरकार के प्रतिबंध के बाद इस संगठन का क्या होगा। तो बता दें कि बैन के बाद पीएफआई अब विरोध, प्रदर्शन, सम्मेलन, कॉन्फ्रेंस जैसी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता है। इतना ही नहीं यह संगठन किसी भी तरह की सामग्री को प्रकाशित नहीं कर सकता है। इस संगठन से जुड़ी हर गतिविधियां गैर कानूनी होंगी। अगर इस संगठन से कोई भी व्यक्ति जुड़ा हुआ पाया जायेगा तो उस पर जांच एजेंसियां या पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
वहीं हाल ही में की गई कार्रवाई के बाद पीएफआई के गिरफ्तार आरोपियों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया जाएगा । वहीं ,बताया जा रहा है कि आने वाले समय में और भी लोगों पर कार्रवाई की जायेगी। इधर, सरकार ने स्पष्ट किया है कि पीएफआई का संबंध प्रतिबंधित संगठन सिमी से भी है। इसके आलावा इस्लामिक आतंकी संगठन आईएसआईएस और बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी इसके तार जुड़े हुए हैं। इस प्रतिबंध के बाद जानकारों का कहना है कि सरकार इससे लोगों पर यात्रा करने पर भी रोक लगा सकती हैं। साथ ही इस संगठन से जुड़ी सम्पत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
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