मुंबई। 8 साल की उस बच्ची ने ‘ वनली हेल्प ‘ ही तो मांगी थी, पर क्या मिला बेचारी को, उस 42 साला के हाथों बेरहमी से रौंदा जाना। हेल्प मांगी थी, यह बच्ची का नहीं, उस दरिंदे का कहना है, यह बात सीसीटीवी की उस फुटेज से साबित हुई, जिसके आधार पर अदालत ने उसे माइनर के किडनैप व रेप के जुर्म में 5 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई है।
पहले भी हुई थी उससे बर्बरता
सबसे करुणाजनक तो यह है कि वह बच्ची फुटपाथी थी, यानी फुटपाथ पर बनी झुग्गी में रहती थी और इससे भी करुणाजनक यह, जो इस विशेष पोक्सो अदालत ने गुनहगार को सजा सुनाते हुए टिप्पणी के रूप में दर्ज किया कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक इस बच्ची से पहले भी कुकर्म किया जा चुका है, जबकि इस संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। ऐसे हालात में फुटपाथों पर रह-पल रहे ऐसे परिवारों की सुरक्षा पर फिर एक बार सवाल खड़ा हो गया है। फिलहाल, मुंबई में बड़ी संख्या में वे लोग भी हैं, जिनके पास रहने को घर नहीं है और उनकी पूरी घर-गृहस्थी फुटपाथ पर बसी है।
3 गवाह थे महज औपचारिक
अदालत ने फैसला देने से पहले इस मामले में गहरा अध्ययन किया, क्योंकि सबूत था तो सिर्फ सीसीटीवी फुटेज। न्याय का बिंदु अब सीधा जा टिकता है मनोविज्ञान पर। साथ ही औपचारिक गवाहात के बयानात पर। विशेष लोक अभियोजक गीता शर्मा ने तीन गवाहों से जिरह की। इसमें थे बच्ची की मां, खुद वह बच्ची और एक पुलिसकर्मी। फिर कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज में देखा कि गुनहगार बच्ची को कहीं ले जा रहा है। गुनहगार दरिंदे के मुताबिक, बच्ची ने मदद के लिए उससे संपर्क किया था।
कहीं लगा नहीं हेल्प जैसा
लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि ऐसा फुटेज में कहीं भी लगा नहीं। अगर सचमुच उसे बच्ची की मदद करनी होती, तो वह पहले फुटपाथ पर ही बच्ची के साथ सो रहे उसके मां-बाप को जगाता। सीसीटीवी फुटेज में यह दरिंदा ऐसा कुछ भी प्रयास करता लगा नहीं कि वह बच्ची का मददगार हो। लिहाजा, कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर ही इस मुकदमे का फैसला सुनाया।
इनका ऐसा कोई भी नहीं
इस घटना के बाद समाज का एक और कटु सत्य सामने आ गया है कि फुटपाथ पर रहने-सोने वाले बच्चों के संग अकसर यौन शोषण किया जाता है। सीसीटीवी कैमरे के फुटेज जरूर ऐसे कुछेक मामलों में इंसाफ दे देते हैं, पर ये खुद को महफूज महसूस कर सकें, ऐसा कोई भी नहीं।