महाराष्ट्र के नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुलिस जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि हिंसा की शुरुआत हंसापुरी क्षेत्र में स्थित शिवाजी की प्रतिमा के पास की मस्जिद से हुई थी, जहां करीब 1,500 से 2,000 लोगों की बैठक हुई थी। इसके बाद उपद्रवी 500-600 के समूह में बंटकर अलग-अलग इलाकों में हिंसा फैलाने के लिए निकल पड़े।
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को इस घटना से जुड़े कई महत्वपूर्ण सीसीटीवी फुटेज मिले हैं, जिनमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि सैकड़ों लोग बाइक पर सवार होकर हंसापुरी चौक और मस्जिद के पास एकत्र हो रहे हैं। इनमें से कई लोगों ने अपने चेहरे मास्क, रुमाल या गमछे से ढके हुए थे, ताकि पहचान में न आएं। हालांकि, कई संदिग्धों के चेहरे और कुछ गाड़ियों की नंबर प्लेट साफ तौर पर कैमरे में कैद हो गई हैं।
इस हिंसा को भड़काने और संगठित करने में स्थानीय एमडीपी पार्टी के जिला अध्यक्ष फहीम का नाम सामने आ रहा है। जांच में यह बात सामने आई है कि फहीम ने इस्लामी कट्टरपंथियों को उकसाने और हिंसा फैलाने की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाई।
इसके अलावा, सीसीटीवी फुटेज से यह भी पता चला है कि कई लोग लगातार फोन पर बातचीत कर रहे थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि हिंसा की पूरी घटना एक योजनाबद्ध साजिश का हिस्सा थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उपद्रवियों ने पहले से ही पथराव और आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम देने की तैयारी कर रखी थी।
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इन सबूतों के आधार पर पुलिस ने जांच तेज कर दी है और आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। नागपुर में हुई यह हिंसा कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि पूरी तरह से संगठित और योजनाबद्ध थी। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही हैं ताकि हिंसा भड़काने वालों को गिरफ्तार किया जा सके।