मुंबई की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने शुक्रवार (22 अगस्त)को न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के ₹122 करोड़ गबन मामले में बड़ा कदम उठाते हुए बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु और उनकी पत्नी तथा पूर्व डिप्टी चेयरपर्सन गौरी भानु को घोषित अपराधी (Proclaimed Offenders) करार दिया है।। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने बैंक की तिजोरी से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की और देश छोड़कर फरार हो गए।
पुलिस के अनुसार, कोर्ट का यह फैसला इंटरपोल के माध्यम से दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराने की दिशा में अहम कदम है। इससे पहले मार्च 2025 में दंपत्ति की तलाश के लिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। लेकिन औपचारिक प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू करने के लिए रेड कॉर्नर नोटिस आवश्यक है। इस प्रक्रिया के लिए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) चार्जशीट का अंग्रेज़ी अनुवाद करवा रही है।
EOW ने मई में 12,634 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट दाखिल की थी और अगस्त में ऑडिटरों के खिलाफ एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दायर की। इन ऑडिटरों ने बैंक को ‘A’ ग्रेड दिया था, जबकि बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ सामने आईं। आरोप है कि उनकी रिपोर्ट ने सीधे बैंक की तिजोरी से ₹122 करोड़ की siphoning को नज़रअंदाज़ कर दिया।
चार्जशीट में हिरेन और गौरी भानु को उस फंड का लाभार्थी बताया गया है, जिसे तत्कालीन जनरल मैनेजर हितेश मेहता ने ग़लत तरीकों से निकाला। मेहता को इस पूरे घोटाले का मुख्य आरोपी माना जा रहा है। जाँच में यह भी सामने आया कि बैंक ने ऋण वितरण में भारी अनियमितताएँ कीं और कई खातों को ग़लत तरीके से NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित किया गया।
RBI की ऑडिट रिपोर्ट (12 फरवरी 2025) में सबसे पहले यह गड़बड़ी सामने आई थी। ऑडिट में पता चला कि बैंक के प्रभादेवी ब्रांच की तिजोरी से ₹112 करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से ₹10 करोड़ नकद गायब थे। पुलिस का कहना है कि हिरेन भानु, जो ब्रिटिश नागरिक भी हैं, 26 जनवरी 2025 को भारत से भागकर अबू धाबी चले गए। वहीं उनकी पत्नी भी उनके साथ फरार हैं।
गौरतलब है कि हिरेन के पिता, रंजीत भानु, एक वकील, ट्रेड यूनियनिस्ट और पूर्व विधायक बैंक के संस्थापकों में शामिल थे। अब उनके बेटे और बहू पर लगे आरोपों ने बैंक की साख पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।
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