इलाजरत वेंटिलेटर पर अपनी आख़री सांसे गिनते आतंकी साक़िब नाचन के मौत की हुई है। सोमवारी (23 जून) को ब्रेन स्ट्रोक के कारण साक़िब नाचन को दिल्ली के दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती किया गया था। दिसंबर 2023 में NIA ने शाकिब नाचन और उसके सहयोगियों को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट(ISIS) में युवाओं को भर्ती करने और ISIS का प्रोपोगेंडा फ़ैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
5 फीट 2 इंच से थोड़े ज़्यादा लंबे, 63 वर्षीय साकिब नाचन भले ही दिखने में कमज़ोर हो, लेकिन भारत में आतंकवाद के आरोपियों के बीच उसका प्रभाव उनकी शक्ल से कहीं ज़्यादा है। कुख़्यात साक़िब नाचन इससे पहले भी आतंकी गतिविधी के आरोप में गिरफ्तार हो चूका था, जिसमें IPC, Railways Act, Arms Act, Explosives Act, POTA के तहत आरोप दर्ज थे। मोहम्मद साकिब अब्दुल हामिद नाचन की रवीश उर्फ साकिब उर्फ खालिद जैसी कई पहचान हैं।
अपने साथियों द्वारा “द बॉस” के नाम से मशहूर नाचन लंबे समय से जिहादी हलकों में एक अहम शख्सियत रहा है, न सिर्फ़ आतंकी मामलों से जुड़ी कानूनी सलाह के लिए, बल्कि अपने नवजात बच्चों के नामकरण के लिए भी लोग उससे संपर्क करते है।
1992 में CBI ने शाकिब को “कनिष्का विमान क्रैश” केस में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। उस समय वह SIMI (Students Islamic Movement of India) का महाराष्ट्र प्रेसिडेंट था। इस संगठन पर भारत में आतंक फैलाने का आरोप रहा है।
2002 में प्रसिद्ध वकील सुभाष शेरेकर की हत्या में शाकिब पर गंभीर आरोप लगे थे। सुभाष ने साकिब के पिता हामिद नाचन के खिलाफ केस लड़ा था। इस हत्या के मामलें में गवाहों के मुकर जाने और सबूतों की कमी के चलते साकिब बरी हो गया।
9 दिसंबर 2023 को NIA ने महाराष्ट्र के पडघा, बोरिवली, ठाणे, मीरा रोड और पुणे में 44 ठिकानों पर छापेमारी की। इन छापों में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें सबसे प्रमुख नाम था — साकिब नाचन। NIA के अनुसार, इन अभियुक्तों ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और देश में हथियारबंद हमलों की तैयारी कर रखी थी। बोरिवली, पडघा को ‘अल-शाम’ नामक “Liberated Zone” घोषित कर इसे ISIS का गढ़ बनाने की योजना थी। बड़ी मात्रा में अवैध नकदी, हथियार, दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद हुए।
साकिब नाचन को मुंबई में दिसंबर 2002 से मार्च 2003 के बीच हुए तीन बम धमाकों से में दोषी पाया गया, जिनमें 6 दिसंबर 2002 के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर धमाके में 27 घायल हुए थे, साथ ही जनवरी 2003 के विले पार्ले में धमाके में 1 महिला की मौत हुई थी और 25 घायल थे और मार्च 2003 में मुलुंड स्टेशन पर बम धमाका, 11 मरे, 82 घायल हुए थे। इन धमाकों में साकिब नाचन की स्पष्ट संलिप्तता पाई गई थी। इन धमाकों में साकिब को अवैध हथियार रखने के अपराध में दोषी ठहराया गया और 10 साल की सजा मिली। वह पहले ही 8 साल 4 महीने जेल में रह चुका था, इस कारण 2017 में रिहा हो गया।
2001 में तारिक गुजर नामक सरपंच की हत्या में भी साकिब का नाम आया था। कहा गया कि हत्या में दो बाइक सवारों को भेजा गया था। लेकिन इस केस में भी वह दोषमुक्त रहा।
2 दिसंबर 2002 को घाटकोपर में हुए बम धमाके में भी साकिब पर शक जताया गया। लेकिन कोर्ट में पर्याप्त सबूत न होने की वजह से उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। 2002 में वकील ललित जैन की हत्या में भी साकिब पर आरोप लगे थे। लेकिन एक बार फिर गवाह और सबूतों की कमी के कारण वह बरी हो गया।
2012 में विहिप के वकील मनोज रायचा पर “Oye Punjabi Dhaba” पर मीटिंग के बाद जानलेवा हमला हुआ। हमले की साजिश का आरोप साकिब पर है। आरोपी हमलावर — अबू बकर और हमज़ा शेख उर्फ़ गुड्डू — ने हमला किया, जिसमें रायचा बच गए। यह मामला अभी भी अदालत में लंबित है।
साकिब पर आरोप है कि उसने माहुली और वाघोली के जंगलों में AK-47 और हथियार प्रशिक्षण शिविर लगाए थे। 2001–02 के बीच उसने आजमगढ़ से एक मौलवी बुलाया और वाघोली डोंगर पर मज़ार बनाकर जमीन पर कब्जा किया। ये मज़ार दो बार हटाई गई, लेकिन फिर RCC फिटिंग करके दोबारा खड़ी की गई। अंततः स्थानीय लोगों ने इसे हटाया।
पुलिस जब साकिब को गिरफ्तार करने पहुंचती थी, तब गांव की महिलाएं उसे ढाल बनाकर पुलिस पर थूकने और पत्थरबाज़ी करने जैसे कृत्यों में शामिल होती थीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि शाकिब ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल सिर्फ डर पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि समुदाय को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए भी किया है।
साकिब नाचन का आर्थिक साम्राज्य और काले धंधे:
साकिब नाचन का आपराधिक नेटवर्क केवल आतंकी गतिविधियों तक सीमित नहीं था, बल्कि उसने वर्षों में एक गहरा और मजबूत आर्थिक साम्राज्य खड़ा किया है। इस साम्राज्य की रीढ़ उसका भतीजा आफिक बताया जाता है, जिसे राजस्थान ATS ने कन्हैयालाल हत्याकांड में गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह ज़मानत पर है। आफिक की आय के स्रोतों पर नजर डालें तो बीफ तस्करी से लेकर जंगलों की लकड़ी की अवैध कटाई तक तमाम गैरकानूनी गतिविधियां सामने आती हैं।
ग्रामीणों के अनुसार साकिब का नाम बोरिवली और पडघा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बीफ तस्करी से भी जुड़ा दिखता है। इन इलाकों में कई बीफ रेस्टोरेंट्स और गोमांस की अवैध सप्लाई चेन उसके नेटवर्क द्वारा चलाई जाती है। हैरानी की बात ये है कि इन रेस्टोरेंट्स के बाहर हिंदू नामों के बोर्ड होते हैं और काउंटर पर हिंदू युवक बैठे मिलते हैं, ताकि शक न हो।
सूत्रों की जानकारी है की, साकिब जमीन खरीदने वालों से जबरन प्रोटेक्शन मनी वसूलता था। जो भी व्यक्ति भिवंडी में सिरे से जमीन लेता, उससे न केवल सुरक्षा के नाम पर धन ऐंठा जाता, बल्कि उस जमीन पर निर्माण करने के लिए साकिब अपने ही लोगों की नियुक्ति की शर्त रखता। यदि कोई विरोध करता है, तो उस पर दहशत और हिंसा के ज़रिए दबाव डाला जाता था।
जानकारी है की साकिब के गुर्गों ने “गोट फार्म्स” के नाम पर वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर रखा था। इसी तरह चराई की जमीन पर भी उसका नियंत्रण रहा। ग्रामीणों के अनुसार यहीँ एक पेट्रोल पंप चल रहा था और उससे होने वाली कमाई साकिब पहुंचती थी। इसके अलावा साकिब के आदमी टैंकरों से पेट्रोल चोरी करने और खदानों में अवैध खनन में लिप्त पाए गए हैं। पाछापुर रोड, खांबाला और शिरोले की खदानें इसका उदाहरण हैं।
स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर साकिब की गहरी पकड़ थी। उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं रखता था। सूत्रों का यह भी दावा है कि वह सरकारी लैब्स की फॉरेंसिक रिपोर्ट्स तक को मैनेज करने में सक्षम था, जिससे उसके खिलाफ सबूत मिटाए जा सकें। यह नेटवर्क जितना आर्थिक रूप से शक्तिशाली है, उतना ही कानून और न्याय प्रणाली को प्रभावित करने की क्षमता भी रखता है।
ग्राम राजनीति और सामाजिक दमन:
साकिब नाचन का प्रभाव सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में नहीं, बल्कि बोरिवली और पडघा की ग्राम राजनीति में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। समता नगर जैसे हिंदू बहुल हिस्सों में वह और उसके लोग लगातार दबाव बनाते हैं। जब प्रशासन ने समता नगर के लिए वर्षों बाद सड़क निर्माण की मंजूरी दी, तो इसके प्रतिशोध में उस क्षेत्र की प्रतिनिधि महिला के घर को जलाने की घटना घटी। उनकी गाड़ी फूंकी दी गई और जिसमें बेडरूम तक राख हो गया।
साकिब के गांव में मुस्लिम बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजा जाता। केवल गैर-मुस्लिम बच्चे ही उन स्कूलों में पढ़ते हैं। ग्रामीण सत्ता पर साक़िब का वर्चस्व इस हद तक था कि भिवंडी के पडघा बोरीवली ग्राम पंचायत में सिर्फ मुस्लिम प्रतिनिधि चुने जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, गांव में हिन्दू परिवारों को अलग-थलग करने, विकास से वंचित रखने और उन्हें पलायन के लिए मजबूर करने की कोशिशें कई सालों से चल रही हैं। यह न केवल धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक है बल्कि शासन व्यवस्था की गंभीर विफलता का भी द्योतक है।
ग्रामीण इलाकों, पुलिस प्रशासन, अदालत, राजनीति के साथ ही आपराधिक और आतंकी गतिविधियों में साक़िब की पकड़ थी। इसी पकड़ के चलते साक़िब नाचन को ‘बाहुबली आतंकी’ कहा जाए तो भी ग़लत नहीं।
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