दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण धमाके की जांच में बड़ा मोड़ आया है। सुरक्षा बलों ने शुक्रवार(14 नवंबर) तड़के पुलवामा में आरोपी डॉक्टर उमर नबी के घर को नियंत्रित विस्फोट (कंट्रोल्ड डेमोलिशन) के जरिए उड़ा दिया। यह कार्रवाई गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात को की गई। अधिकारियों ने बताया कि यह कदम जांच के तहत एहतियात और सबूतों के विश्लेषण के बाद उठाया गया।
डॉक्टर उमर नबी की पहचान की आधिकारिक पुष्टि डीएनए रिपोर्ट से हुई, जिसमें ब्लास्ट की जगह से मिले नमूनों का मिलान उनकी मां के डीएनए से हुआ। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार (10 नवंबर)को हुए रेड फोर्ट धमाके में इस्तेमाल Hyundai i20 कार को उमर ही चला रहा था, हालांकि हमले में उसकी सटीक भूमिका की जांच अभी जारी है। धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी और 20 से अधिक घायल हुए थे।
धमाके के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पुलवामा और आसपास के इलाकों में लगातार छापेमारी की। इन अभियानों में छह लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें उमर के तीन परिजन भी शामिल हैं। जांच अधिकारियों के मुताबिक, उमर पिछले दो वर्षों में तेजी से कट्टरपंथी विचारों की ओर झुकता गया और कई हार्डलाइन ऑनलाइन मैसेजिंग समूहों से जुड़ा हुआ पाया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “उमर को उसके समुदाय में एक प्रतिभाशाली और पढ़ाई में उत्कृष्ट डॉक्टर माना जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में वह कई गुप्त चैनलों के जरिए कट्टरपंथी संपर्कों में सक्रिय था।”
जांच में यह भी सामने आया है कि उमर और दो अन्य कश्मीरी डॉक्टर, डॉ. मुझम्मिल अहमद गनी और डॉ. शहीन सईद अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए स्विट्जरलैंड आधारित एन्क्रिप्टेड ऐप थ्रिमा का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके अलावा, अधिकारियों ने बताया कि उमर ने कुछ गिने-चुने सदस्यों वाला एक छोटा Signal समूह भी बनाया था, जिसके माध्यम से ऑपरेशन के कुछ हिस्सों की योजना तैयार की जाती थी।
पुलिस के अनुसार, इस मॉड्यूल ने अब तक 26 लाख रुपये से अधिक की नकदी इकट्ठा की थी, जिसकी जिम्मेदारी उमर को दी गई थी। इसी धन का उपयोग करीब 26 क्विंटल NPK खाद खरीदने में किया गया — जिसकी कीमत लगभग 3 लाख रुपये बताई गई। NPK उर्वरक को अन्य रसायनों के साथ मिलाकर शक्तिशाली IED तैयार किए जा सकते हैं। आपूर्तिकर्ता गुरुग्राम, नूंह और आसपास के क्षेत्रों से थे।
एजेंसी पीटीआई के सूत्रों ने बताया कि इस मॉड्यूल के करीब आठ सदस्य चार शहरों में दो-दो की टीम बनाकर समन्वित विस्फोटों को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। आरंभिक जांच में यह आशंका भी जताई गई है कि दिल्ली धमाका उसी बड़ी साजिश का हिस्सा था।
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