पुणे की विशेष अदालत ने 2012 जेएम रोड सीरियल ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी असद खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है। औरंगाबाद निवासी 46 वर्षीय असद खान को 20 दिसंबर 2012 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह 13 साल से अधिक समय से जेल में बंद है।
खान ने अदालत से राहत मांगते हुए दलील दी थी कि लंबे समय से मुकदमे में देरी के कारण वह बिना निष्कर्ष के कैद में है। उसके वकील ने बताया कि नौ साल चार महीने से अधिक की हिरासत में रहते हुए अब तक केवल 300 में से 23 गवाहों की ही गवाही पूरी हो पाई है। बचाव पक्ष का कहना है कि यह स्थिति उनके जीवन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और शीघ्र सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है।
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि असद खान का सीधे तौर पर बम लगाने और आईईडी बनाने में हाथ था। अदालत ने अभियोजन के दावों को देखते हुए कहा कि रिकॉर्ड की पड़ताल से प्रथम दृष्टया यह सामने आता है कि खान की सक्रिय भागीदारी के सबूत मौजूद हैं।
अदालत ने यह भी टिप्पणी की, “गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी केवल अभियोजन की वजह से नहीं हुई है। रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि मुकदमे की प्रक्रिया के दौरान कई बार आरोपी पक्ष की ओर से विभिन्न अर्ज़ियां दाखिल की गईं, जिससे कार्यवाही में बाधा आई।”
इस प्रकार, अदालत ने माना कि ट्रायल में देरी का ठीकरा केवल अभियोजन पर नहीं फोड़ा जा सकता और उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए खान को जमानत नहीं दी जा सकती। 2012 का जेएम रोड सीरियल ब्लास्ट पुणे में उस समय हुआ था जब भीड़-भाड़ वाले इलाके में एक के बाद एक धमाके हुए थे। इस हमले ने पूरे शहर को दहला दिया था और जांच एजेंसियों ने इसे बड़े आतंकी षड्यंत्र से जोड़कर देखा था।
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