रायबरेली: जाली जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में एटीएस द्वारा 3 गिरफ्तार।

एटीएस की अब तक की जांच से यह बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भारत में बसाने वाले गिरोह का यह काम होने की बात सामने आ रही है। इस षड्यंत्र के पीछे कौन है इसका पता लगाने में एटीएस जुटी है। पर ऐसा ही खेल कानपूर, उन्नाव, प्रयागराज, लखनऊ में भी हो रहें है।

रायबरेली: जाली जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में एटीएस द्वारा 3 गिरफ्तार।

RaeBareli: 3 arrested by ATS for making fake birth certificates.

गुरुवार (25 जुलाई ) के दीन एंटी टेरोरिज्म स्कॉड (एटीएस) ने रायबरेली के सीलोन कस्बे से जन सूविधा केंद्र चलाने वाले 3 को फर्जी जन्म प्रमाणपत्र देने के प्रकरण में गिरफ्तार किया है। इसी के साथ जन सुविधा केंद्र चलने वाले मुख्य आरोपी जीशान के किराएदार और ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव को भी फर्जी प्रमाणपत्र के मामले में गिरफ्तार किया गया है।

एंटी टेरोरिज्म स्कॉड (एटीएस) ने अपनी शुरुवाती जांच में 20 हजार से 30 हजार के बने फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए गए है, जिनके धारक किसी और राज्य, शहर या प्रान्त में रहते है। साथ ही उन्हें इन प्रमाणपत्र बनवाने वालों के कनेक्शन एक ही जन सुविधा केंद्र से मिले, जिसके चलते इस केंद्र के संचालक मोहम्मद जिशान को उसके पिता रियाज खान और भाई सुहैल को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब इस मामले में छानबीन के लिए एंटी टेरोरिज्म स्कॉड (एटीएस) जुट गई है।

कहा जा रहा है की, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बसने के लिए इस तंत्र का उपयोग किया जा रहा था। एटीएस के मुताबिक जिशान इस खेल का मुहरा मात्र है, हो इनके जन्म प्रमाणपत्र बनवा रहा था, जबकि सूत्रधार कोई और है। भाजप के स्थानीय विधायक अशोक कुमार ने इसे आतंकी साजिश बताया है।

बता दें की, मामले का भांडाफोड़ होते ही, ग्रामविकास अधिकारी विजय यादव ने खुद पुलिस में शिकायत दर्ज की थी, विजय का कहना है की जीशान ने उससे धोखे से उससे लॉगिन आईडी पासवर्ड लेकर 25000 फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए है। इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी अर्पित उपाध्याय ने बताया है की, जिनकी आईडी पॉसवर्ड दिया गया था उस अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है, अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जारी किए गए सभी फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी जिसके आदेश भी दिए गए है, इसी के एतियात के तौर पर सभी जनसेवा केंद्रों की जांच की जाएगी।

एटीएस की अब तक की जांच से यह बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भारत में बसाने वाले गिरोह का यह काम होने की बात सामने आ रही है। इस षड्यंत्र के पीछे कौन है इसका पता लगाने में एटीएस जुटी है। पर ऐसा ही खेल कानपूर, उन्नाव, प्रयागराज, लखनऊ में भी हो रहें है। फ़िलहाल एटीएस ने इस मामले को रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठ से जुड़े मामले में असम, कर्नाटक, केरल, मुंबई, बिहार में हुई गिरफ्तारियों के साथ जोड़ना शुरू किया है।

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बता दें की विजय यादव के कार्यक्षेत्र में कई गांव आते है, जिसमें से नूरउद्दीन गांव में सबसे अधिक 12,200 फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए है। जबकि इस गांव की आबादी केवल 7-8 हजार के बीच है। साथ ही पलाही गांव के पते पर 820 के करीब फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए है।

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