26 C
Mumbai
Thursday, December 11, 2025
होमक्राईमनामासुप्रीम कोर्ट ने 1996 ड्रग प्लांटिंग केस में संजीव भट्ट की याचिका...

सुप्रीम कोर्ट ने 1996 ड्रग प्लांटिंग केस में संजीव भट्ट की याचिका खारिज की, कापिल सिब्बल ने की पैरवी

Google News Follow

Related

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 दिसंबर) को पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट की  याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 1996 ड्रग प्लांटिंग केस में सुनाई गई 20 साल की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। भट्ट पहले से ही कई गंभीर मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं, इस मामले में राहत पाने में नाकाम रहे।

याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कापिल सिब्बल ने भट्ट की ओर से दलीलें रखते हुए कहा कि भट्ट ने लगभग 7 साल 3 महीने की सजा काट ली है। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है। जस्टिस माहेश्वरी ने मामले में शामिल उच्च मात्रा (5 किलो) ड्रग्स की ओर इशारा किया। इस पर सिब्बल ने तर्क दिया कि अभियोजन इसका प्रमाण नहीं दे सका और वास्तविक दोषसिद्धि 1.015 किलोग्राम अफीम के लिए हुई है, जो NDPS कानून के तहत वाणिज्यिक मात्रा में नहीं आती।

राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने सिब्बल के तर्कों का तथ्यात्मक आधार पर विरोध किया। उन्होंने कहा, “वह उस समय DSP थे… उन्होंने अफीम खरीदवाने की साजिश रची… इसे गेस्ट हाउस में रखवाया… कॉन्स्टेबल को पैसे दिए… अंतिम बरामदगी 1.015 किलो है, लेकिन पूरे 4 किलो और दिखाऊंगा… अफीम डेरिवेटिव की वाणिज्यिक मात्रा 250 ग्राम है, और यहां 1 किलो से अधिक बरामद हुआ है, इसलिए 20 साल की सजा हुई।”

पिछले साल भी भट्ट ने यह मामला दूसरी सेशन कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, आरोप लगाए कि ट्रायल जज पक्षपाती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका न सिर्फ खारिज की, बल्कि ₹3 लाख का जुर्माना भी लगाया, यह कहते हुए कि उन्होंने गलत तरीके से ट्रायल कोर्ट पर पक्षपात का आरोप लगाया था।

मार्च 2024 में गुजरात के बनासकांठा जिले की पालनपुर सेशन कोर्ट ने पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को दोषी ठहराया। 1996 में उन्होंने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को झूठे ड्रग केस में फंसाने के लिए 1.5 किलो अफीम एक होटल में रखवाई थी। गुजरात CID ने भट्ट को गिरफ्तार किया और राजस्थान पुलिस की जांच में पता चला कि राजपुरोहित निर्दोष थे और पूरी कार्रवाई सबूत गढ़कर की गई थी।

भट्ट पहले से ही 1989 कस्टोडियल डेथ केस में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। 2019 में जामनगर की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था। उस समय भट्ट ASP थे और दंगे के दौरान 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से एक व्यक्ति प्रभुदास वैशनानी की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी। भट्ट को 2015 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

यह भी पढ़ें:

गृहमंत्री अमित शाह और सरसंघचालक मोहन भागवत का आज से अंदमान दौरा

“अमेरिका खुद भारत को दूर धकेल रहा है” मोदी–पुतिन कार सेल्फी अमेरिकी संसद में चर्चा

इंडिगो अव्यस्था से प्रभावित यात्रियों को ₹10,000 तक के ट्रैवल वाउचर देने की घोषणा

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,690फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें