दिल्ली हाईकोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में आरोपी और कश्मीर का अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने 28 मई को याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब घोषित करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया गया।
एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने शब्बीर शाह को 4 जून 2019 को गिरफ्तार किया था। एजेंसी का आरोप है कि शाह ने हवाला नेटवर्क के जरिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से फंडिंग हासिल की और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई।
एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि शब्बीर शाह के संबंध हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैय्यद सलाहुद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और इफ्तिखार हैदर राणा जैसे पाकिस्तानी आतंकियों से थे। जांच एजेंसी के अनुसार, शाह ने हवाला के जरिए आतंकियों तक पैसा पहुंचाया और जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने की साजिश का हिस्सा रहा।
सुनवाई के दौरान शब्बीर शाह के वकील ने तर्क दिया कि उनकी उम्र 74 वर्ष है और वह पिछले 6 वर्षों से जेल में बंद हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में करीब 400 गवाह हैं, लेकिन अब तक केवल 15 की गवाही ही पूरी हुई है। वकील ने कहा कि अभी तक कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ है और ट्रायल लंबा चलेगा, ऐसे में उन्हें जमानत दी जाए।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने माना कि यह मामला राष्ट्र की सुरक्षा, आतंकवाद और हवाला फंडिंग जैसे गंभीर आरोपों से जुड़ा है, इसलिए शब्बीर शाह को रिहा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट के इस फैसले से एनआईए को कानूनी मजबूती मिली है। एजेंसी अब इस मामले में आगे की सुनवाई और जांच प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा सकेगी। शब्बीर शाह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।
यह मामला कश्मीर में टेरर नेटवर्क और अलगाववादी गठजोड़ के खिलाफ चल रही कार्रवाई का अहम हिस्सा माना जा रहा है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों और सुरक्षा एजेंसियों में भी हलचल तेज हो गई है।
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