सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश बंगले के निर्माण मामले में केंद्रीय उद्योग मंत्री नारायण राणे को जबर्दस्त झटका मिला है| सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने के हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए नारायण राणे की याचिका खारिज कर दी है| यह याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय ओक की पीठ के समक्ष थी। नारायण राणे की ओर से मुकुल रोहतगी ने दलील दी। बीएमसी की ओर से वकील तुषार मेहता थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपको अधिकतम दो महीने का समय दिया जा सकता है। इस संरचना को दो महीने के भीतर स्वयं बनाएं।अन्यथा बीएमसी आगे की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
जुहू में राणे के आदिश बंगले के निर्माण को एक बार फिर अवैध घोषित करते हुए हाईकोर्ट ने मुंबई नगर निगम को दो सप्ताह के भीतर इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं, निर्माण को नियमित करने के लिए फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर राणे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था, जिसे कभी अवैध घोषित किया गया था।
वही, इस जगह को कमरों में तब्दील कर दिया गया। अधिकारियों ने देखा कि बेसमेंट अवैध रूप से बनाया गया था। स्वीकृत निर्माण से अधिक निर्माण करने पर नगर निगम ने राणे को नोटिस दिया था। मुंबई नगर निगम द्वारा तोड़क कार्रवाई की संभावना पर विचार करते हुए,राणे ने बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
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