मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमलों का आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा न सिर्फ इस हमले की साजिश में शामिल था, बल्कि हमलावर आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ दिलाने की ख्वाहिश भी रखता था। अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा जारी बयान में यह खुलासा हुआ है। बयान में राणा और उसके साथी डेविड कोलमैन हेडली (उर्फ दाऊद गिलानी) के बीच की बातचीत का जिक्र किया गया है, जिसमें राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के मारे गए आतंकियों को इस सम्मान के लायक बताया था।
बयान के अनुसार, “राणा ने हेडली से कहा था कि भारतीय ‘इसके लायक थे’। बातचीत के दौरान उसने 26/11 हमले में मारे गए नौ लश्कर आतंकियों को ‘निशान-ए-हैदर’ देने की बात कही।”
गौरतलब है कि ‘निशान-ए-हैदर’ पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान है, जिसे अब तक केवल 11 बार ही दिया गया है और वह भी केवल पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के सदस्यों को, जो युद्ध में असाधारण बहादुरी दिखाते हैं।
अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया तहव्वुर राणा
अमेरिका ने बुधवार, 9 अप्रैल को कनाडाई नागरिक और पाकिस्तान मूल के तहव्वुर राणा को भारत को सौंप दिया। उसे 2008 के मुंबई हमलों में कथित भूमिका को लेकर भारत में लंबित 10 आपराधिक मामलों में मुकदमे का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किया गया। अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक यह कदम उन छह अमेरिकी नागरिकों सहित सभी पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है, जिनकी जान उस भयावह हमले में गई थी।
2013 में भी तहव्वुर राणा को अमेरिका के इलिनोइस में लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और डेनमार्क के कोपेनहेगन में आतंकी हमले की साजिश के मामले में 14 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। उसी केस में डेविड हेडली को मुंबई हमले और डेनमार्क अखबार पर हमले की योजना में शामिल होने के आरोप में 35 साल की सजा हुई थी।
एनआईए की कस्टडी में 18 दिन
राणा को गुरुवार को नई दिल्ली लाया गया, जहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया और फिर स्पेशल कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने राणा को 18 दिनों की NIA कस्टडी में भेज दिया है। जांच एजेंसी अब उससे मुंबई हमलों की साजिश, फंडिंग और लश्कर के नेटवर्क से जुड़े अहम सुराग हासिल करने की कोशिश करेगी।
26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल होकर ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, सीएसटी रेलवे स्टेशन और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले में 164 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए। सुरक्षा बलों ने 9 आतंकियों को मौके पर मार गिराया, जबकि एकमात्र जीवित पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को बाद में फांसी दी गई।
पाकिस्तान की भूमिका पर फिर उठे सवाल
तहव्वुर राणा के नए खुलासों और पाकिस्तान के सर्वोच्च सैन्य सम्मान को लेकर की गई टिप्पणियों से एक बार फिर इस हमले में पाकिस्तानी भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। राणा जैसे आरोपियों की मानसिकता यह दिखाती है कि आतंकवादियों को नायक के रूप में पेश करने की कोशिशें पाकिस्तान समर्थक तंत्र में किस हद तक मौजूद हैं।
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