उम्र कैद की सजा काट रहा अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली ने बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच को याचिका लगा कर रहम की भीख मांगी है। अरुण गवली क़त्ल के एक मामले में सजा काट रहा है। गवली ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 2006 में जारी किये एक सर्कुलर का हवाला दिया है। जिसमें कहा गया था कि जिन कैदियों ने चौदह साल की सजा काट ली है तथा उनकी उम्र 65 साल हो गई है उन्हें रिहा कर दिया जाए।
30 लाख की सुपारी दी गई थी: गौरतलब है कि अरुण गवली 2008 से जेल में बंद है। और वह अब 70 साल का हो गया है। बताया जाता है कि 2007 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर विजय गिरि नामक एक व्यक्ति ने उन्हें उनके आवास पर गोली मार दी थी। जांच के बाद पता चला कि जामसांडेकर की हत्या गवली के इशारे पर की गई थी। इस हत्या के लिए 30 लाख की सुपारी दी गई थी. यह हत्या एक जमीन सौदे को लेकर की गई थी। इसके बाद 2008 में अरुण गवली को गिरफ्तार किया गया। निचली अदालत ने 2012 गवली को दोषी करार दिया और उसे उम्र कैद की सजा सुनाई। हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा।
गैंग में 800 लोग शामिल थे: कहा जाता है कि मुम्बई धमाके के बाद सभी बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन मुंबई छोड़कर चले गए थे। इस दौरान मुंबई में दो नाम प्रसिद्ध थे वह नाम था अरुण गवली और अमर नाइक। दोनों में एक दूसरे के अदावत बनी हुई थी। इसी बीच गवली का एक शूटर ने नाइक के भाई पर हमला कर दिया लेकिन वह बच गया। इसके बाद एक मुठभेड़ में नाइक मार दिया गया। जबकि उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया गया तब से अरुण गवली मुंबई पर राज करने लगा। गवली मुंबई सेंट्रल के दगली चाल में रहता था। वह सफेद कुर्ता और सफेद टोपी लगाता था। जहां वह कड़ी सुरक्षा के बीच रहता था। बताया जाता है कि उसके गैंग में 800 लोग शामिल थे। इतना ही उसके गैंग शामिल हथियार चलाने आता था। उन्हें ट्रेनिंग देकर ट्रेंड किया जाता था। इन सभी हर महीने वेतन दिया जाता था।
व्यापारी और बिल्डरों की पैसे लेकर मदद की: बताया जाता है कि मुंबई के कई व्यापारी और बिल्डर अपने दुश्मनों को रास्ते से हटाने के लिए गवली की मदद लेते थे। इसके एवज में गवली पैसे लेता था। इसके अलावा रंगदारी और वसूली भी करता था। इस तरह से गवली ने मुंबई में अपना पैर पसार लिया। हालांकि अब गवली कोर्ट से रहम की भीख मांग रहा है। गवली ने अपनी याचिका में अपने स्वास्थ्य का भी हवाला दिया है।
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