जीवन में जब हम बड़े लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ते हैं, तो कई बार ये देखना भी जरूरी होता है कि हम चले कहां से थे,
वर्ष 2014 से पहले अखबार की सुर्खियों में किसकी बात होती थी? टेलीविजन चैनलों में किसकी चर्चा होती थी? आज वक्त बदल चुका है। आज चर्चा होती है सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की। आज चर्चा होती है दुनिया में भारत के स्टार्टअप की, आज चर्चा होती है भारत के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की, आज चर्चा होती है भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के साथ आगे बढ़ने की। आज चर्चा जन-धन खातों से मिलने वाले फायदों की हो रही है, जनधन-आधार और मोबाइल से बनी त्रिशक्ति की हो रही है। पहले रसोई में धुआं सहने की मजबूरी थी, आज उज्ज्वला योजना से सिलेंडर पाने की सहूलियत है। पहले खुले में शौच की बेबसी थी, आज घर में शौचालय बनवाकर सम्मान से जीने की आजादी है। पहले इलाज के लिए पैसे जुटाने की बेबसी थी, आज हर गरीब को आयुष्मान भारत का सहारा है। पहले ट्रिपल तलाक का डर था, अब अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का हौसला है।
2014 से पहले देश की सुरक्षा को लेकर चिंता थी, आज सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का गर्व है, हमारी सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित है। पहले देश का नॉर्थ ईस्ट अपने असंतुलित विकास से, भेदभाव से आहत था। आज हमारा नॉर्थ ईस्ट दिल से भी जुड़ा है और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भी जुड़ रहा है। सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण के लिए बनी योजनाओं ने लोगों के लिए सरकार के मायने ही बदल दिए हैं। अब सरकार माई-बाप नहीं है, अब सरकार सेवक है। अब सरकार जीवन में दखल देने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है।
हम लोग अक्सर सुनते हैं कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन सिस्टम वही रहता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस सिस्टम को गरीबों के लिए ज्यादा संवेदनशील बनाया और उसमें निरंतर सुधार किए। पीएम आवास योजना हो, स्कॉलरशिप देना हो या फिर पेंशन योजनाएं, टेक्नोलॉजी की मदद से भ्रष्टाचार का स्कोप कम से कम कर दिया है। जिन समस्याओं को पहले ‘स्थाई’ मान लिया गया था, अब उसके ‘स्थाई समाधान’ के प्रयास हो रहे हैं।
जब सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण का लक्ष्य हो, तो कैसे काम होता है, इसका एक उदाहरण है ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम’। इस योजना के माध्यम से 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 21 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। ये हमारे छोटे किसानों की उनके सम्मान की निधि हैं। बीते 8 साल में ऐसे ही ‘डीबीटी’ के जरिए सरकार ने 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे देशवासियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। और ऐसा नहीं हुआ कि 100 पैसे भेजे, तो पहले 85 पैसे लापता हो जाते थे। आज जितने पैसे भेजे गए, वो पूरे के पूरे सही पते पर, सही लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे गए हैं।
आज इस योजना की वजह से सवा दो लाख करोड़ रुपए की लीकेज रुकी है। पहले यही सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में चले जाते थे। इसी ‘डीबीटी’ की वजह से देश में सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाने वाले 9 करोड़ से ज्यादा फर्जी नामों को सरकार ने लिस्ट से हटाया है। पहले फर्जी नाम कागजों में चढ़ाकर गैस सब्सिडी, बच्चों की पढ़ाई के लिए भेजी गई फीस, कुपोषण से मुक्ति के लिए भेजा गया पैसा, सब कुछ लूटने का देश में खुला खेल चल रहा था। अगर कोरोना के समय यही 9 करोड़ फर्जी नाम कागजों में रहते, तो क्या गरीब को सरकार के प्रयासों का लाभ मिल पाता?
गरीब का जब रोजमर्रा का संघर्ष कम होता है, जब वो सशक्त होता है, तब वो अपनी गरीबी दूर करने के लिए नई ऊर्जा के साथ जुट जाता है। इसी सोच के साथ सरकार पहले दिन से गरीब को सशक्त करने में जुटी है। उसके जीवन की एक-एक चिंता को कम करने का प्रयास कर रही है। आज देश के 3 करोड़ गरीबों के पास उनके पक्के और नए घर हैं, जहां आज वो रहने लगे हैं। देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के पास 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है। 25 करोड़ से अधिक गरीबों के पास 2-2 लाख रुपए का एक्सीडेंट इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस है। लगभग 45 करोड़ गरीबों के पास जनधन बैंक खाता है। देश में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा, जो सरकार की किसी न किसी योजना से जुड़ा न हो और वो योजना उसे लाभ न देती हो। नरेंद्र मोदी सरकार ने गांव में रहने वाले 6 करोड़ परिवारों को साफ पानी के कनेक्शन से जोड़ा है। 35 करोड़ मुद्रा लोन देकर गांवों और छोटे शहरों में करोड़ों युवाओं को स्वरोजगार का अवसर दिया है। रेहड़ी-ठेले-पटरी पर काम करने वाले लगभग 35 लाख साथियों को भी पहली बार बैंकों से ऋण मिला है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में बैंक से पैसा प्राप्त करने वालों में 70 प्रतिशत हमारी माताएं-बहनें हैं जो उद्यमी बनकर आज लोगों को रोजगार दे रही हैं।
बीते 8 वर्षों के मोदी सरकार के प्रयासों के जो नतीजे मिले हैं, उनसे भारत का प्रत्येक व्यक्ति बहुत विश्वास से भरा हुआ है। हम भारतवासियों के सामर्थ्य के आगे कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है। आज भारत रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर रहा है। 8 साल पहले स्टार्ट अप्स के मामले में हम कहीं नहीं थे, आज हम दुनिया के तीसरे बड़े स्टार्ट अप इकोसिस्टम हैं। करीब-करीब हर हफ्ते हजारों करोड़ रुपए की कंपनी हमारे युवा तैयार कर रहे हैं। आने वाले 25 साल के विराट संकल्पों की सिद्धि के लिए देश नई अर्थव्यवस्था के नए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी तेजी से कर रहा है। हम एक दूसरे को सपोर्ट करने वाली मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर फोकस कर रहे हैं। आज सरकार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर फोकस कर रही है। देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण पर काम हो रहा है। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर क्रिटिकल हेल्थ केयर सुविधाएं तैयार हो रही हैं। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो, इस दिशा में काम चल रहा है।
बीते आठ वर्षों में आजादी के 100वें वर्ष के लिए यानि 2047 के लिए मजबूत आधार तैयार हुआ है। इस अमृतकाल में सिद्धियों के लिए एक ही मंत्र है-‘सबका प्रयास’। ‘सब जुड़ें, सब जुटें और सब बढ़ें’, इसी भाव के साथ सरकार के साथ हम सभी को भी मिलकर काम करना है। आइये हम संकल्प लें कि हम सब नए भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे।
(लेखक प्रो. संजय द्विवेदी,
भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक हैं)
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