अजित पवार और शिवपाल यादव की हालत एक जैसी, दोनों नेता हाशिये पर  

अजित पवार और शिवपाल यादव की हालत एक जैसी, दोनों नेता हाशिये पर  

राजनीति में महाराष्ट्र के नेता अजित पवार और समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव की हालत एक जैसी है। अजित पवार अपने चाचा के साए से दूर नहीं हो पाए और न ही वे अपना कोई अलग पहचान नहीं बना पाए। वैसे ही शिवपाल यादव भी अपने भतीजे से अलग होकर कुछ नया नहीं कर पाए और थक मांद कर एक बार फिर समाजवादी का पार्टी दामन थाम लिया है। दोनों नेताओं में कुछ चीजें कॉमन हैं। कहा जाता है कि अजित पवार के लंबी छलांग लगाने में कोई रोड़ा है तो उनके चाचा शरद पवार हैं। पिछले दिनों अजित पवार ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद से मुक्त किया जाए, और पार्टी संगठन में कोई पद दिया जाए। अजित पवार का यह दर्द तब छलका जब शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया। इसके अलावा  यही पद प्रफुल्ल पटेल को भी दिया गया है। लेकिन अजित पवार को कोई पद नहीं दिया गया।

जब अजित पवार ने यह बात कही तो इसका तो कुछ मतलब होगा ही। उन्होंने ऐसे ही मुंह उठाकर नहीं बोल दिया। वे भी समझते हैं की किसी पार्टी में किसी नेता को कोई पद नहीं होता है  तो उसकी औकात कैसी होती है। सही कहा जाए तो शरद पवार ने अजित पवार की अनदेखी की है। वे लाख बातें बनाये लेकिन सचाई यही है कि शरद पवार ने अपनी बेटी को पार्टी का उत्तराधिकारी बनाने के लिए इस्तीफे चाल चले थे और उसमें वे कामयाब भी हुए। इसके कई कारण भी गिनाए जा चुके हैं। मै अपनी पिछली कई वीडियो में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव और शरद पवार और अजित पवार के रिश्तों पर बात की है। और यह बताने की कोशिश की है कि आखिर क्यों शरद पवार ने अजित पवार को किनारा लगाया।

वहीं, यूपी में मुलायम सिंह यादव ने भी  नाटकीयता के साथ समाजवादी पार्टी को अपने बेटे अखिलेश यादव को सौंपा। जिससे नाराज होकर शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाई और चुनाव भी लड़ा। लेकिन उन्हें कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। शिवपाल यादव कभी भी मुलायम सिंह के रहते सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे मुलायम सिंह यादव नाराज हुए  हो, लेकिन मुलायम सिंह यादव भी अपने भाई शिवपाल यादव को पार्टी की कमान देने के बारे में नहीं सोचे। हर बाप को अपना बेटा बेटी प्यारा होता है। और तमाम उठापटक के बाद अखिलेश  यादव ने पार्टी की कमान संभाली थी।

सीधी बात करें तो अगर शिवपाल सिंह सपा मुखिया होते तो वे भी अपने बेटे को ही आगे बढ़ाने की कोशिश करते। अपनी पार्टी बनाने के बाद शिवपाल सिंह यादव  ने कभी बीजेपी की ओर झुकाते हुए देखा गया तो कभी खुद को स्थापित करने की कवायद की। पर मुलायम सिंह यादव के समय वाली उनकी हैसियत नहीं लौटी. जब मुलायम सिंह यादव के हाथ में पार्टी थी तो शिवपाल यादव नंबर दो की हैसियत रखते थे. वहीं अजित पवार ने अपने  चाचा से बगावत कर एक अलग मुकाम बनाने की कोशिश की, लेकिन वे शरद पवार के साये नहीं निकल पाए.

अजित पवार ने कुछ समय पहले ही सीएम बनने की ख्वाहिश जाहिर की थी। लेकिन अभी तक उनकी यह तमन्ना पूरी नहीं हो पाई। माना जाता है कि कुछ ऐसी ही भावना शिवपाल यादव में थी लेकिन उन्होंने मुलायम सिंह के रहते अपनी इस भावना को कभी भी सार्वजनिक नहीं कर पाए। और इसके लिए मुलायम सिंह कहीं न कहीं रोड़ा बनते रहे। उसी तरह अजित पवार के इस ख्वाइस में शरद पवार बाधक बनते रहे हैं , जब जब अजित पावर अपने लिए कोई संभावना तलाशते तब तब शरद पावर उनके रास्ते में आ जाते। पिछले दिनों अजित पवार को तब और झटका लगा जब  उन्हें पार्टी में कोई पद नहीं दिया गया। जबकि एक तरह कहा जा सकता है सुप्रिया सुले को पार्टी की कमान दे दी गई।

दोनों नेता अब अपने अपने वारिसों को आगे बढ़ाने में लगे है। एक ओर जहां मावल सीट  से अजित पवार ने अपने बेटे को चुनाव लड़ाया। लेकिन जीत नसीब नहीं हुई, कहा जाता है कि शरद पवार इस सीट से अपने भाई के छोटे बेटे को उतारना चाहते थे। इसी तरह, यूपी के जसवंत नगर से शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़ाना चाहते थे। लेकिन अखिलेश यादव ने  टिकट देने से इंकार कर दिया था। जहां से वे खुद चुनाव लड़े और जीत कर आये। यह कहानी 2022 के विधानसभा चुनाव की है।

अजित पवार और शिवपाल यादव दोनों नेताओं की स्थिति एक जैसी है। अजित पवार अपने चाचा के साए से नहीं उबार पाए। उसी तरह चाचा शिवपाल यादव भी अपने भतीजे से अलग होकर कहीं सफलता हासिल नहीं किये। वे आज परिवार के नाम पर समाजवादी पार्टी के साथ हैं। उसी तरह अजित पवार भी परिवार की राजनीति पर बटा न लगे , ऐसा सोच कोई कदम उठाने पर सोचते होंगे। पीएम मोदी ने देश की उन सभी राजनीति पार्टियों का नाम लिया जो परिवारवाद के अमरबेल से लिपटी हुई है और उन पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। इस दौरान पीएम मोदी ने शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का भी नाम लिया था। इस राजनीति बयानबाजी के बाद शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी पटना में 15 दलों की बैठक को पचा नहीं पा रहे हैं। इसलिए उन्होंने ऐसा बयान दिया।

पीएम मोदी ने सही कहा कि अगर शरद पवार की बेटी का भला चाहते हैं तो  एनसीपी को वोट दें, उसी तरह आगर मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव का भला चाहते है तो समाजवादी पार्टी को वोट। अगर अपने बेटे का भला चाहते हैं तो बीजेपी को वोट दें। कहा जा सकता है कि शरद पवार ने अपनी सुप्रिया सुले के लिए अजित पवार को पद मान सम्मान सबसे दूर कर दिया। उसी तरह, मुलायम सिंह ने अपने जीते जी अपने भाई को नंबर दो की हैसियत देते रहे ,लेकिन जब शिवपाल को पार्टी की कमान संभालने का मौक़ा आया तो बेटे को आगे कर दिया।

 

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