बीजेपी-कांग्रेस के सामने आप और “बाप”, क्या बिगड़ेगा खेल?    

पांच राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के आलावा सात ऐसे राजनीति दल हैं जो दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल कांग्रेस के सामने खड़ी होने वाली है। ये दल तीनों राज्यों या एक या दो राज्यों में चुनाव लड़ने का ऐलान किये है।

बीजेपी-कांग्रेस के सामने आप और “बाप”, क्या बिगड़ेगा खेल?    

चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। पांच राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के आलावा सात ऐसे राजनीति दल हैं जो दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल कांग्रेस के सामने खड़ी होने वाली है। ये दल तीनों राज्यों या एक या दो राज्यों में चुनाव लड़ने का ऐलान किये है। यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे कौन सी पार्टियां हैं, जो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उलटफेर तो नहीं कर सकती हैं, लेकिन अगर वे अच्छा प्रदर्शन करेंगी तो सरकार बनाने में उनकी भूमिका अहम हो जाएगी।

सबसे पहले बात करते हैं आम आदमी पार्टी यानी आप की। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर चुकी आप, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई बार इन तीनों राज्यों का दौरा कर चुनावी शंखनाद कर चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आप “इंडिया” गठबंधन में शामिल है। जिसमें कांग्रेस भी है। केजरीवाल अपनी रैलियों में कांग्रेस की जमकर आलोचना करते रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह कि आप इन तीनों राज्यों में पैर जमाने की कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि आप के इन राज्यों में आने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। बताया जा रहा है कि आप राजस्थान के पंजाब, दिल्ली और गुजरात से सटे राज्यों पर फोकस किये हुए हैं। यही वजह है कि कई मौकों पर केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी साथ रहें हैं। सबसे पड़ी बात यह है कि आप ने मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है।

माना जा रहा है कि गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी आप कांग्रेस की लुटिया डुबोएगी  . दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनाव में आप ने 12 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किया था और पांच उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। सबसे बड़ी बात यह है कि दो दर्जन सीटों पर आप दूसरे नंबर रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, आप की वजह से कांग्रेस गुजरात की 30 सीटें हार गई थी। जानकारों के अनुसार अगर आप शहरी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो  बीजेपी को नुकसान होगा। हालांकि, बीजेपी का अपना वोट बैंक है। ऐसा भी कहा जाता है कि बीजेपी का वोट बैंक कम ही इधर उधर होता है। लेकिन, कांग्रेस के वोटबैंक में आप की सेंधमारी हो सकती है।

इसके अलावा, भारतीय आदिवासी पार्टी भी राजस्थान में उतर रही है। इसे “बाप” भी कहा जाता है। इस पार्टी का इसी साल गठन किया गया है। इस पार्टी के ज्यादातर सदस्य भारतीय ट्राइबल पार्टी के हैं। बता दें कि भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 2018 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत दर्ज किया था। इस बार यह पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इस बार के चुनाव में पार्टी नए पुराने नेताओं के साथ चुनाव में उतर रही है। विधानसभा चुनाव में 25 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। वर्तमान में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में माना जा रहा है कि “बाप पार्टी” कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती है।

इसी तरह से, हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी इस बार के चुनाव में दमखम के साथ उतरने का दम भर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में आरएलपी तीन सीटों पर कब्जा जमाया था। दो सीटों पर दूसरे नंबर पर थी। बता दें कि राजस्थान में दस प्रतिशत से ज्यादा वोट जाटों का है. जो कांग्रेस और बीजेपी में बंटा हुआ था। कहा जा रहा है कि अगर इस बार के चुनाव में आरएलपी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगी।

वहीं, छत्तीसगढ़ में “जोगी कांग्रेस” अगर दमखम के साथ उतरती है तो दोनों दलों को भारी पड़ सकता है। वर्तमान में इस पार्टी के कर्ताधर्ता अजित जोगी के बेटे अमित जोगी हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में  5 उम्मीदवार जीत कर आये थे। जबकि दो सीटें ऐसी थीं जहां पर वह दूसरे नंबर पर थी। वहीं, दस सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था। बताया जा रहा है कि इस बार के चुनाव में “जोगी कांग्रेस” सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है। हालांकि, अजित जोगी के निधन के बाद से अमित जोगी के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा।बता दें कि अजित जोगी का 2020 में निधन हो गया था।

इधर, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ताल ठोंक रही है।  इस पार्टी से कांग्रेस ने गठबंधन करने की कोशिश की थी, लेकिन सीट शेयरिंग पर मामला फंसने की वजह से बात आगे नहीं बढ़ पाई। 2018 में यह पार्टी दोनों राज्यों में दो से तीन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि, जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। मध्य प्रदेश में दो सीटों और छत्तीसगढ़ में एक सीट पर दूसरे नंबर पर थी। इस बार यह पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया है। इस तरह से देखा जाए तो दोनों पार्टियां इस बार के चुनाव में बड़े लक्ष्य को लेकर चल रहीं है।

अब बात मायावती के बहुजन समाज पार्टी की। तो बसपा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसग़ढ के विधानसभा चुनाव मैदान में उतर रही है। राजस्थान में बसपा ने 2018 में 6 सीटों पर कब्जा किया था। हालांकि, बाद में ये सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बताया जा रहा है कि इस बार के चुनाव में बसपा ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। जबकि, मध्य प्रदेश में दो सीटों पर जीत मिली थी। यहां भी एक विधायक ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। जबकि छह सीटों पर दूसरे नंबर पर थी।

छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां भी बसपा दो सीट जीता था और चार उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। इन पार्टियों के वोट शेयरिंग को देखकर कहा जा सकता है कि तीनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के लिए ये दल मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। हालांकि, आप को छोड़ दें तो अन्य पार्टियों  मॉस अपील न के बराबर है।बहुजन समाज पार्टी फिलहाल मायावती के भतीजे के हाथ में है। मायावती अब चुनावों में ज्यादा सक्रिय नहीं है। इसलिए  मतदाताओं को अपनी ओर करना टेढ़ी खीर है। दरअसल, चुनाव में जाति वोट प्रभाव डालते है  जब अन्य वोट भी साथ हो एक जाति समीकरण से चुनाव नहीं जीता जा सकता है।

 

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