यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी समान नागरिक संहिता पर देश में पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा और राजनीति तेज हो गई है। 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर खुलकर बात की थी। पीएम ने कहा था कि आजकल समान नागरिक संहिता के नाम पर भड़काया जा रहा है। परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा नियम हो तो क्या वो घर चल पाएगा? अगर एक घर में 2 कानून नहीं चल सकते तो फिर एक देश में 2 कानून कैसे चल सकते हैं। पीएम के बयान से ये साफ हो गया कि मोदी सरकार जल्द ही इसे लेकर कानून ला सकती है। तभी से UCC को लेकर लगातार विपक्षी पार्टियों की तरफ से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही थी।
इधर संसद के मानसून सत्र में पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बिल लाए जानी की अटकलें लगाई जा रही हैं।
हालाँकि, मानसून सत्र कब से कब तक होगा, इसकी अभी घोषणा नहीं की गई। माना जा रहा है कि यह सत्र 17 जुलाई से 10 अगस्त तक चलेगा। संसद में UCC बिल को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार इस बिल को संसद में 5 अगस्त को रख सकती है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि उसने अपनी घोषणा पत्र के जो भी बड़े निर्णय लिए हैं, वह 5 अगस्त को ही लिए हैं। वहीं क्या इस बार के 5 अगस्त को भी बीजेपी सरकार ऐसा करेगी. क्या ये सब करना इतना आसान है।
यूसीसी से संबंधित बिल को लेकर 5 अगस्त की तारीख ही क्यों? इसका जवाब हमें पिछले कुछ साल के बड़े फैसलों, बड़े मामलों में मिलता है। दरअसल बीजेपी के जन्म से लेकर आज तक. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक। सभी के 3 सबसे बड़े सपने रहे हैं। पहला जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना। 5 अगस्त 2019 को गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव रखा जो लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत के आधार पर पास हुआ था। इस मामले में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधाने के साथ ही कश्मीर के लोगों से अधिकार छीनने का आरोप लगाया था। बावजूद इसके बीजेपी ने अपने वादों को पूरा किया और धारा 370 हटाने में सफल रहे।
दूसरा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर बनने का 500 वर्षों का भक्तों का इंतजार खत्म हो गया था। संतों के मुताबिक वे वर्षों से राम मंदिर निर्माण का इंतजार कर रहे थे। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री के अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम तय किया गया था। भव्य मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आकर चांदी की ईट से नींव रखा था, जिसका वजन लगभग 40 किलो बताया जा रहा था। और तीसरा समान नागरिक संहिता। दोनों बड़े मुद्दों पर बीजेपी की ओर से 5 अगस्त को ही उठाए गए हैं। वहीं अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री अपने पहले दो सालों में 3 में से 2 सपनों को पूरा कर चुके हैं। जिसके लिए 5 अगस्त का दिन चुना गया। ऐसे में यूसीसी पेश करने को लेकर ये सवाल वाजिब भी है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही समान कानून। अभी होता ये है कि हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है। भारत में आज भी ज्यादातर धर्म के लोग शादी, तलाक और जमीन जायदाद विवाद जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के मुताबिक करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के अपने पर्सनल लॉ हैं। जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं। समान नागरिक संहिता को अगर लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लिए फिर एक ही कानून हो जाएगा यानि जो कानून हिंदुओं के लिए होगा, वही कानून मुस्लिमों और ईसाइयों पर भी लागू होगा। अभी हिंदू बिना तलाक के दूसरे शादी नहीं कर सकते, जबकि मुस्लिमों को तीन शादी करने की इजाजत है। समान नागरिक संहिता आने के बाद सभी पर एक ही कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या मजहब का ही क्यों न हो। बता दें कि अभी भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है।
वहीं यूसीसी को लेकर संसदीय मामलों के जानकार का कहना है कि किसी भी बिल को ड्राफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू होने से लेकर उसके सदन पटल पर रखे जाने तक, बहुत तेजी से काम हो तो भी कम से कम 240 से 250 दिन का समय लगता है। यूसीसी पर बिल के लिए अभी तो प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई, ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन भी नहीं हुआ है। ऐसे में ये बिल मॉनसून सत्र में पेश किया जाए, ऐसा संभव नहीं दिखता। हालांकि सरकार चाहे तो बिल ला भी सकती है भले ही वो राज्यसभा से पारित न हो पाए या स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया जाए।
संसदीय मामलों के जानकार अरविंद सिंह के मुताबिक, जब किसी भी विषय पर कानून बनाना होता है, उसके लिए एक निश्चित प्रक्रिया होती है। वे बताते हैं कि सबसे पहले ये स्थापित करना होता है कि इसे लेकर कानून की जरूरत क्यों हैं। इसमें अमूमन सरकारें कोर्ट की टिप्पणियों या लॉ कमीशन की सिफारिशों को आधार बनाती है। इसके बाद बात आती है ड्राफ्टिंग कमेटी पर. ड्राफ्टिंग कमेटी गठित की जाती है जिसका काम होता है कानून के लिए ड्राफ्ट तैयार करना। इसके बाद ड्राफ्टिंग कमेटी तमाम पहलुओं का ध्यान रखते हुए एक ड्राफ्ट तैयार करती है और फिर इसे कानून मंत्रालय को भेजा जाता है। इसके बाद कानून मंत्रालय इसका व्यापक अध्ययन करता है। ड्राफ्टिंग से लेकर कानून मंत्रालय के व्यापक विचार कर क्लीयरेंस देने तक की प्रक्रिया में ही सबसे ज्यादा समय लगता है।
कानून मंत्रालय उस ड्राफ्ट पर व्यापक विचार के बाद उसे संबंधित मंत्रालय को जस का तस या फिर कुछ संशोधनों के साथ वापस भेजता है। इसके बाद बिल को कैबिनेट में रखा जाता है। कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद उसे कैबिनेट नोट के साथ संसद में पेश किया जाता है।
जबकि इधर उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक कमिटी का गठन किया। इस कमिटी ने बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। ड्राफ्टिंग कमिटी ने शुक्रवार (30 जून 2023) को इसकी घोषणा की। ड्राफ्टिंग कमिटी की अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट सेवानिवृत जज रंजना प्रकाश देसाई ने UCC को लेकर कहा, “उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है। ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मुद्रित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी।”
उत्तराखंड के राजनीतिक रिवाज को तोड़ते हुए पिछले साल भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी और पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। फरवरी 2022 में शपथ ग्रहण करने के साथ ही उन्होंने UCC बनाने की घोषणा की थी। वहीं 27 मई 2022 को सीएम धामी ने पूर्व जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में कमिटी बनाने की घोषणा की थी। इस समिति में कुल 5 सदस्य हैं। इस समिति ने राज्य में जगह-जगह जाकर सभी धर्मों, वर्गों और जातियों के प्रतिष्ठित लोगों से संपर्क और उनसे संवाद के आधार पर ड्राफ्ट तैयार की है।
इस तरह भाजपा के तीन बड़े मुद्दे- धारा 370, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता में से दो मुद्दों का समाधान हो चुका है और दोनों मुद्दे 5 अगस्त से संबंधित हैं। अब भाजपा का सिर्फ तीसरा मुद्दा बाकी है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए माना जा रहा है कि 5 अगस्त को UCC बिल पेश किया जा सकता है। हालांकि इसकी पुष्टि अभी आधिकारिक तौर पर कहीं भी नहीं की गई है। लेकिन 5 अगस्त के साथ भाजपा के कनेक्शन को देखते हुए ये कयास लगाए जा रहे हैं।
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