‘राम मंदिर के लिए हुआ था बाबूजी का जन्म,चले गए राम की शरण में’

पिछड़ों की राजनीति के साथ हिंदुत्व का प्रतीक इसलिए अहम थे कल्याण सिंह

‘राम मंदिर के लिए हुआ था बाबूजी का जन्म,चले गए राम की शरण में’

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90 का वह दशक जब देशभर में मंडल की राजनीति तेज हुई, तब जवाब में RSS को यूपी में एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो उनके हिंदुत्व के रथ को हांकते हुए पिछड़ी जाति की राजनीति में भी खरा उतरे। संघ की यह खोज कल्याण सिंह पर जाकर पूरी हुई कल्याण सिंह बीजेपी के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो ओबीसी समाज से थे। कल्याण सिंह लोधी समुदाय से थे जिनकी आबादी सेंट्रल यूपी से पश्चिम यूपी तक फैली हुई है। पिछड़ों की आबादी में यादवों और कुर्मी के बाद तीसरे नंबर पर इस समाज की संख्या बताई जाती थी। ‘बीजेपी में सबसे पहले पिछड़ों की राजनीति के साथ हिंदुत्व का प्रतीक कल्याण सिंह ही थे। बीजेपी में सर्वसमाज को हिस्सा बनाने के लिए उनका लंबा प्रयास चलता रहा। 1986 से संघ परिवार ने एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो संपूर्ण हिंदुत्व के चेहरे को लेकर चल सके।

एक दौर था जब भारत में पिछड़ों की राजनीति हावी थी। मुलायम सिंह को टक्कर देने वाले कोई था तो कल्याण सिंह ही थे। मुलायम की राजनीति को ब्रेक लगाने का काम कल्याण करते थे।’ यह कल्याण सिंह की राजनीति थी जिसका अक्स आज बीजेपी की राजनीति में दिखता है। 2013 में जब अमित शाह जब यूपी के प्रभारी बने तो संगठन से लेकर सियासी रणनीति तक में कल्याण युग के फॉर्म्यूले का अक्स नजर आने लगा। पार्टी ने ओबीसी और हिंदुत्व की रणनीति को फिर से धार दी। संगठन का ढांचा भी बदला। पिछड़ों के भागीदारी संगठन में बढ़ी। ओबीसी, दलित और महिलाओं के लिए हर स्तर पर अलग से पद सृजित किए गए। 2017 के चुनाव में भी ध्रुवीकरणों के मुद्दों के साथ पिछड़ों को जोड़ने की सोशल इंजीनियरिंग संगठन के चेहरों के चयन लेकर चुनावी अभियान तक साफ दिखी।

पिता को याद करके भावुक हो गए सांसद राजवीर सिंह

कल्याण सिंह के बड़े बेटे सांसद राजवीर सिंह आज पिता को याद करके भावुक हो गए। राजवीर सिंह ने कहा कि बाबू जी का जन्म राम मंदिर के लिए ही हुआ था। आज वो भगवान राम की शरण में चले गए है। उन्होंने कहा कि मैं और मेरा परिवार राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। हमसे जो बन पड़ेगा राम मंदिर के निर्माण के लिए करेंगे और बाबू जी के सपने को पूरा करने में अपना धर्म निभाएंगे।

कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह पिता की तरह बीजेपी को चुना और राजनीतिक विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश के एटा से सांसद हैं। कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह की चार संतानों में सबसे बड़े बेटे संदीप सिंह ने भी राजनीति में शानदार एंट्री की, विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में उन्हें शिक्षा विभाग सौंपा गया। वर्तमान में संदीप सिंह उत्तरप्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री हैं। संदीप सिंह के बाद राजवीर सिंह की बेटी पूर्णिमा सिंह, फिर श्वेता सिंह और फिर सबसे छोटे बेटे सौरभ सिंह हैं।

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