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भारत जोड़ो यात्रा-2: राहुल गांधी क्या “मैकेनिक” बनकर जनता से जुड़ पाएंगे?      

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सूरदास का भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को लेकर एक दोहा बड़ा प्रचलित है। मैंया मेरी, चंद खिलौना लैहों। इसका मतलब है कि “माता मुझे चंद चाहिए। इसके आगे उनके बाल हठ को  दर्शाया गया है ,जिसका अर्थ है कि “अगर आप मुझे चांद नहीं दोगी तो मै अपने सिर की चोटी नहीं बँधवाउंगा। …. आदि आदि। ऐसा ही कुछ बाल हठ राहुल गांधी में दीखता है। पचास साल की उम्र पार कर चुके राहुल गांधी एक परिपक्व नेता के तौर पर कभी दिखाई नहीं दिए। पिछले कुछ दिनों से वे ट्रक ड्राइवरों और गाडी मरम्मत करने वालों की दूकान पर नट बोल्ट और पेचकस थामे देखे गए। इतना ही नहीं गाड़ियों की मरम्मत भी करते रहे। ऐसे में उनके कार्य व्यवहार पर सवाल उठ रहा है कि आखिर राहुल गांधी के दिमाग में क्या चल रहा है ?वे क्या करना चाहते हैं ? आखिर वे ऐसा क्यों कर रहे है। क्या किसी रणनीति का हिस्सा है।

 गौरतलब है कि राहुल गांधी कुछ दिनों से ट्रक ड्राइवरों से मुलाक़ात कर उनके हालातों को जाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा कांग्रेस के नेताओं का कहना है। यह मीडिया में बने रहने की कोशिश है या कुछ यह तो कांग्रेस ही बता सकती है। एक दिन पहले उन्होंने दिल्ली के करोलबाग में दो पहिया गाडी की मरम्मत करने वाली दुकान पर हाथ में पेंचकस लेकर गाड़ी की मरम्मत करते देखे गए। ऐसे में सवाल है कि राहुल गांधी क्या करना चाहते हैं। उनके दिमाग में लोगों को लेकर क्या उत्सुकता होती है, यह सामने नहीं आता है, लेकिन उनके द्वारा की जाने वाली हरकत पर हमेशा सवाल खड़ा किया जाता है या सोशल मीडिया पर ट्रोल होते हैं।

शायद राहुल गांधी की कारगुजारी जनता को समझ में नहीं आ रही है कि यह कौन सी भारत जोड़ो यात्रा है। बता दें कि राहुल गांधी का ट्रक ड्राइवरों से मिलना भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा सीजन बताया जा रहा है। मगर, लोगों से बातचीत करने के बजाय वे खुद ट्रक चलाने लगते हैं, तो हाथ में नट बोल्ट लेकर गाडी की मरम्मत में जुट जाते हैं। क्या वे ऐसा फोटो खिचवाने के लिए कर रहे हैं। अगर राहुल गांधी के दिमाग में ट्रक ड्राइवर या इससे जुड़े मरम्मत करने वालों के लिए क्या चल रहा है, उसके बारे में उन्हें स्पष्ट करना चाहिए। वर्तमान में कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार है तो उनके लिए  क्यों नहीं कोई योजनाएं ला रहे है।

इससे पहले जब राहुल गांधी छह दिन के अमेरिका दौरे पर गए थे तब भी उन्होंने अमेरिका के वाशिंगटन में एक ट्रक ड्राइवर से मुलाक़ात की थी और उसमें बैठकर कई किलोमीटर की दूरी तय की थी। यह ट्रक सभी सुविधाओं से लैस था, इतना ही नहीं, अमेरिकी ट्रक ड्राइवर ने यह भी बताया कि उसकी कितनी कमाई हो जाती है। राहुल का यह बर्ताव किसी को समझ में नहीं आ रहा है। राहुल गांधी की इन हरकतों पर अब सवाल उठने लगा है। क्योंकि, वर्तमान में राहुल गांधी की उम्र पचास के पार है, लेकिन उनका दिमाग विकसित नहीं हुआ है। लोगों का कहना है कि राहुल गांधी की हरकत पर सवाल खड़ा होने लगता है। राहुल गांधी एक मंझे हुए राजनीति नेता के तौर पर कभी दिखाई नहीं दिए। उनका बयान, उनकी भाषा, उनकी आक्रामकता एक परिपक्व नेता के रूप में कभी दिखाई नहीं दिखाई देती है। वे किसी मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते हैं। कौन से मुद्दे पर क्या बोलना चाहिए ,क्या नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने आज भी ज्ञात नहीं है।

इसी तरह बीते माह राहुल गांधी दिल्ली से चंडीगढ़ का ट्रक से सफर तय किया। इस दौरान राहुल गांधी ने ट्रक ड्राइवर से उसके परिवार और उससे होने वाले कमाई की जानकारी ली। इस दौरान ड्राइवर ने अपनी कमाई और अन्य कठिनाइयों के बारे में बताया था। लेकिन सवाल यह कि क्या राहुल गांधी के पास भारत के ट्रक ड्राइवरों की समस्याओं का निदान है। अगर है तो उन्हें कांग्रेस शासित राज्यों में लागू कराये ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा हो सके। लेकिन अभी तक राहुल गांधी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है। कर्नाटक , राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसग़ढ  में उनकी सरकार है, लेकिन यहां  केवल फ्री की ही योजनाओं को आगे बढ़ाया गया है। अगर राहुल गांधी के पास सही मायने मायने में ट्रक ड्राइवरों, मेहनतकश कामगारों, राजगीर, मिस्त्री, होटल में काम करने वाले वेटर, सुरक्षाकर्मी ,सड़कों पर काम करने वाले और कपडे प्रेस करने वालों के लिए क्या रणनीति है।

बताया जा रहा है राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे सीजन में इन्हीं लोगों से मिलने की रणनीति बनाई जा रही है। जिसके जरिये कांग्रेस लोगों को अपने से जोड़ने की कोशिश में है। ट्रक ड्राइवर से मिलनाजुलना इसी का हिस्सा है , लेकिन क्या सिर्फ उनसे मिलकर उनके साथ राहुल गांधी का फोटो खिचवाने से उनके जीवन में बदलाव आ जाएगा।  क्या उनके गरीबी का कांग्रेस मजाक बनाने वाली है ? यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस को बताना चाहिए कि इन मेहनतक़श लोगों के लिए कांग्रेस क्या प्लान कर रही है। कांग्रेस जिन मेहनतकश लोगों से मिलने के लिए प्लानिंग कर रही है। कांग्रेस इन मेहनतकश लोगों से पहले से ही जुड़ने का दावा करती रही है। कहा जाता है कि दलित और कमजोर वर्ग और पिछड़ा वर्ग कांग्रेस को वोट देता रहा है, मगर उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया। अब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी उनसे मिलकर क्या करने वाले हैं।  सवाल यह भी उठता है कि  जब यह वर्ग कांग्रेस से जुड़ा था तो नौ साल में कैसे  छिटक गया।

ऐसा लगता है कि कांग्रेस, फिर वही करने जा रही है जो वह बरसों से करती आ रही है। दरअसल, कांग्रेस जब जब सत्ता में रही केवल जनता को छला है, उनके हित के बजाय अपने हित की बात करती है। अगर इन मेहनतकश लोगों से मिलने का कांग्रेस प्लान बना रही है तो अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए, उसने यह नहीं कहा या बताया कि उनसे बातचीत कर कोई योजना लाएंगे। जिससे उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाया जाए।

राहुल गांधी की समझ पर हमेशा सवाल उठते रहें है और हमेशा उठते रहेंगे। एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है। जिससे उनके समझ पर सवाल खड़ा करने के लिए लोग मजबूर हो गए हैं। दरअसल, राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर महंगाई को लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने तुअर और अरहर दाल को अलग अलग बताया। इससे समझा जा सकता है कि राहुल गांधी कितना भारत की संस्कृति से जुड़े हुए हैं। कितना राहुल गांधी को चावल और धान में अंतर समझते है। यह बड़ा सवाल है।


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