क्या तीन आधार राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करापाएंगे ?

लोकतंत्र की दुहाई देने वाले राहुल गांधी ने सोमवार को सूरत में दरबार लगाया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी सूरत में हुड़दंग करने के लिए अपने तीन मुख्यमंत्रियों के साथ पहुंचे थे?

क्या तीन आधार राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करापाएंगे ?
देश से लेकर विदेश तक लोकतंत्र की दुहाई देने वाले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अब दरबार लगा रहे है। ऐसे हर मौके पर कांग्रेस भीड़ एकत्रित करती है और देश की न्यायिक और जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने की कोशिश करती है। यह दिख भी रहा है और बीजेपी आरोप लगाते हुए पूछ रही है कि क्या राहुल गांधी सूरत में हुड़दंग करने के लिए अपने तीन मुख्यमंत्रियों के साथ पहुंचे थे ?

सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या लावलश्कर के साथ राहुल गांधी अदालत के सामने शक्ति प्रदर्शन किया। लोग पूछ रहे हैं कि राहुल गांधी आपराधिक मामले में दोषी करार दिए गए हैं। बावजूद इसके कांग्रेस के नेता इस मामले को अपने सम्मान से जोड़कर न्यायपालिका पर ही सवाल खड़ा कर रहे है। सवाल यह कि आखिर अपनी लोकसभा की सदस्यता को बहाली के लिए राहुल गांधी ने कोर्ट का दरवाजा शांतिपूर्ण तरीके से क्यों नहीं खटखटाया ? यह बड़ा सवाल है ?

इस मामले को समझने के लिए हम पहले फ्लैशबैक में जाते हैं। उसके बाद हमें इस मुद्दे को समझने में आसानी होगी। तो याद करिये वह दिन जब राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता गई थी और उनके समर्थन में राजघाट पर कांग्रेस ने “संकल्प सत्याग्रह” कार्यक्रम आयोजित किया था। इस दौरान लोगों को सम्बोधित करते हुए राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कायर कहा था। इतना ही नहीं उन्होंने यहां भगवान राम और पांडवों का जिक्र कर पूछा था कि क्या भगवान राम और पांडव परिवारवादी थे। मै अपनी पिछली वीडियो में इसी मुद्दे पर विस्तार से बात किया हूं। इसे देखा जा सकता है।

बहरहाल, जिस तरह से प्रियंका गांधी ने भगवान राम और पांडवों का जिक्र कर कांग्रेस से तुलना की वह अपने आप में अपमानजनक है। प्रियंका गांधी ने यह बताने की कोशिश की भगवान राम ने अयोध्या की राजगद्दी संभाली थी। वे राजा दशरथ के बेटे थे, इसलिए उन्हें राजा बनाया गया। उसी तरह उन्होंने पांडवों के संबंध में भी यही कहने का उद्देश्य था। लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी त्रेतायुग में जी रही है या द्वापर में, जहां राजा रजवाड़ों का दौर था। लेकिन, वर्तमान दौर द्वापर या त्रेता युग नहीं है, जहां प्रियंका चाहती है कि भारत के लोग गांधी परिवार की जी हुजूरी करें।

ऐसा जान पड़ता है कि प्रियंका गांधी ही नहीं, पूरा गांधी परिवार देश और संविधान से खुद को ऊपर मानता है। यही वजह है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की दुहाई देते रहते हैं। और अब उन पर कार्रवाई होती है तो होहल्ला मचाने लगते हैं। जबकि यही राहुल गांधी विदेश में जाकर कहते हैं कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है। लेकिन ऐसा लगता है कि राहुल गांधी को ही भारत की न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है। तो वे किस मुंह से कहते हैं कि देश में लोकतंत्र नहीं है।

वर्तमान में राहुल गांधी का सूरत की कोर्ट में तीन मुख्यमंत्रियों के साथ जाना यह बताया है कि  गांधी परिवार दरबारियों से घिरा रहना चाहता है। जिसमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश पटेल और हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल थे।  हालांकि, कोर्ट ने उन्हें मानहानि केस में 13 अप्रैल तक जमानत दे दिया है। जबकि, उनकी दोषसिद्धि मामले पर 3 मई को सुनवाई होगी।

जानकारों के अनुसार बताया गया है कि जब तक इस मामले की सुनवाई होती रहेगी तब तक राहुल गांधी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी के वकीलों ने तीन बिंदुओं के आधार पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पहला यह कि राहुल गांधी ने सभी मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते है? का बयान कर्नाटक कोलार में दिया था। जबकि, इस बयान से गुजरात का कोई लेना देना है। दूसरा यह कि राहुल गांधी ने जो बयान दिया था वह जाति के संबंध में नहीं था। तीसरा जिस स्थान पर यह घटना  घटित हुई  वहां की जांच कराई जानी चाहिए थी लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कहा गया है कि कांग्रेस के वकीलों ने सूरत सेशन कोर्ट में राहुल गांधी  मानहानि केस में रेगुलर बेल मिलने की याचिका दायर की थी, दूसरा दोषसिद्धि को ख़ारिज करने के लिए याचिका दायर की गई है जिस पर 3 मई को सुनवाई होगी। बहरहाल, सबसे बड़ी बात यह है कि जनता के सामने बस एक ही सवाल है कि क्या राहुल गांधी की लोकसभा   सदस्यता बहाल होगी की नहीं।

तो यह फैसला ऊपरी अदालतों के हाथों में है। यदि राहुल गांधी अपनी सदस्यता बरक़रार रखना चाहते हैं तो वे वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने से पहले उन्हें इस केस से बरी होना होगा। सिर्फ उनकी सजा के खिलाफ रोक काफी नहीं होगी। दूसरा  यह कि राहुल गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव तभी लड़ सकते जब सेशन कोर्ट अपना फैसला बदल दे या ऊपरी अदालत उनकी सजा को ख़ारिज कर दे। अगर ऊपरी अदालतें राहुल गांधी की दोषसिद्धि को रद्द नहीं करती हैं तो वे आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

वहीं, बीजेपी आरोप लगा रही है कि कोर्ट जाने में राहुल क्यों देरी कर रहे हैं तो.साफ है कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने इस दौरान पूरी तरह से राजनीति की है। कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर इसलिए गई ताकि सिम्पैथी बटोरी जा सके। आज का लावलश्कर को इसी तरह से देखा जा रहा है। क्योंकि, राहुल के वकील चाहते तो सेशन कोर्ट अकेले भी अपील कर सकते थे, लेकिन, जिस तरह गुजरात में कांग्रेसी नेताओं का जमावड़ा लगा, यह एक तरह से शक्ति प्रदर्शन और राजनीति स्टंट था।

बहरहाल, इस मामले पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं, देखना होगा कि  इस केस में 13 मई को कोर्ट किसके पक्ष में फैसला सुनाता है। हालांकि इस केस के कई अहम बिंदु हैं जो कांग्रेस के लिए मुसीबत बनते रहेंगे। इसके अलावा भी कई केस है जो राहुल गांधी की नींद उड़ा चुके है। जिसमें सावरकर पर बयानबाजी केस, मोदी सरनेम वाले बयान पर झारखंड और बिहार में भी केस दर्ज है। इसके अलावा आरएसएस मानहानि केस और नेशनल केस  राहुल के लिए आफत है।

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