कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार को उत्तर प्रदेश में प्रवेश की। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यूपी में यह यात्रा तीन जिलों से होकर गुजरेगी। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी इस यात्रा में शामिल नहीं होगी। कांग्रेस द्वारा भेजे गए न्योते पर अखिलेश सिंह यादव और मायावती ने पार्टी को धन्यवाद दिया है। दोनों नेताओं ने इस यात्रा में शामिल नहीं होने की जानकारी दी है। इतना ही नहीं दोनों नेताओं ने यहां तक कहा कि यात्रा में संबंधित पार्टी के कोई नेता भी शामिल नहीं होंगे।
दो दिन पहले ही शिवसेना नेता संजय राउत ने एक लेख में कहा था कि राहुल गांधी का यही अवतार 2023 में भी जारी रहा तो आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। वैसे भी राउत के इस कथन की समीक्षा तो 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ही हो सकती है। अभी जो हालात हैं वह कांग्रेस के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि राउत के अनुसार कांग्रेस 2024 में कोई करिश्मा दिखा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अखिलेश सिंह यादव और मायावती को यात्रा में शामिल होने के लिए न्योता मिला तो वे क्यों नहीं शामिल हो रहे हैं ? तो क्या अखिलेश और मायावती ने विपक्ष की एकता को झटका दिया है?
वहीं, राजनीतिक जानकारों के अनुसार, कहा जा रहा है कि एक तरह से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में ताकत दिखाने की कोशिश की है। जबकि जिन तीन जिलों में से यह यात्रा गुजरेगी वहां कांग्रेस सुस्त पड़ी है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस जाट वोटरों को साधने के लिए ही इन तीनों जिलों को चुना है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि इस यात्रा में कई सामाजिक संगठन और अन्य लोग भी जुड़ेंगे। अब इसमें कितनी सच्चाई यह देखना होगा। कई लोगों ने सवाल पूछा है कि आखिर भारत जोड़ो यात्रा बिहार से क्यों नहीं निकाली जा रही है जबकि यहां कांग्रेस सरकार में है। बावजूद इसके बिहार की अनदेखी करना कितना सही है।
कई लोगों ने कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार के लिए समर्थन किया है तो इस राज्य से दूरी क्यों ? ऐसी क्या वजह है कि इस राज्य को कांग्रेस छोड़ते हुए 30 जनवरी को कश्मीर पहुंचेगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा था कि 2024 में राहुल गांधी पीएम के उम्मीदवार है। इसका नीतीश कुमार ने भी समर्थन किया था, लेकिन यहां विरोधाभास है।
दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले नीतीश कुमार ने राहुल गांधी से दिल्ली में मिले थे। इसके बाद नीतीश कुमार कई और नेताओं से मिले थे। जिसमें अखिलेश यादव भी थे। उस समय अखिलेश यादव ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर उनको समर्थन दिया था। लेकिन आज अखिलेश यादव कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हो रहे हैं। इस पर नीतीश कुमार को विचार करना चाहिए।
क्योंकि, नीतीश कुमार बार बार कहते हैं वे 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। क्या ऐसे ही नीतीश कुमार विपक्ष को जुट करेंगे। मायावती और अखिलेश यादव अपना भला बुरा अच्छी तरह जानते हैं कि इस यात्रा में शामिल होने पर पार्टी को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव राज्य की छोटी छोटी पार्टियों को एकजुट कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए की जा रही है।
यह भी बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी के नेता इस यात्रा में शामिल होंगे। हालांकि, नीतीश कुमार यात्रा में शामिल नहीं होंगे। वैसे भी खुद नीतीश कुमार की हालत राज्य में अच्छी नहीं है। नीतीश कुमार खुद अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। उनके द्वारा बार बार पार्टी बदलना नीतीश कुमार के खिलाफ जा रहा है। इसी तरह बीजेपी का विरोध करने वाले किसान नेता राजेश टिकैत भी इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे।
अब देखना होगा कि कांग्रेस किस तरह से यूपी में अपने कार्यकर्ताओं में जान फूंकती है। क्योंकि कांग्रेस यूपी की राजनीति से पूरी तरह से बाहर हो चुकी है। कांग्रेस की औकात को देखकर ही अखिलेश यादव और मायावती ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हुए। तो क्या अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार के लिए अपना समर्थन देंगे ? यह वह सवाल है जिससे सभी दो चार हो रहे हैं। बहरहाल इसका जवाब पाने के लिए इंतज़ार करना होगा।