जहां कहीं हिंदू आस्था, भक्ति और राष्ट्रप्रेम का विषय आता है, एक प्रकार गिद्द जैसी सोच वाले कुछ लोग है, जो अपना दाग लगाने का अवसर खोजते रहते है। महाराष्ट्र से आने वाले कोंग्रेसी नेता हुसैन दलवाई ने भी दाग लगाने का अवसर तो खोजा लेकीन हिंदू समाज अब बहुत संभल चूका है, हिंदू समाज कोंग्रेस के धूर्त प्रोपोगेंडा को कोई महत्व दिए बिना ही संघटीत हो चला है।
दोस्तों किसी वामपंथी, ब्रिगेडी की तरह कोंग्रेसी नेता हुसैन दलवाई ने भी महाकुंभ पर अपना ज्ञान देते हुए कहा की महाकुंभ में इतनी भीड़ आ रही है, इसे लोगों को संसर्गजन्य रोग हो सकते है। बड़े पैमाने पर लोग गंगा नदी में जाते है, उन्हें रोग हो सकते है। बड़े पैमाने पर बीमारीयां हो सकती है। इसलिए जैसे हज में जैसा इंतेजाम होता है, वैसा यहां भी कीजिए। हज में लाखों लोग जाते है फिर भी जरा सी गड़बड़ी भी नहीं होती, वैसे यहाँ भी कुंभमेला करना है। यह देखी हज में किया जाने वाला इंतजाम जहां जरा भी गड़बड़ी नहीं होती।
में इसे हिंदू-मुस्लीम मुद्दा नहीं बनाना चाहता लेकिन, हुसैन दलवाई साहब ने खुद ही हज और महाकुंभ की तुलना की है, और यह तुलना करने के पिछे उनका भाव यही है की, डर का माहौल है। दोस्तों 144 साल बाद आने वाला ये महाकुंभ पर्व ऐसे समय में आया है, जब राजनीतिक रूप से देश में हिंदुत्व की लहर है। दूसरी बात हिंदूओं में जो नकारात्मक भाव था, न्युनगंड था वो अब मिट चूका है। हिंदू अपने आप को गर्व से हिंदू कहने लगे है।
जैसे ही हिंदूओं को इस बात ज्ञान हुआ की पिछले साथ 60 सालों से राजनीतिक परिपेक्ष्य में उनके साथ केवल और केवल छल हुआ है। यह छल केवल राजनीतिक परिपेक्ष्य में ही नहीं वैचारिक, न्यायिक, अभिव्यक्ती और अधिकारों के परिपेक्ष में भी हुआ है। हिंदुओं को इस बात का जैसे ही ज्ञान इनके साथ 60 सालों से छल हुआ है, उन्होनें सत्ता पलट दी। कोंग्रेस की राष्ट्रघात की विचारधारा को छोड़कर हिंदुओं ने फिर एक बार उस हिंदुत्व के उस मार्ग को चुना, जिसे विषैले वामपंथियों के प्रोपोगेंडा के कारण छोड़ा था।
बात बस इतनी नहीं, ज्ञान पाने के बाद हिन्दू संघटीत भी हुआ, और संघर्ष भी करने लगा। और संघर्ष का जो रास्ता हिंदुओ ने चुना वो है, चुनाव का रास्ता। जो ना मेरे राम का, वो ना मेरे काम का, इस नारे से ही हिंदुओं ने अपना विचार स्पष्ट किया है। हिंदू संघटीत हुआ, और उसने राम मंदिर के लिए संघर्ष कीया। राम मंदिर के निर्णय के पीछे, नोटबंदी से आतंकियों की जेबे फाड़ने के पीछे, 370 हटाने के पीछे, जीएसटी लाने के पीछे,अग्निवीर के पिछे। इन सभी मुद्दों पर राष्ट्र के लिए पोषक मुद्दों पर हिंदू डटकर खड़ा रहा, संघर्ष करता रहा। याद रखें ये मार्ग डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने देश में एक समय दबे कुचले लोगों को दिखाया था, पढ़ो, संघटीत हो और संघर्ष करो। आज संपूर्ण हिंदू समाज ज्ञान ले रहा है, हिंदुओ में उस ज्ञान का प्रसार कर रहा है, संघटीत हो रहा है, संघर्ष करने के लिए तैयार हो रहा है।
अब तक प्रयागराज महाकुंभ में आज हम वीडिओ बना रहें तब तक 11 से 12 करोड़ लोग स्नान कर चुके है। इसमें संपूर्ण देश से करोड़ों लोग आकर गए है। लेकीन विदेश से भी लाखों लोग आ चुके है। इसलिए प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ भी हिंदू समाज के संघटन के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। जब इतना बड़ा समाज एक साथ आकर हर हर महादेव का नारा लगाएगा तो जिन्होंने इस संघटीत समाज के विरुद्ध नजरे ऊपर कर देखा तो बड़े परिणाम दिखाएगा। और यही डर कांग्रेसी नेता को भी लग रहा है।
करोड़ों आस्तिक हिंदू और भक्त जब संघटीत होंगे, करोड़ों शिक्षीत, हिंदू जब संघटीत होंगे, तो इस बात की चर्चा जरूर करेंगे की उनके साथ अन्याय क्या हुआ, अन्याय कब कब हुआ, अन्याय किस किसने किया। फिर वो ढूंढेंगे संघर्ष के रास्ते। इसीलिए तो कांग्रेस और वामपंथी डरते है की हिंदू समाज तक सच पहुँचे, इसीलिए डरते है की हिंदू समाज संघटीत न हो।
ये कोई पहली बार नहीं की हमारी आस्था के खिलाफ, हमारे इतिहास, हमारे महापर्व और त्योहारों के खिलाफ किसी वामपंथी या कोंग्रेसी ने अभद्र टिप्पणी की हो, ये कोई पहला वाक़िया भी नहीं जब इन में से किसी ने हमारे उत्सवों पर उंगलियां उठाई हो। उन्होंने रामलला के प्राणप्रतिष्ठा के दौरान भी यही किया था। छत्रपति शिवजी महाराज के इतिहास के साथ भी यही किया था। होली, दिवाली, मकरसंक्रांती, बलिप्रतिपदा, पाड़वा, गणेशोत्सव, दुर्गाष्टमी, कार्तिकी एकादशी, सभी त्योहारों पर ये लोग आपको कोई न कोई झूठ फैलाते दिखेंगे, या फिर वातावरण को दूषित करते मिलेंगे। इसके पिछे की वजह यही है दोस्तों इन्हे संघटीत होते हिंदू को देखकर डर लगता है।
इन्हें इस बात से डर लगता है की जब संघटीत हिंदू सवाल पूछेंगे तो दुनिया में भागने के लिए कोई कोना नहीं होगा। वो पूछेंगे की अगर देश को आझाद कांग्रेस ने कराया तो हमारी प्राणों से प्रिय इस मातृभूमि का विभाजन किसके कहने से हुआ। वो पूछेंगे की, अगर संविधान के अनुसार देश में कानून धर्म, जाती, लिंग, रंग में भेदभाव के बिना सभी के लिए सामान है तो मुस्लिम परसनल लॉ कहां से आया। वो पूछेंगे की अगर कानून के हिसाब से हिंदू 1947 के पहले के मंदिर वापस मांग नहीं सकते तो कानून के हिसाब से वक़्फ़ बोर्ड हमारी जमीने कैसे कब्ज़ा सकता है।
इन सभी कारकों का जवाब कांग्रेस और वामपंथ है। इसीलिए उन्हें डर है की हिंदू संघटीत न आए, हिंदू जाग न जाए, हिंदू संघर्ष करने के लिए खड़ा न हो।
दोस्तों होइहि सोइ जो राम रचि राखा…लाखों विदेशी नागरिकों, करोड़ों भारतीयों के साथ बिना किसी, रोग, गंदगी, अव्यवस्था के भय से हिंदू पहुंच रहे है। सालों से यही होता आया है, सालों बाद भी यही होगा। दलवाई जैसे कइयों आएंगे और इस संघटन को कमजोर करने की कोशिश करेंगे, सिर्फ महाकुंभ ही नहीं सभी पर्वों पर ये अपने विषैले मत ज़ाहिर करते रहेंगे, हमें बस उन्हें रामाधीर सिंग की तरह कहना है बेटा तुम रहने दो तुमसे ना हो पाएगा।
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