केजरीवाल और मंत्रियों की 136 % बढ़ी सैलरी 

केजरीवाल और मंत्रियों की 136 % बढ़ी सैलरी 

Delhi: 66% hike in the salary of MLAs and 136% hike in the salary of the Chief Minister!

किसी भी संदर्भ में बड़ी बड़ी बातें करना नेताओं के लिए मामूली बात है। लेकिन उसे जमीन पर उतारना बड़ा ही मुश्किल है। कुछ ऐसा ही अरविंद केजरीवाल के साथ हुआ है। आप आदमी पार्टी बनाने से पहले केजरीवाल खूब बड़ी बड़ी बातें किये थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद बदल गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित विधायकों मंत्रियों की सैलरी में 136 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। विधायकों-मंत्रियों को चौवन हजार के बजाय उन्हें भत्ता सहित 90 हजार मिलेंगे। जब कि अरविंद केजरीवाल को 72 हजार की जगह एक लाख सत्तर हजार रुपये मिलेगा। यानी ऐसी पार्टी जो आम जनता की भलाई के नाम बनाई गई थी, अब वही पार्टी जनता के पैसे पर मौज कर रही है।

बता दें कि, एक समय, अरविंद केजरीवाल ने सत्ता की कुर्सी संभालने से पहले खूब लोकलुभावन बातें किया करते थे। उन्होंने कई बार कहा कि वे सरकारी गाडी और अन्य सुविधाएं नहीं लेंगे।   लेकिन, जैसे -जैसे अरविंद केजरीवाल सत्ता का स्वाद चखते गए, उसी तरह केजरीवाल अपनी  कही हुई बात को भूलते गए।

दूसरों से हटकर काम करने का वादा कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आप पार्टी आज भ्रष्टाचार से गले तक डूबी हुई है। लेकिन एक समय था कि यही केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के साथ आंदोलन कर रहे थे, आज जबकि इनकी पार्टी के विधायक नेता भ्रष्ट आप नेताओं को बचाने के लिए आंदोलन करते हैं। आज खुद को कट्टर ईमानदार कहने वाले केजरीवाल सत्ता का हर सुख भोग रहे हैं। उनके नेता भ्रष्टाचार से गले तक डूबे हुए हैं। जिसमें शराब घोटाला एक है।

अब वही केजरीवाल अपने विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाकर जनता को धोखा दे रहे हैं। ग़ौरतलब है कि केजरीवाल सरकार ने 2022 में ही दिल्ली के विधायकों और मंत्रियों के वेतन बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। जिसे अब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। यानी विधायकों को अब हर महीने 90 हजार रुपये मिलेंगे। अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात करें तो अब उन्हें हर माह एक लाख सत्तर हजार सैलरी मिलेगी। कहा जा सकता है कि दिल्ली के मंत्रियों और मुख्यमंत्री की सैलरी में 136 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी एक झटके में हो गई।

गौरतलब है कि, भारत में सबसे अधिक सैलरी तेलंगाना के विधायकों और मंत्रियों को मिलती है। जबकि त्रिपुरा के विधायकों सबसे कम सैलरी मिलती है। तेलंगाना के मंत्रियों और विधायकों को हर माह सैलरी 20 हजार मिलती है। लेकिन उनके भत्ते दो लाख तीस हजार है। इस तरह कुल सैलरी ढाई लाख रुपये मिलते है। इसके बाद उत्तराखंड के मंत्रियों को एक लाख अंठानबे हजार मिलता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश के विधायकों और मंत्रियों को एक लाख नबे हजार हर माह की सैलरी है। इसी तरह राजस्थान के सभी विधायकों और मंत्रियों को एक लाख चालीस हजार माह का वेतन मिलता है।

हरियाणा में एक लाख पचपन हजार, बिहार एक लाख तीस हजार, उत्तर प्रदेश में एक लाख और गुजरात के विधायकों और मंत्रियों को एक लाख पांच हजार मिलता है। बताते चलें कि राज्यों के विधायकों और मंत्रियों की बेसिक सैलरी अलग अलग होती है लेकिन कई भत्तों की वजह से उनकी सैलरी लाखों में पहुंच जाती है। सबसे कम सैलरी त्रिपुरा के विधायकों और मंत्रियों को मिलती है। यहां हर माह उन्हें अड़तालीस  हजार रुपये हैं। मिलते बता दें कि दिल्ली के विधायकों और मंत्रियों सैलरी इससे पहले 2011 में बढ़ाई गई थी।

दरअसल, सादगी का दिखावा करने वाले केजरीवाल नायक फिल्म के हीरो नहीं हैं। लेकिन  समय समय पर सबसे अलग राजनीति करने का राग जरूर अलापते रहे है। एक समय था कि उन्होंने सरकारी गाडी का उपयोग नहीं करने का ऐलान किया था। लेकिन, बाद में केजरीवाल अपनी बात से पलट गए और आज लगभग सभी सरकारी सुविधाओं का उपयोग करते हैं।  जिसमें सरकारी गाड़ी, सरकारी आवास और सुरक्षा भी शामिल है।

बता दें कि केजरीवाल सरकार ने 2015 में ही विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे केंद्र के बीजेपी सरकार लौटा दिया था। उस समय केजरीवाल सरकार ने विधायकों को मिलने वाली 54 हजार सैलरी को बढ़ाकर दो लाख दस हजार करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, केंद्र सरकार ने इस बिल नियमों का उल्लंघन बताकर मंजूरी देने से इंकार कर दिया था। इसके अलावा इस बिल में बदलाव करने की भी सलाह दी थी।

जब यह बिल पारित हुआ था तो दिल्ली के सदन में तब के मनीष सिसोदिया ने कहा था कि  आदमी को यह नहीं पढ़ाया जाना चाहिए कि उतने पैर फैलाओ जीतनी चादर है। बल्कि यह  पढ़ाया जाना चाहिए कि अपनी जरुरत से थोड़ा ज्यादा चादर ले लो. मानव जाति की यह सबसे खतरनाक कहावत है। क्योंकि कभी छह फीट के आदमी को पांच फीट की चादर से संतोष नहीं करना चाहिए। उसे हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि उसे हमेशा सात फीट की चादर आनी चाहिए। इतना ही नहीं जब इस प्रस्ताव को पारित किया जा रहा था तो  सौरभ भारद्वाज ने भी अपनी दलील सदन में पेश की थी। सबसे बड़ी बात यह कि अब सिसोदिया सात फीट की चादर लेने में तिहाड़ जेल की हवा खा रहे हैं।

जनता को यह समझना होगा कि दिल्ली में शराब की नई नीति लाकर सिसोदिया आम जनता की चादर बड़ी नहीं किये। बल्कि अपनी और शराब कारोबारियों की सात फीट चादर बढ़ाने में लगे हुए थे। उसी सिसोदिया के जेल जाने के बाद केजरीवाल सरकार में शामिल हुए सौरभ भारद्वाज ने इटली से लेकर कई देशों के मंत्रियों विधायकों की सैलरी सदन में बता डाले। अफ़सोस इस बात का है कि आप ने केवल जनता को झूठ बोलकर छला है।

सबसे बड़ी, दिल्ली के कई विधायक करोड़पति है,बावजूद इसके सैलरी बढ़वाना हजम नहीं होता है। इतना ही नहीं, कई विधायकों जैसे ही मंत्री बनते हैं  उनकी संपत्ति में पांच साल में जबरदस्त उछाल देखने को  मिलता है। इन विधायकों को बताना चाहिए यह सब कैसे होता है ? जबकि जनता महंगाई,और बच्चों की फ़ीस भर्ती रहती है और उम्र खत्म हो जाती है।

सिसोदिया ने यह भी कहा था कि टैलेंट को आगे लाने के लिये पैसा तो देना ही पड़ेगा। तो जिस तरह से आप के नेताओं ने भ्रष्टाचार करने में अपना टैलेंट दिखाया है वह जगजाहिर है। आज आप के सत्येंद्र जैन, विजय नायर और मनीष सिसोदिया खूद जेल में है। इतना ही नहीं कई दिल्ली के विधायकों पर गंभीर आपराधिक केस भी है। तो ऐसे में आप नेता को बताना चाहिए कि अपना टैलेंट भ्रष्टाचार करने में उपयोग करते हैं ? या जनता की गाढ़ी कमाई से मौज करने में ?

  

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