असली शिवसेना किसकी है उद्धव ठाकरे या मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे? इसे लेकर चुनाव आयोग में विवाद चल रहा था। चुनाव आयोग ने आखिरकार शिवसेना के नाम और पार्टी के चुनाव चिह्न धनुष-बाण विवाद पर से पर्दा उठा दिया और इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बार फिर से करवट ली। और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मिला शिवसेना का नाम और चिन्ह।
चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर ज्यादा मात्रा में यूजर्स की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी। वहीं इस घटना को लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत का बयान और ट्वीट भी वायरल हो गए। वह लिखती है कि देवताओं के राजा इंद्र को भी बुरे व्यवहार के बाद उसकी सजा मिलती है। यह सिर्फ एक नेता है। जब वे मेरे घर में घुसे तभी मुझे लगा कि उनके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे। कंगना ने ट्वीट किया है कि एक महिला का अपमान करने वालों को भगवान सजा देते हैं। उनका यह ट्वीट काफी चर्चा में रहा।
अपने ट्वीट के बाद, कंगना ने महाविकास अघाड़ी सरकार के साथ हुए अपने मुठभेड़ को याद किया। बता दें कि ठाकरे और कंगना के बीच विवाद की शुरुआत सुशांत सिंह राजपूत की मौत के समय हुआ। कंगना ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में ठाकरे सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस आरोप के बाद मुंबई महानगरपालिका ने गठबंधन सरकार के दौरान कंगना के दफ्तर पर पथराव किया था। मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा तो ठाकरे सरकार ने सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने सरकार को कंगना को मुआवजा देने का आदेश दिया था। उस वक्त कहा गया था कि उद्धव सरकार कंगना की आवाज दबाने के लिए बदले की कार्रवाई कर रहे है।
बीएमसी की उस कार्रवाई के बाद कंगना ने उद्धव ठाकरे को संबोधित करते हुए कहा, आज मेरा घर टूटा है, कल तुम्हारा भी घमंड टूटेगा। सबके पास अपना समय होता है। याद करना। एक कहावत है कि समय बड़ा बलवान होता है। ऐसा ही बयान उन्होंने अब भी दिया है। आज उद्धव ठाकरे के पास कोई सरकार नहीं है, कोई मुख्यमंत्री नहीं है, कोई विधायक नहीं है, कोई पार्टी नहीं है और कोई चिन्ह भी नहीं है। कंगना को जो उम्मीद थी वही हुआ।
कंगना की तरह नवनीत राणा को भी महाविकास अघाड़ी ने हनुमान चालीसा कहने के विवाद में जेल भेजा था। नवनीत राणा और रवि राणा ने उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का निर्णय लिया। बेशक वे मातोश्री के पास भी नहीं गए लेकिन फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर भड़काऊ बयान देने, दो समुदायों के बीच कलह पैदा करने और शांति भंग करने का आरोप लगाया गया और उन्होंने तेरह दिन जेल में बिताया।
जेल से छूटने के बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे को चुनौती दी, हिम्मत है तो जनता के बीच आकर चुनाव लड़ो। नवनीत राणा ने कहा था कि बिना पिता का नाम लिए यानी बिना बाला साहेब ठाकरे का नाम लिए चुनाव लड़ो और जीतो। इतना ही नहीं, नवनीत राणा ने उस समय यह भी कहा था कि मैं महाराष्ट्र के किसी भी जिले में उद्धव ठाकरे के खिलाफ खड़ी होकर जीत कर दिखाऊँगी।
अभिनेत्री क्रांति रेडकर ने अपने पति समीर वानखेड़े पर लगे आरोपों को लेकर उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। जमीन की आर्थिक हेराफेरी के मामले में ईडी की गिरफ्त में चल रहे नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े और उनके परिवार पर लगातार आरोप लगाए थे। उस समय उनकी पत्नी क्रांति रेडकर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। क्रांति ने अपने पत्र में कहा कि एक मराठी व्यक्ति के रूप में मैं आज आपको न्याय की उम्मीद से देख रही हूं, आप सही न्याय करें। यहां तक कि उनके पत्र की भी उद्धव ठाकरे ने कद्र नहीं की। उल्टे नवाब मलिक की पीठ थपथपाकर गुड गोइंग कह रहे थे।
एनसीपी नेता शरद पवार के बारे में आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के आरोप में अभिनेत्री केतकी चितले को भी 40 दिनों की जेल हुई थी। 29 वर्षीय अभिनेत्री को फेसबुक पोस्ट के संबंध में 20 से अधिक प्राथमिकी का सामना करना पड़ा था। इन सभी महिलाओं को महा विकास अघाड़ी सरकार ने किसी न किसी तरह प्रताड़ित किया। उस समय इन सभी महिलाओं का उपहास उड़ाया गया था। उन्हें इस भाषा में उत्तर दिया गया कि पाठ कैसे पढ़ाया जाता है। सोशल मीडिया पर उनका मजाक उड़ाया गया। सामना जो शिवसेना का मुखपत्र है, वहाँ कंगना के खिलाफ कार्रवाई की खबर को पहले पन्ने पर बड़ी हेडलाइन के साथ रखा गया था।
तो आज उद्धव ठाकरे के धनुष्य- बाण और शिवसेना का नामोनिशान मिटने के बाद लोग कंगना, नवनीत राणा, केतकी चितले और क्रांति रेडकर का हाल याद दिला रहे हैं। लोग अब कह रहे हैं कि शायद इन महिलाओं को मिले अपमान से उद्धव ठाकरे आहत हुए हैं। उस समय इन महिलाओं ने विरोध किया था। उन्होंने ठाकरे सरकार के अहंकार की आलोचना की। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना और चिन्ह मिलने के बाद सोशल मीडिया पर इन महिलाओं की चर्चा जोरों शोरों से होने लगी है।
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