अदानी ग्रुप उस समय चर्चा में आया जब अमेरिका की शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक नेगेटिव रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट के चलते दुनिया के सबसे बड़े रईसों में शुमार गौतम अडानी को बड़ा झटका लगा। इस रिपोर्ट के आते ही अडानी दुनिया के चौथे सबसे अमीर पायदान से खिसकर 32वें नंबर पर आ जाते हैं। इस मामले को लेकर संसद में भी खूब हंगामा हुआ। कांग्रेस का आरोप था कि गौतम अडानी ने देश का सबसे बड़ा कॉरपोरेट फ्रॉड किया है, सरल शब्दों में समझें तो कांग्रेस ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को हथियार बनाकर अडानी और मोदी सरकार पर जबरदस्त वार किया। हालांकि बड़ा सवाल ये कि अडानी ग्रुप का आगे क्या होगा, आज पूरी दुनिया की नजरें अडानी ग्रुप पर हैं। चाहे निवेशक हो, चाहे लोन देने वाले बैंक हो या फिर आम लोग।
हालांकि इन सब के बीच एक चौकाने वाली खबर सामने आई है। दरअसल न्यूज पेपर ‘The Sunday Guardian’ ने “The truth about Adani’s big buck business” शीर्षक जिसे पत्रकार शांतनु गुहा रे ने प्रकाशित की है, इस रिपोर्ट में एक चौकाने वाला खुलासा किया गया है। दरअसल पिछले साल लंदन में एक बैठक हुई इसमें कुछ वित्तीय दिग्गजों, संभवतः बैंकरों के साथ बैठक के लिए कुछ शीर्ष विपक्षी राजनेताओं की उपस्थिति थी। विश्वसनीय रूप से पता चला है कि यह बैठक एक ऐसे व्यक्ति द्वारा आयोजित की गई थी जिसे कभी भारतीय दूरसंचार का बिग बॉस माना जाता था। ऐसा माना जाता है कि विपक्षी नेताओं को लगा कि सत्तारूढ़ एनडीए के लिए तबाही मचाने का सबसे अच्छा तरीका अडानी के लिए परेशानी पैदा करना। पिछले कुछ सालों में अडानी ग्रुप ने अपना प्रभाव जमाया है। गौतम अडानी ने अडानी ग्रुप के वैश्विक विस्तार मिशन को आगे बढ़ाया। ऐसे में वैश्विक रूप से अडानी ग्रुप का बढ़ना भला विदेशी कंपनियों को कैसे रास आ सकता है।
सोचनेवाली बात यह है कि क्या यह वास्तविक शोध था? या फिर यह विपक्षी दलों द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को सबसे बड़ा झटका देने की साजिश थी? हालांकि भारत की सबसे बड़ी पहेली अभी भी अनसुलझी है। अदाणी के शेयर गिरने और लंदन में किए गए बैठकों के बीच आखिरकार नाता क्या है। वह विपक्षी पार्टियां कौन है जिन्होंने इस बैठक में हिस्सा लिया था? उन विपक्षियों का प्लान क्या था। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था यह सम्पूर्ण देशवासियों के लिए गौरव का प्रतीक है लेकिन कौन है वह विपक्षी जिन्हें भारत की सफलता आँखों में चुभ रही है। लंदन में अदानी ग्रुप को ध्वस्त करने का जो प्लान किया गया वह पूर्वनियोजित था। इस रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह अदानी ग्रुप को ध्वस्त करने के लिए जो अंतरराष्ट्रीय साजिशें की जा रही है, वो भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के समान है।
इसी परिपेक्ष्य में वेबसाइट sundayguardianlive.com ने “Some PIOs and European officials plan government change in 2024” शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए 2021 से साजिशें की जा रही हैं। इसके लिए दिल्ली और लंदन में कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में भारतीय मूल के व्यक्ति और कुछ विदेशी दूतावासों के सदस्य शामिल रहे हैं। The Sunday Guardian ने इन बैठकों में मौजूद रहे लोगों के हवाले से बताया है कि बैठकों में मोदी सरकार को हटाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श किया गया और 2024 के आम चुनाव से पहले सरकार के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने की रणनीति बनाई गई। इन बैठकों में मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाने के लिए षडयंत्र रचा गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने की रणनीति तैयार की गई है।
भारत को बदनाम करने की इसी कड़ी में पश्चिम देश की साजिश उस समय सामने आई। जब ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिसका नाम था – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन। इस डॉक्यूमेंट्री में बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल पर निशाना साधते हुए दो पार्ट्स में एक सीरीज दिखाई थी। यह डॉक्यूमेंट्री प्रधानमंत्री मोदी की छवि को खराब करने के एजेंडे तहत बनाया गया। इसमें नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट से भी प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई है तो फिर 22 साल बाद इस मुद्दे को उठाने के मकसद को आसानी से समझा जा सकता है। दरअसल विदेशी बैठकों और साजिशों के तहत तय प्रोपगेंड के लिए यह डॉक्यूमेंट्री लाई गई है। इसका असल मकसद भारत को कमजोर करना है।
वहीं हाल ही में अमेरिका के बिलेनियर कारोबारी जॉर्ज सोरोस ने म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। आरोप लगाते हुए सोरोस ने कहा था कि भारत क्वाड का मेंबर है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान भी उसके साथ हैं। इसके बावजूद भारत रूस से बड़े डिस्काउंट पर तेल खरीदकर मुनाफा कमा रहा है। सोरोस ने कहा- स्टॉक मार्केट में अडाणी के शेयर ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। मोदी को इस पर जवाब देना होगा, जिससे सरकार पर उनकी पकड़ कमजोर होगी। सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी पीएम मोदी पर निशाना साधा था। इससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि विदेशों में भारत की छवि को धूमिल करने की साजिश जोरों शोरों से चल रही है। इन बयानों के आधार पर जॉर्ज सोरोस ने न केवल प्रधानमंत्री मोदी पर हमला किया, बल्कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी निशाना बनाया। लेकिन इस साजिश और देश के हित के बीच प्रधानमंत्री मोदी खड़े है। भारत देश ने पहले भी विदेशी ताकतों को हराया है और आगे भी हराएंगे।
इससे अब यह तो स्पष्ट हो गया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट भारत में कुछ गिने-चुने लोगों द्वारा लिखी गई साजिश है। जाहिर तौर पर जॉर्ज सोरोस जैसे लोगों की इसमें अहम भूमिका थी। विपक्षी का भारत से नफरत एक बार के लिए सोच भी सकते है पर भारत के ही विपक्षी गुट द्वारा इस तरह की साजिश यह समझ से परे है। इस तरह के लोगों ने शायद भारत को कभी अपना माना ही नहीं। भारत में कई नेता है जो विदेशों में जाकर भारत को सम्मान देने के बजाय भारत को ही बदनाम करने का प्रयास करते है। वास्तव में अदानी तो बहाना है वास्तविक निशाना इन विरोधी गुट का पीएम मोदी पर है कि किस तरह से उन्हें सत्ता से हटाया जाए। यह साजिश आज की नहीं बल्कि कई सालों से चल रही है। पर वो कहते है ना हमें अपने कर्मों का फल इसी जन्म में भोगना पड़ता है यह उन विरोधी लोगों पर सटीक बैठता है जो भारत को गिराने का प्रयास कर रहे है। अदानी ग्रुप एकलौता नहीं जिसे विदेशी स्तर पर इस तरह के विरोध को झेलना पड रहा है बल्कि इससे पहले भी कई कारोबारियों को इस तरह के विरोध से गुजरना पड़ा लेकिन वह सभी अतीत के पन्नों में गुम हो गए है। न्यूज पेपर ‘The Sunday Guardian’ में जो कुछ भी बताया है उस पर विश्वास करने का मन करता है। उम्मीद है कि इस न्यूज पेपर में भारत के विरोध में जिस साजिश की बात की गई है, उस साजिश में शामिल सभी की वास्तविक तस्वीर भी जल्द ही सबके सामने आएगी।
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