महाराष्ट्र में जैसे-जैसे आगामी लोकसभा और विधान सभा की तारीखें नजदीकी आती जा रही हैं महाराष्ट्र की राजनीतिक समीकरण और उसके दांव-पेंच को लेकर राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां जनता के बीच सीधे संवाद की कोशिश करती दिखाई दे रही हैं| अब देखना होगा कि मतदाता अगली सत्ता की बागडोर किसके हाथ में सौंपना चाहेगी| फ़िलहाल अभी तक वोटरों के मूड को भांपना थोड़ा मुश्किल सा दिखाई दे रहा है|
नमस्कार, मैं आर एन सिंह आप देख रहे हैं न्यूज डंका, न्यूज डंका में आपका स्वागत है| दोस्तों आज हम बात करेंगे देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुंबई यानि महाराष्ट्र की आगामी होने वाली चुनावों को लेकर राज्य की सभी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए अभी से सिलसिलेवार जिले-दर-जिले का दौरा करना शुरू किये हुए हैं| रैलियां, जुलुस, जनसभाओं के माध्यम से सभी ये पार्टियां अपना दमखम दिखाती दिखाई दे रही हैं| दोस्तों आपको बता दूँ कि इसी बीच मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम की वर्षगांठ के मौके पर छत्रपति संभाजीनगर में हुई राज्य कैबिनेट की विशेष बैठक में करीब 46 हजार करोड़ के पैकेज को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि इससे सत्तारूढ़ भाजपा, शिंदे की शिवसेना को कितना फायदा होगा| आगामी लोकसभा चुनाव में सेना शिंदे समूह और राकांपा का अजीत पवार समूह भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगी।
वही आपको बता दूँ कि मराठवाड़ा में आठ लोकसभा सीटें हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा -शिवसेना गठबंधन ने सात सीटें जीती थीं, जबकि एमआईएमआई ने एक सीट जीती थी| गठबंधन में सात में से चार सीटों पर भाजपा और तीन सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की| शिवसेना और एनसीपी के बीच विभाजन के बाद मराठवाड़ा में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
शिवसेना में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट एक-दूसरे का समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं| इसी तरह, एनसीपी में भी पार्टी के नेता शरद पवार और अजित पवार के चाचा-भतीजे गुटों के बीच बिखरे हुए हैं। बंटवारे के बाद तीनों में से एक शिवसेना परभणी के संजय जाधव और उस्मानाबाद के ओमराजे निंबालकर उद्धव ठाकरे गुट के साथ हैं| हिंगोली के हेमंत पाटिल ने एकनाथ शिंदे का समर्थन किया|
भाजपा, शिंदे और अजीत पवार समूह का मुख्य टारगेट राज्य से अधिक से अधिक लोकसभा सीटें जीतना है। भाजपा ने मराठवाड़ा की सभी आठ सीटें जीतने पर जोर दिया है| छत्रपति संभाजीनगर में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा, शिवसेना ठाकरे समूह और एमआईएमआई के बीच त्रिकोणीय लड़ाई से किसे फायदा होता है।
परभणी में ठाकरे गुट अपना वर्चस्व कायम रखने की कोशिश कर रहा है| जालना को केंद्रीय राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे का गढ़ माना जाता है। यह देखना उत्सुक है कि क्या अशोक चव्हाण नांदेड़ में अपनी पिछली हार की भरपाई करेंगे। क्या सांसद प्रीतम मुंडे को बीड से दोबारा उम्मीदवारी मिलेगी या बदल जाएगा उनका चेहरा? कई जटिल प्रश्न हैं|
दोस्तों आपको बता दूँ कि कैबिनेट बैठक में सिंचाई, नदी जोड़ो जैसी विभिन्न परियोजनाओं के लिए प्रावधान किये गये हैं| कृष्णा बेसिन से मराठवाड़ा को 21 टीएमसी पानी उपलब्ध कराने का मामला पिछले 15 वर्षों से रुका हुआ है। नदी जोड़ो परियोजना पर वर्षों से चर्चा होती रही है। यह पैकेज कितने वर्षों में चरणों में लागू किया जाएगा यह सवाल भी महत्वपूर्ण है। शीतकालीन सत्र के दौरान विदर्भ के विकास कार्यक्रम की घोषणा की जाती है।
साथ ही मराठवाड़ा के लिए भी कार्यक्रम की घोषणा की गई है,लेकिन फंड कैसे मुहैया कराया जाएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है| विकास कार्यों पर खर्च कम हो रहा है| ऐसे समय में हालांकि 46 हजार करोड़ के विकास कार्यों की घोषणा की गई है, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष में कितनी धनराशि खर्च की जाएगी और विकास को लेकर किसी परियोजनाओं की घोषणा नहीं की गई है।
इसी बीच राज्य सरकार ने एक बड़े पैकेज का ऐलान कर मराठवाड़ा के लोगों को फायदा पहुंचाने पर जोर दिया है| भाजपा और सहयोगी पार्टियां पैकेज के जरिए प्रचार करेंगी, लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कितना धन उपलब्ध कराया जाता है और कितना काम किया जाता है।
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