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Sunday, November 24, 2024
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संजय की गिरफ्तारी और I.N.D.I.A की नाकामी, एकता का दावा फुस्स !      

इंडिया" गठबंधन दावा करता है कि उसके साथ आने वाले सभी राजनीति दल एकजुट है। लेकिन, वर्तमान में देखा जा रहा है कि कई मुद्दों पर विपक्षी गठबंधन बंटा हुआ नजर आ रहा है।

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“इंडिया” गठबंधन दावा करता है कि उसके साथ आने वाले सभी राजनीति दल एकजुट है। लेकिन, वर्तमान में देखा जा रहा है कि कई मुद्दों पर विपक्षी गठबंधन बंटा हुआ नजर आ रहा है। विपक्ष का यह दावा तब फुस्स हो गया, जब आम आदमी पार्टी यानी आप के नेता और सांसद संजय सिंह को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया। मगर, इस संबंध में विपक्षी गठबंधन के रवैया को देखकर आश्चर्य होता है कि इसके नेताओं ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन नहीं किया।

ऐसा लगता है कि “इंडिया” गठबंधन में शामिल सभी दल हम साथ साथ है का केवल दिखावा कर रहे हैं। “इंडिया” गठबंधन कैसे संजय सिंह की गिरफ्तारी को भुना नहीं पाया। विपक्ष चाहता तो सरकार को अपना इरादा बदलने पर मजबूर कर सकता था, लेकिन ऐसा नहीं कर पाया। यह गिरफ्तारी उसके लिए एक बड़ा मौक़ा था।

“इंडिया” गठबंधन के लिए संजय सिंह की गिरफ्तारी एक झटका माना जा रहा है। क्योंकि  संजय सिंह कई मंचों पर “इंडिया” गठबंधन की जोरदार वकालत की है। आप ने भी संजय सिंह की गिरफ्तारी को इंडिया गठबंधन पर हमला बताया। लेकिन, भ्रष्टाचार के मामले में संजय सिंह की गिरफ्तारी आप और विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ा झटका है। इसके जरिये विपक्षी गठबंधन एनडीए के खिलाफ माहौल बन सकता था। लेकिन, विपक्षी गठबंधन में शामिल सभी दल अपने अपने स्वार्थ में लगे हुए हैं। यही वजह है कि सामूहिक एकता की बात करने वाले नेता संजय सिंह की गिरफ्तारी के दौरान खानापूर्ति करते देखे गए। यह बात सही है कि विपक्षी गठबंधन में शामिल कई राजनीति दलों के नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप है। कई तो जमानत पर है। ऐसे में उनका डर और बेमन से दिए गए बयान के मायने समझे जा सकते हैं।

गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी का तगमा हासिल कर चुकी कांग्रेस इस मामले में 24 घंटे बाद प्रतिक्रिया देती है, वह भी नपा तुला। इस मौके पर कांग्रेस का यह डर ही था, जो कि उसे इस पर खुलकर बोलने से रोका। जबकि,कांग्रेस कहती है कि डरना मना है। कांग्रेस के डर का मतलब एक ही पहलू पर आकर नहीं टिकता है, बल्कि उसके वजूद, भविष्य, राजनीति से बेदखली भी इसमें शामिल है। कांग्रेस कभी बड़ा भाई नहीं बन पाई और न ही उसमें वह त्याग की प्रवृति है। हां, कांग्रेस के बयानों और भाषणों में त्यागा, बड़ा दिल या बड़ा भाई जैसे शब्द सुने जाते हैं। लेकिन, हकीकत से वह कोसो दूर है। इसके उल्ट अगर बीजेपी की बात करेंगे तो, वह त्याग या बड़े भाई का फर्ज निभा चुकी है। कई राज्यों में सबसे ज्यादा विधायकों की संख्या होने पर भी अपने सहयोगियों को मुख्यमंत्री बनाया। बहरहाल यह हमारा मुद्दा नहीं है।

एक बार फिर हम अपने असल मुद्दे पर आते हैं। कहा जा रहा है कि संजय सिंह की गिरफ्तारी पर कांग्रेस का नपा तुला बोलना बदले की भावना है। पंजाब में कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी से पार्टी खुश नहीं थी। हालांकि, गठबंधन में रहने की वजह से कांग्रेस ने इस मामले को तूल नहीं दिया, लेकिन राज्य के नेताओं में आप के खिलाफ रोष है। यह तो बात रही कांग्रेस की, गठबंधन में शामिल अन्य राजनीति दलों ने भी संजय सिंह की गिरफ्तारी पर आक्रोश नहीं दिखा पाए और न ही सरकार पर किसी प्रकार का दबाव बना पाए।

जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि “इंडिया” गठबंधन एक मौक़ा चूक गया। इस मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन सरकार को घेर सकता था। तो कहा जा सकता है कि खैरा की गिरफ्तारी का असर संजय सिंह की गिरफ्तारी देखने को मिला है। वैसे, खैरा की गिरफ्तारी पर बीजेपी ने भी आप को घेरा और पूछा कि जब खैरा की गिरफ्तारी कानूनसमत है तो सिंह की गिरफ्तारी पर हाय तौबा क्यों ? बीजेपी इस मुद्दे पर बाजी मार ले गई और विपक्ष देखता रह गया। बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है। कहा जा सकता है कि विपक्ष बीजेपी के उस सवाल से बचता रहा कि यही नजरिया खैरा के लिए क्यों नहीं अपनाया गया। कानून सबके लिए बराबर है। तो संजय सिंह की गिरफ्तारी पर क्यों सवाल खड़ा किया जा रहा है ?

वैसे,कांग्रेस इससे पहले भी आप नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर चुप्पी साध रखा था।  हालांकि उस समय “इंडिया” गठबंधन अस्तित्व में नहीं आया था। इतना ही नहीं, विपक्ष के कई नेताओं ने मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर पीएम मोदी को पत्र भी लिखे थे। लेकिन कांग्रेस के किसी भी नेता का इसमें हस्ताक्षर नहीं था। हां, सिसोदिया की गिरफ्तारी पर दिल्ली कांग्रेस ने  पोस्टर जरूर लगाया था। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि आप के समर्थन में इंडिया गठबंधन के नेता क्यों नहीं आये ? एकजुटता क्यों नहीं दिखाए, उन्होंने सामूहिक आंदोलन या बंद की अपील क्यों नहीं की। इसके क्या कारण थे? क्या आप का अन्य पार्टियों के अलग नजरिया  रखना है, या सभी दलों का अपना हित है। कई मौकों पर आप का एकला चलो भी कारण हो सकता है।

संजय सिंह की गिरफ्तारी से विपक्ष की कमजोर कड़ी खुलकर सबके सामने आ गई। कहा जा सकता है कि विपक्ष का एकता का दावा केवल हवाहवाई है। एक रिपोर्ट की माने तो “इंडिया” गठबंधन में शामिल ऐसे 8 राजनीति दल है जिनके बड़े नेता ईडी या सीबीआई के रडार पर हैं। जबकि पांच राजनीति दलों के दूसरे नंबर के नेता भी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। जैसे  टीएमसी के नेता अभिषेक बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उद्धव गुट के संजय राउत ,एनसीपी से जयंत पाटिल के नाम प्रमुख है। कांग्रेस में खुद सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे शामिल है।

बहरहाल, इंडिया गठबंधन सरकार के खिलाफ माहौल बनाने से चूक गया। विपक्ष चाहता तो इस संबंध में एक बैठक कर इसके खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर सकता था। या इसके खिलाफ शहर शहर विरोध प्रदर्शन कर सकता था। भारत बंद भी बुला सकता था। कहा जा सकता है कि इंडिया गठबंधन, एनडीए गठबंधन से आगे निकलने और माहौल बनाने में नाकाम रहा। जो विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है।
 

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