गांधी परिवार पर DK को नहीं भरोसा? कांग्रेस यहां उलझी! 

कर्नाटक सीएम के लिए डीके शिवकुमार ने ढाई -ढाई साल का  फॉर्मूला लाया। लेकिन उन्होंने कहा कि इसकी सार्वजनिक घोषणा की जाए और पहले टर्म में मै सीएम बनूंगा।      

गांधी परिवार पर DK को नहीं भरोसा? कांग्रेस यहां उलझी! 

कर्नाटक में सीएम का चुनाव होते होते रह गया है। कांग्रेस ने एक बार फिर सिद्धारमैया पर दांव लगाई थी। लेकिन अंदरखाने में बीरबल की खिचड़ी पकने की वजह यह मामला टल गया है। जिसकी वजह से तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। सबसे बड़ी बात यह कि कांग्रेस के लिए हमेशा संकटमोचन की भूमिका रहे डीके शिवकुमार को किनारे लगा दिया गया। राजनीति के दांव पेंच में शिवकुमार सीएम बनते-बनते रह गए हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर शिवकुमार सिद्धारमैया से पिछड़ कैसे गए। वह कौन सी वजह रही की शिवकुमार सीएम कुर्सी उनसे दूर चली गई। गौरतलब है कि कांग्रेस के लिए हर मौके पर खड़ा होने वाले शिवकुमार हर पार्टी के धरना प्रदर्शन में देखे जाते रहें है। लेकिन, कांग्रेस को मां बताने वाले शिवकुमार की भावनाओं पर राजनीति भारी पड़ गई है।

वहीं, कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाल ने कहा कि अभी सीएम को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया। जबकि, इससे पहले खबर आई थी की सिद्धारमैया कर्नाटक के सीएम होंगे। वहीं कर्नाटक में सिद्धारमैया के सीएम बनाये जाने की खबर के बाद उनके आवास पर फटाके फोड़े गए। इन तमाम बातों के बीच आशंका है कि सिद्धारमैया को ही सीएम बनाया जाएगा। तो आइये जानते हैं कि आखिर वे कौन से कारण है जो डीके शिवकुमार के खिलाफ जा सकता है।

गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ कांग्रेस खुश है। लेकिन, वह इसे एक अवसर की तरह देख रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की कर्नाटक में सीएम पद के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार सिद्धारमैया है। डीके शिवकुमार दूसरे नंबर हैं। इसके कई वजह हैं। जबकि शिवकुमार पार्टी के लिए हर समय संकटमोचन की भूमिका में खड़े रहे हैं। इसके बावजूद शिवकुमार को कांग्रेस ने डिप्टी सीएम का ऑफर दिया है। लेकिन उन्होंने इसे इंकार कर दिया। कहा जा रहा है कि इसके साथ ही कांग्रेस आलाकमान ने शिवकुमार को उनके करीबियों को मंत्री बनाये जाने का भी ऑफर दिया।

मगर, शिवकुमार अपनी बात पर अड़े हुए हैं। देखना होगा कि कब तक शिवकुमार अपनी बात पर टिके रहते हैं। क्योंकि, शिवकुमार ने दो दिन पहले कहा था कि वे धोखा नहीं देंगे ,वे पीठ में चुरा नहीं घोंपेंगे। इतना ही नहीं शिवकुमार ने कहा था कि पार्टी उनके लिए मां के समान है। इससे पहले भी शिवकुमार इमोशनल कार्ड खेल चुके हैं। लेकिन, कांग्रेस शिवकुमार के बात से इमोशनल नहीं हुई, बल्कि पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए गुणा गणित लगाने में लगी और सबकुछ सिद्धारमैया के पाले में जाते हुए नजर आ रहा है।

दरअसल, कर्नाटक में जीत के बाद उत्साहित कांग्रेस अब 2024 के लोकसभा चुनाव पर नज़ारे गड़ाए हुए हैं। यहां वह जाति समीकरण को बनाए रखने के लिए सिद्धारमैया को सीएम बनाना चाहती है जिससे वह आगामी लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को मात दे सके। लेकिन क्या कांग्रेस ऐसा कर पाएगी यह भी बड़ा सवाल है क्यों अभी तक तो देखा गया है कि कर्नाटक में कांग्रेस की  सत्ता होने पर भी बीजेपी ज्यादा सीटें जीती है। कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता होने पर भी बीजेपी को लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीती है। बता दें कि कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें है। जिस पर पिछले चुनाव में बीजेपी ने 25 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस और जेडीएस ने एक एक सीट पर कब्जा जमाया था। जबकि एक सीट पर एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी। वहीं एक सर्वे में दावा किया गया है कि को 15 से 17 सीटें लोकसभा चुनाव में मिल सकती हैं। यानी पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो रहा है। यह आंकड़ा जनता पोल से सर्वे अनुसार है।

वहीं, कांग्रेस लोकसभा चुनाव को गंभीरता से ले रही है। यही वजह है कि सिद्धारमैया के जरिये कांग्रेस दलित,पिछड़ा और आदिवासी को साधने में लगी है। बताया जाता है कि सिद्धारमैया की इन समुदायों में अच्छी पकड़ है। इसलिए कांग्रेस शिवकुमार की जगह सिद्धारमैया को तवज्जो दे रही है। इसके अलावा सिद्धारमैया कर्नाटक में जाना माना नाम है। वर्तमान में उनके पास विधायकों का ज्यादा समर्थन भी है। इसके साथ उनका गांधी परिवार से अच्छा संबंध है। अच्छा संबंध तो शिवकुमार का भीं है लेकिन सबसे बड़ी पार्टी की दुविधा उनके खिलाफ अपराधी केस हैं। जो सबसे मुसीबत बने हुए हैं। शिवकुमार पर आय से अधिक सम्पत्ति रखने का भी आरोप है।

इसी वजह से कांग्रेस नहीं चाहती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी पर भ्रष्ट सीएम बनाये जाने का आरोप लगे। क्योंकि कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा था। जो राज्य में बड़ा मुद्दा बन गया था। माना जा रहा है कि अब फिर कांग्रेस उसी मुद्दे में उलझना नहीं चाहती है। कांग्रेस चाहती है कि कर्नाटक का सीएम कुरुबा जाति हो। सिद्वारमैया भी कुरुबा जाति से ही आते हैं। इसके आलावा सिद्धारमैया को सरकार चलाने का अनुभव है। वे 2013 से लेकर 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री की कमान संभाल चुके हैं। वहीं, कहा जा रहा है कि शिवकुमार चाहते हैं कि कांग्रेस जो दो और तीन साल का फार्मूला लाई है।

वह ढाई ढाई साल का होना चाहिए। इतना ही नहीं, कांग्रेस आलाकमान सार्वजनिक रूप से यह ऐलान करे कि ढाई साल सिद्धारमैया सीएम रहेंगे, उसके बाद ढाई साल डीके शिवकुमार। लेकिन पार्टी इसे आंतरिक मामला मानती है। इसलिए वह ऐसा शायद ही करेगी। गौरतलब है कि राजस्थान और छत्तीसग़ढ में भी इसी फार्मूले पर अशोक गहलोत राजस्थान में सीएम बने। लेकिन बाद में उन्होंने सचिन पायलट को सत्ता सौंपने से इंकार कर दिया। इसी तरह छत्तीसगढ़ में हुआ है सीएम भूपेश बघेल ने टीएस सिंह देव को सत्ता नहीं सौंपी है और दोनों राज्यों में रार छिड़ी हुई है।

वहीं, कर्णाटक में कांग्रेस की जीत से ममता बनर्जी जैसी धुरविरोधी नेता भी अब पार्टी के साथ आने की बात कर रही है। जबकि ममता बनर्जी कुछ माह पहले उन्होंने ऐलान किया था कि वे लोकसभा का चुनाव अकेली लड़ेंगी। माना जा रहा है कि कर्नाटक की जीत की वजह से ममता बनर्जी ने अपना मन बदला है। इसके साथ अन्य राजनीति दल भी कांग्रेस को विपक्ष की मुख्य पार्टी मान रहे है, लेकिन क्या कांग्रेस इस रणनीति के जरिये लोकसभा चुनाव में कोई बड़ा करिश्मा कर पाएगी यह बड़ा सवाल है। कई सर्वे में दावा किया गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ही सत्ता में लौट रही है। बहरहाल, यह तो समय बताया कि आगे क्या होगा ?


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