UP भाजपा और मुख्यमंत्री योगी के लिए 2022 में चुनावी समर की स्थली है। पर 2022 की चर्चा से पहले हमें मई 2021 में भी जाना चाहिए, जब बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। तो निराशा हुई थी। लेकिन उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल नहीं, और न ही योगी ममता हैं। आलोचक उन्हें स्वेच्छाचारी और ध्रुवीकरण की छवि वाला बताते हैं, फिर भी भाजपा के कट्टर मतदाताओं में योगी की अपील मानो दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। हर फैसले के साथ उनपर लोगों का भरोसा बढ़ रहा है, भले ही उनके खिलाफ जितनी छींटाकशी हो। अनेक लोग मानते हैं कि योगी का विवादों से रिश्ता शाश्वत है। वे लोगों में निष्ठा जगाते हैं, तो शत्रुता भी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सामने वाला व्यक्ति किस तरफ है। विधानसभा चुनाव से पहले वे भाजपा के सबसे योग्य दावेदार नजर आ रहे हैं। उन्हें न सिर्फ अपने विकास के एजेंडे, बल्कि तेजतर्रार हिंदुत्व नेता की छवि का भी फायदा मिल सकता है। उत्तर प्रदेश का चुनावी मैदान भाजपा के लिए अपेक्षाकृत आसान है। यहां स्थानीय नेतृत्व की कमी नहीं है। बंगाल में पार्टी कोई ऐसा नेता तैयार नहीं कर सकी जो तृणमूल कांग्रेस की ‘दीदी’ को टक्कर दे सके। पर उत्तर प्रदेश में भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति के पोस्टर बॉय योगी ने खुद सामने आकर मोर्चा संभाल रखा है।
2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने किसी को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने से परहेज किया था। चुनाव में 403 सीटों में से 312 सीटें जीतने के बाद ही BJP ने गोरखपुर के सांसद और गोरखनाथ मठ के योगी आदित्यनाथ को गुड गवर्नेंस का सपना साकार करने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया। यह जानबूझकर खेला गया जुआ था जिस पर राजनीतिक हलकों में शुरू में काफी संशय था। योगी तब तक गोरखपुर से लगातार पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके थे, लेकिन उनका कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं था। उनकी छवि बस भाजपा के हिंदुत्व ब्रिगेड के एक नेता के रूप में थी। आज उनकी वह छवि तो बरकरार है ही, उनके समर्थक यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास को फास्ट ट्रैक पर लाकर योग्य प्रशासक की छवि भी बनाई है। उन्होंने लीक से हटकर ‘एक जिला एक उत्पाद’ जैसी योजना शुरू की। चाहे अपराध और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति हो, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो या किसानों, युवाओं और महिलाओं की हालत सुधारना हो, वे हमेशा उत्तर प्रदेश के विकास की नई गाथा लिखते नजर आए। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर निखिलकांत शुक्ला 1998 में योगी के संसदीय क्षेत्र में बाढ़ के बाद उनके कार्यों को याद करते हुए कहते हैं, “वे उस समय युवा और अनुभवहीन थे, फिर भी उन्होंने बाढ़ ग्रस्त इलाकों में राहत के लिए चौबीसों घंटे काम किया। उनके काम करने की शैली बदली नहीं है।
महत्वपूर्ण फैसले लिए गए
एंटी रोमियो स्क्वाड
2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं से छेड़खानी रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया, लेकिन जल्दी ही इसे लेकर विवाद शुरू हो गया। पुलिस पर सार्वजनिक जगहों पर जोड़ों को परेशान करने के आरोप लगने लगे
एंटी लव जिहाद कानून-योगी सरकार ने विवादास्पद उत्तर प्रदेश अवैध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2020 को लागू किया। इसे एंटी लव जिहाद कानून भी कहा जाता है। अब शादी के लिए धर्म परिवर्तन करने से पहले जिला मजिस्ट्रेट की स्वीकृति जरूरी है
अवैध निर्माण गिराना-योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधि निषेध कानून 1986 में संशोधन करके हाइप्रोफाइल माफिया और आपराधिक इतिहास वाले नेताओं की संपत्ति जब्त करने या गिराने का काम शुरू किया
मेगा फिल्म सिटी-ग्रेटर नोएडा में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने की योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना है। लेकिन इसने उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने ला खड़ा किया है। कहा जा रहा है कि योगी बॉलीवुड को मुंबई से उत्तर प्रदेश शिफ्ट करना चाहते हैं
एक जिला एक उत्पाद-यह योगी की सबसे प्रिय योजनाओं में एक है। इसमें हर जिले में कम से कम एक उत्पाद को बढ़ावा दिया जाता है। न सिर्फ आर्थिक मदद दी जाती है, बल्कि स्थानीय कारीगरी को भी सरकार का संरक्षण मिलता है
एयर कनेक्टिविटी-जब योगी मुख्यमंत्री बने तब प्रदेश में सिर्फ दो एयरपोर्ट चालू थे, अब आठ हैं। आजमगढ़, श्रावस्ती, सोनभद्र, चित्रकूट, ललितपुर समेत 16-17 और एयरपोर्ट पर काम चल रहा है
मेडिकल कॉलेज-2016-17 में उत्तर प्रदेश में 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे। योगी सरकार 30 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज का निर्माण कर रही है। बाकी बचे जिलों में सरकारी-निजी भागीदारी पर मेडिकल कॉलेज बनेंगे।