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Saturday, November 23, 2024
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जितनी आबादी, उतना हक़, कांग्रेस का जुमला!     

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 144 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन इसमें ओबीसी की संख्या बीजेपी से भी कम है।  

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस के “कपड़ा फाड़ राजनीति” की खूब चर्चा है। इस पर बीजेपी,कांग्रेस पर तंज कस रही है। वहीं, कहा जा रहा है कि कांग्रेस जितना ओबीसी और जाति सर्वे को लेकर शोर मचा रही है। उतनी उसके प्रति गंभीर नहीं है। दरअसल, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 144 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन इसमें ओबीसी की संख्या बीजेपी से भी कम है। अब केवल छियासी सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा जाना बाकी है।

गौरतलब है कि, राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने वाले बिल को लेकर संसद में राहुल गांधी ने खूब शोर मचाया था। संसद में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि देश के कुल सेक्रेटरीज में से सिर्फ तीन प्रतिशत ओबीसी के  है। राहुल गांधी ने इसी आधार पर महिला आरक्षण में पिछड़ी जाति की महिलाओं को कोटे में कोटा की मांग कर रहे हैं। अभी जाति जनगणना और जिसकी जितनी आबादी, उतना हक़ देने की मांग राहुल गांधी और कांग्रेस कर रही है। क्या यह संभव है ? यह बड़ा सवाल है। लेकिन अब कांग्रेस के कथनी करनी को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस और राहुल गांधी केवल पिछड़ी जाति को लेकर राजनीति कर रहें है। लेकिन पार्टी ही ओबीसी के दर्द को भूल गई है।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि, जिस भी राज्य में कांग्रेस की  सरकार बनेगी। वहां जाति जनगणना कराया जाएगा। इसी आधार पर कांग्रेस ने जब मध्य प्रदेश  में अपना घोषणा पत्र जारी किया तो, उसमें जाति जनगणना का वादा किया गया है। कांग्रेस के वादे पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस जितना जोर शोर से इस मुद्दे को उठाया। उतने ही तेजी से इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल भी दिया। दरअसल, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के 144 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। लेकिन, जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी के नारे को दरकिनार कर दिया है।

सवाल यह है कि, आखिर मध्य प्रदेश में पिछड़े वर्ग की कितनी आबादी है। तो नौकरियों में आरक्षण के एक मामले में मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में एक आंकड़ा पेश किया था। जिसमें बताया गया है कि 50. 09 प्रतिशत आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है। यह आंकड़ा 2021 में ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोशियन के अधिवक्ता परमेश्वर ठाकुर के हवाले से मीडिया में प्रकाशित किया गया था । इस आंकड़े के अनुसार कहा जा सकता है कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को लगभग 50 प्रतिशत टिकट देना चाहिए। लेकिन क्या कांग्रेस जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी पर आगे बढ़ेगी।

यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस इस पर गंभीरता से विचार करेगी। क्योंकि, राजनीति में जो कहा जाता है वह होता नहीं है और जो नहीं कहा जाता है वह जरूर होता है। इसी तर्ज पर कांग्रेस सत्ता पाने के लिए आगामी चुनाव में ओबीसी कार्ड खेल रही है और जाति सर्वे कराने की बात कह रही है। आगामी चुनाव में ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देने से कन्नी काट रही है।कांग्रेस के लिए एक मौक़ा था कि वह मध्य प्रदेश के चुनाव में 50 प्रतिशत टिकट ओबीसी के उम्मीदवारों को देती। लेकिन ऐसा नहीं कर, कांग्रेस ने यह मौक़ा गंवा दिया। कांग्रेस ने यहां अपने बयान के उलट काम किया है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के चुनाव में अभी तक सबसे अधिक टिकट सवर्णों को दिया है। अभी तक मध्य प्रदेश में 144 उम्मीदवारों की सूची कांग्रेस ने जारी की है। जिसमें 52 प्रत्याशी  सवर्ण समुदाय से आते हैं। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि कांग्रेस के कथनी करनी में बड़ा अंतर है। इसमें 22 ठाकुर, 18 ब्राह्मण, 5 जैन और 7 अन्य सवर्ण हैं। जबकि अभी तक मात्र उनतालीस उम्मीदवार ही  पिछड़े वर्ग से हैं। 30 सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार तो 22 सीटों पर दलित समुदाय को टिकट दिया गया है।

ऐसे में कांग्रेस के सामने यह सवाल खड़ा होता है कि क्या वह जितनी आबादी, उतना हक़ का नारा बुलंद कर पाएगी। महिलाओं की बात करने वाली कांग्रेस 144 उम्मीदवारों में से मात्र 19 महिलाओं को टिकट दिया है। जबकि, संसद में इसी साल 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी पर मुहर लग चुकी है। हालांकि, यह कानून अभी लागू नहीं हो पाया है। लेकिन, कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को टिकट देकर एक उदाहरण तो पेश कर ही सकती थी। वैसे  अभी  छियासी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाने है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस इनमें  महिलाओं और पिछड़ों का प्रतिनिधत्व बढ़ायेगी। यह तो समय के गर्भ में है। यह भी देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी जो कहते हैं उसे क्या कांग्रेस जस का तस लागू कर पाती है या  नहीं। या फिर कांग्रेस का  “जितनी आबादी ,उतना हक़” जुमला बन कर रह जाएगा ?

अब सवाल यह रह जाता है कि, बीजेपी ने मध्य प्रदेश में कितने पिछड़े उम्मीदवार उतारे हैं। तो अभी तक बीजेपी ने 136 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। जिसमें से 40 प्रत्याशी पिछड़ा वर्ग से है। इस लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ती नजर आ रही है। बीजेपी यहां खुद को ओबीसी का हितैषी बताती रही है। उसके चार मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से बनाये गए हैं।

 

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