अगर कांग्रेस के चाल और चरित्र को समझने की जरूरत है तो उसे चुनाव के समय अच्छी तरह से समझा और परखा जा सकता। कुछ शब्दों में कहा जाए तो “मुंह में राम, बगल में छुरी” कहावत कांग्रेस के साथ फीट बैठती है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का जाप करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने एक इंटरव्यू में गुरुवार को कहा कि बीजेपी राम मंदिर बनवाने का श्रेय न ले, क्योंकि राम मंदिर का ताला राजीव गांधी ने खुलवाया था। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राम मंदिर मुद्दा होगा ? क्या बीजेपी राम मंदिर का श्रेय ले रही है? क्या आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा छाया रहेगा।
कांग्रेस और उसके नेता अब सेक्युलर से हिन्दू बनने को ओर कदम बड़ा चुके हैं। कांग्रेस इस राह पर 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद चलना शुरू किया। शुरू में तो कांग्रेस में ही इसका विरोध हुआ, लेकिन, बाद में कांग्रेसी नेता इसलिए मान गए की नरेंद्र मोदी के सामने टिके रहना है तो हिंदुत्व का चोला पहना पड़ेगा। कांग्रेस नेताओं का मानना था कि अगर कांग्रेस हिंदुत्व के राह पर चलती है तो मुस्लिम वोटर नाराज हो जाएंगे। इसलिए कांग्रेस नेता बीच का रास्ता अपनाये और हर चुनाव में मंदिरों में हाजिरी लगाना शुरू किया। जो गांधी परिवार कभी मंदिर नहीं गया 2014 के बाद पूजापाठ और मंदिरों मठों में जाने लगा।
भले कांग्रेस नेताओं की भगवन में आस्था न हो लेकिन चुनाव मंदिरों का चक्कर जरूर लगाते हैं। जब चुनाव आता है तो कांग्रेस के नेता गेरुआ वस्त्र धारण कर मंदिर मंदिर का चक्कर लगाने लगते हैं और राम का नाम जपना शुरू कर देते हैं। देशवासी देखें होंगे कि कब-कब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मंदिरों में सिर झुकाया है। बहरहाल, यह जानते है कि राम मंदिर पर कमलनाथ ने क्या कहा है? आखिर उन्हें भगवान राम की जरुरत क्यों पड़ी।
दरअसल, गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कमलनाथ ने कहा कि “अयोध्या में राम मंदिर का ताला राजीव गांधी ने खोला था। हमें अपने इतिहास को भूलना नहीं चाहिए। राम मंदिर किसी एक पार्टी या व्यक्ति का नहीं है ये हमारे पूरे देश और हर नागरिक का है। बीजेपी राम मंदिर को अपनी संपत्ति को समझकर हड़पना चाहती है। वो सरकार में थे तो उन्होंने बनवाया, अपने घर से तो नहीं बनवाया है। इससे साफ़ हो गया कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा गरमा सकता है। जिस तरह से कमलनाथ ने राम मंदिर को मुद्दा बनाया है। उसे यह आशंका बढ़ गई है की मध्य प्रदेश में बीजेपी भी इस मुद्दे को लपक सकती है। हालांकि बीजेपी का इस मुद्दे पर बयान नहीं आया है। लेकिन माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस पहले महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाने पर जोर दे रही थी ,लेकिन अब वह भावनात्मक मुद्दों को उठाना चाहती है।
अब सवाल यह है कि आखिर राजीव गांधी ने राम मंदिर का ताला क्यों खुलवाया। जो कांग्रेस संशोधन कर संविधान में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी रखती है। वह, राम मंदिर का ताला क्यों खुलवाए ? कहा जाता है कि 1991 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए राजीव गांधी ने हिंदुत्व कार्ड खेला था। कांग्रेस के चरित्र और चाल दोनों शुरू से बिगड़े रहे हैं। कहने का मतलब साफ है की कांग्रेस ने हमेशा भारत की संस्कृति से खिलवाड़ किया है, जिसका स्वरूप आज तक बिगड़ा हुआ है। कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया मुस्लिम तुष्टिकरण लगातार चलता रहा है। जिसके कुचक्र में फंसकर देश पीछे चला गया। आज देश में धर्म जाति की राजनीति चरम पर है।
दरअसल, 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। लेकिन, राजीव गांधी ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे सरेंडर कर दिया था और उनके दबाव में 1986 में संसद में अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। जो धर्मनिरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टिकरण की रेखा को ही मिटा दिया। राजीव गांधी के इस फैसले से हिन्दू समाज नाराज हो गया था। जिसको संतुष्ट करने के लिए राजीव गांधी ने 1986 में ही राम मंदिर का ताला खोल दिया। जो वोट की राजनीति का सबसे अच्छा उदाहरण है। भले आज कमलनाथ यह कह रहे हों कि बीजेपी राम मंदिर बनाने का श्रेय ले रही है, लेकिन इतिहास गवाह है कि कभी भी कांग्रेस ने खुलकर राम मंदिर का समर्थन नहीं किया। कांग्रेस के नेता भले खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते रहे हैं, लेकिन सही मायने में वे हिन्दू विरोधी रहे हैं। वोट के लिए कांग्रेस नेता दोगली नीति अपनाते रहे हैं।
कमलनाथ मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए हर हथकंड़ा अपना रहे हैं जो कांग्रेस को जीता सके। कमलनाथ खुद को सबसे बड़ा हनुमान भक्त भी बताते हैं। इससे पहले शायद ही किसी सार्वजनिक मंच से कमलनाथ अपने धर्म से जुडी बात को बोला हो। लेकिन, मोदी सरकार आने के बाद से हर कांग्रेसी अपना हिन्दू प्रेम दिखाने लगा है। इससे पहले खुद राहुल गांधी या प्रियंका गांधी ने कभी भी मंदिरों में देखे नहीं गए। पर आज दोनों नेताओं को हिन्दू प्रेम का ढोंग रचते हुए देखा जा सकता है। वैसे अभी तक देखा गया है कि कांग्रेस ने राम मंदिर का विरोध ही किया है।
कांग्रेस के नेता राम मंदिर के खिलाफ केस लड़ते रहे है। ऐसे में सवाल उठता है कि कमलनाथ किस मुंह से कह रहे हैं कि कांग्रेस राम मंदिर के पक्ष में है। आज जब मोदी सरकार के राज में राम मंदिर बन रहा है तो उसका श्रेय लेने को आतुर है। आज भी कांग्रेस नेता हिंदुत्व पर सवाल उठाते रहे हैं और हिंदुत्व की नई परिभाषा गढ़ते रहे हैं। एक समय था कि बीजेपी पर यह आरोप लगता था कि चुनाव के समय पार्टी के नेता राम मंदिर हिन्दू का मुद्दा उठाती है। अब कांग्रेस खुद को हिंदूवादी साबित करने के लिए भगवान राम का सहारा ले रही है।
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