-प्रशांत कारुलकर
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के तहत आने वाले आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 2023 में घटकर 3.1% हो गई है, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे कम है। यह दर 2022 में 3.6% और 2021 में 4.2% थी।
भारत में 2023 में बेरोजगारी दर में गिरावट के कई संभावित कारण हो सकते हैं, आइए उनमें से कुछ को देखें:-
आर्थिक गतिविधियों में तेजी: कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। कई कारोबार फिर से खुल गए हैं और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
सरकारी योजनाओं का असर: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई विभिन्न रोजगार सृजन योजनाओं का भी बेरोजगारी दर कम होने में योगदान हो सकता है। उदाहरण के लिए, कौशल विकास कार्यक्रमों से युवाओं को रोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है।
घर से काम करने का चलन: कोविड-19 के दौरान घर से काम करने का चलन बढ़ा है। इससे कुछ क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं, खासकर महिलाओं के लिए।
कृषि क्षेत्र में सुधार:अच्छे मानसून और कृषि सुधारों के कारण कृषि क्षेत्र में भी सुधार हुआ है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
आंकड़ों में बदलाव: यह भी संभव है कि आंकड़ों को इकट्ठा करने के तरीके में बदलाव के कारण बेरोजगारी दर कम दिखाई दे रही हो।
यह आंकड़ा बताता है कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बाद से रोजगार के हालात में सुधार हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लॉक डाउन हटने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से भी बेरोजगारी कम हुई है।
भारत में घटती बेरोजगारी दर निश्चित रूप से समृद्ध भविष्य की ओर एक सकारात्मक संकेत है। जब लोगों के पास रोजगार होता है तो उनकी आय बढ़ती है। बढ़ती आय से मांग में तेजी आती है, जिससे कंपनियां अधिक उत्पादन करती हैं और नए रोजगार पैदा करती हैं। यह एक सकारात्मक आर्थिक चक्र बनाता है जो आर्थिक विकास को गति देता है। साथ ही, रोजगार पाने वाले लोग न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं बल्कि बचत भी कर सकते हैं। इस बचत को वे भविष्य के निवेश में लगा सकते हैं, जिससे देश के बुनियादी ढांचे और उद्योगों का विकास होगा।
न्यूनतम बेरोजगारी दर शिक्षा और कौशल विकास पर भी बल देती है। रोजगार पाने के लिए जरूरी है कि कर्मचारियों के पास उद्योगों की मांग के अनुसार कौशल हों। सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा कौशल विकास पहलों को बढ़ावा देने से युवाओं को रोजगार के लिए तैयार किया जा सकता है। शिक्षा और कौशल विकास से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ते हैं बल्कि अर्थव्यवस्था भी अधिक नवीन और प्रतिस्पर्धी बनती है।
रोजगारों की गुणवत्ता और श्रमिकों को मिलने वाला वेतन भी महत्वपूर्ण है। साथ ही, आर्थिक विकास के लिए विदेशी निवेश, बुनियादी ढांचे का विकास और नवाचार को भी बढ़ावा देना होगा। कुल मिलाकर, कम बेरोजगारी दर भारत के विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
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