मोदी-ट्रम्प आएंगे, डीप स्टेट को डुबाएंगे!

मोदी-ट्रम्प आएंगे, डीप स्टेट को डुबाएंगे!

Modi-Trump will come and sink the deep state!

अमेरिका में जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान डीप स्टेट को बल दिया गया, जिसने आगे चलकर मोदी और भारत के राष्ट्रवाद को कमजोर करने के लिए अनेकों काम किए। इसी कारण से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए। जो-बिडेन ने भारत सरकार और मोदी को सताने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। अडानी समूह के विरुद्ध अमेरिका में मामले दर्ज किये, इसमें भी प्रधानमंत्री मोदी का नाम बदनाम किया गया, उनकी अमेरिका यात्राओं में खालिस्तानी समूहों को उनके सामने लाया गया,दरम्यान भारत के विभाजन के नारे लगवाए जाते रहे। बाइडन के डीप स्टेट ने बांग्लादेश में तख्तापलट करवाया, वहां हिंदूओं पर हिंसा को प्रोत्साहित किया। लेकीन अब वक्त बदल गया है…हवा ने रुख मोड़ लिया है…अमेरिका के राजगद्दी पर मोदी के दोस्त डोनाल्ड ट्रंप बैठे है, और आज मोदी अमेरिका में ट्रंप के साथ मिलकर भारत अमेरिका संबंधो की नींव रखने जा रहें है।

डोनाल्ड ट्रम्प के पिछले प्रशासन के दौरान भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार हुआ था। मोदी और ट्रम्प के बीच व्यक्तिगत संबंध भी उभर के सामने आए थे, दोनों ने साथ मिलकर चुनावी रैली भी की थी। लेकीन डोनाल्ड ट्रम्प के यह दूसरा कार्यकाल, उनके शपथग्रहण के दिन से ही अनेकों देशों के लिए भयकारक रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प टैरिफ लगाकर पूरी दुनिया को झुकाने पर तुले है। जिस प्रकार ट्रम्प ने चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर टैरिफ लगाया, उसी प्रकार से नीतिगत निर्णय के रूप में कुछ इम्पोर्टेड उत्पादों पर भी टैरिफ लगाया है, जिसमें भारत के स्टील और अल्युमिनियम पर भी 25 प्रतिशत का टैरीफ शामिल है।

ट्रंप ने अमेरिका में कार्यभार संभालने से पहले ही कुछ चीजों की घोषणाएं की थी, जिसमें अमेरिकी नागरिको के लिए बेहतर रोजगार के अवसर, अवैध अप्रवासियों से छुटकारा, और सबसे महत्वपूर्ण डीप स्टेट को ध्वस्त करने के वादे किए थे। इन्हीं वादों के अनुसार, ट्रंप ने शपथ लेते ही आश्वासनों को पूरा करने की ओर कदम उठाने शुरू किए। अमेरिकी उद्योगों बल को देने के लिए ही उन्होंने आसपड़ोस के देशों पर टैरिफ का लठ्ठ घुमाया है। अवैध अप्रवासियों उठा-उठाकर देश से बाहर फेंकने की कारवाई शुरू की और डीप स्टेट उखाड़ फेंकने के लिए एक ‘सरकारी दक्षता विभाग’ बनाकर उसे एलोन मस्क को सौंप दिया। हालांकि डीप स्टेट को ध्वस्त कर भारत को फायदा पहुंचाना ट्रम्प का लक्ष्य नहीं है, लेकीन ट्रंप के इस कदम से भारत का भी फायदा हो रहा है। डीप स्टेट और सीआईए की गतिविधियों को भारत में समाप्त करना मोदी और ट्रंप के दोस्ती पहला तोहफा होने जा रहा है।

 ट्रम्प यह बात जानते है की उन्हें दुनियां में अपनी छबि को मजबूत और मैत्रीपूर्ण दिखाना है तो भारतीयों को नाराज़ नहीं किया जा सकता। इसीलिए राष्ट्रपति ट्रम्प ने मोदी से मुलाकात के पहले ही जिस कानून के तहत अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में मामला दर्ज किया था, उस 1977 के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम को निरस्त  किया है।

मोदी से मुलाकात में डोनाल्ड ट्रम्प बड़ी चीजों की मांग ऱख सकते है, ट्रम्प मोदी से यूक्रेन-रशिया के युद्ध में तटस्थ भूमिका के साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प के वर्चस्व को प्रस्थापित करने के लिये मदद मांग सकते है। डोनाल्ड ट्रम्प मोदी से बड़े-बड़े रक्षा समझौतों की मांग रख सकते है। साथ ही ट्रम्प मोदी से चीन और ईरान पर नकेल कसने के लिए समझौते कर सकते है। खासकर ईरान की रिजीम को ट्रम्प बड़ा धक्का देने की तैयारी कर रहें है। ऐसे में भारत का अमेरिका के खिलाफ शांत होना अमेरिका के लिए जरुरी होगा। ट्रम्प मोदी पर एलोन मस्क की इंटरनेट कंपनी स्टरलिंक से प्रतिबंध हटवाने और टेस्ला पर टैरीफ़ कम करने की मांग तो कर लेंगे लेकीन इस पर प्रधानमंत्री मोदी की रजामंदी के लिए मोदी-मस्क मुलाकात से ही रास्ता निकलेगा, शायद मोदी मान जाएंगे। 

डोनाल्ड ट्रम्प प्रधानमंत्री मोदी को उनके गाजा ड्रीम के दौरान भारत की तटस्थता के लिए ऑफर कर सकते है, बदले में भारत जब pok में कारवाई करेगा तो अमेरिका खुली आंखो से देखता रहेगा। इसके बदले में अमेरिका से मणिपुर और नागालैंड के इलाकों में शांति बनाए रखने का आश्वासन भी मिल सकता है। 

बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट से भारत को और बंगलादेश में रहने वालें हिंदुओं को काफी तकलीफ से गुजरना पड़ा है, नतीजन मोदी इन सभी समझौतों के लिए शेख हसीना की सत्ता में वापसी और भारत से बांग्लादेशियों को भागने लिए अमेरिका का प्रोत्साहन जरूर मांगेंगे। इतना ही नहीं भारत ने हाल ही के बजट में सिविल न्यूक्लीयर एनर्जी के लिए नए अवसर निर्माण किए है, जिसमें अमेरिका से बड़े निवेशों को दावत दी जा सकती है।

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भारत-अमेरिका के संबंध डीप स्टेट को डिप सी में डुबाने के बाद मजबूत होंगे। साथ ही अमेरीका पर भारत का ट्रेड डेफिसिट कम करने के लिए भारत को अमेरिका से कुछ खरीदने की ज़िद तो ट्रम्प तो करेंगे ही, मगर वहीं भारत की जरूरतों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी भी बड़ी और अत्याधुनिक रक्षा सामग्री खरीदेंगे। कुल-मिलाकर मोदी-ट्रम्प की मुलाकात से दोनों देशों में व्यापार, रक्षा, और निवेश का फायदा होगा। लेकीन इस फायदे के लिए भारत में बैठे सीआईए के प्यादों की पनौती नहीं लगानी चाहिए।

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