हिंदी-अंग्रेजी ही नहीं, देश के सभी भाषाओं का हो सम्मान

हिंदी-अंग्रेजी ही नहीं, देश के सभी भाषाओं का हो सम्मान

कुछ दिनों पहले दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में मलयालम को लेकर एक विवादास्पद आदेश जारी किया गया था,अस्पताल की नर्सें केवल हिंदी या अंग्रेजी में ही बात करें, किसी दूसरी भाषा में नहीं, इसको लेकर भारी विवाद हुआ भाषा विवाद बढ़ता देख अस्पताल प्रशासन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा, आपको देश के हर कोने में केरल की नर्सें मिलेंगी और उन्हें हिंदी राज्यों में नौकरी करने में कोई असुविधा नहीं होती, वे अपनी बेहतरीन सेवा के लिए जानी जाती हैं। दक्षिण में केरल एक ऐसा राज्य है, जहां हिंदी को लेकर कोई दुराग्रह नहीं है, वहां त्रिभाषा फार्मूले के तहत हिंदी पढ़ाई जाती है और लोग उत्साह से इसे पढ़ते हैं, पर ऐसी घटनाओं से संदेश अच्छा नहीं जाता है, केरल की तुलना में दक्षिण के एक अन्य राज्य तमिलनाडु पर नजर डालें, तो पायेंगे कि उसका हिंदी से बैर खासा पुराना है।

कुछ माह पहले द्रमुक की सांसद कनिमोझी ने आरोप लगाया था कि हवाई अड्डे पर उन्हें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की एक अधिकारी ने हिंदी में बोलने को कहा था,कनिमोझी ने इसे भाषाई विवाद बना दिया था और ट्वीट कर कहा था कि कब से भारतीय होने के लिए हिंदी जानना जरूरी हो गया है,इस भाषाई विवाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम भी तत्काल कूद पड़े थे, इसको लेकर तमिलनाडु में राजनीति शुरू हो गयी थी और तत्कालीन द्रमुक अध्यक्ष और मौजूदा मुख्यमंत्री स्टालिन ने पूछा था कि क्या भारतीय होने के लिए हिंदी जानना ही एकमात्र मापदंड है? यह इंडिया है या हिंदिया है?तमिलनाडु के नेता त्रिभाषा फार्मूले के तहत हिंदी को स्वीकार करने को भी तैयार नहीं रहे हैं, वे हिंदी का जिक्र कर देने भर से नाराज हो जाते हैं, तमिल राजनीति में हिंदी का विरोध 1937 के दौरान शुरू हुआ था और देश की आजादी के बाद भी जारी रहा.सी राजगोपालाचारी ने स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया, तब भी भारी विरोध हुआ था।

तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री अन्ना दुरई ने तो हिंदी नामों के साइन बोर्ड हटाने को लेकर एक आंदोलन ही छेड़ दिया था, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत एम करुणानिधि भी शामिल रहे थे, कुछ समय पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी सिलसिलेवार ट्वीट किया था और कहा था कि हिंदी पॉलिटिक्स ने दक्षिण भारत के कई नेताओं को प्रधानमंत्री बनने से रोका,करुणानिधि, एचडी देवगौड़ा और कामराज इसमें प्रमुख हैं, जब से आइटी की पढ़ाई और नौकरी के लिए हिंदी भाषी राज्यों के हजारों बच्चे और कामगार दक्षिण जाने लगे, तब से दक्षिण राज्यों की उनकी जानकारी बढ़ी है, अगर आप बाजार अथवा मनोरंजन उद्योग को देखें, तो उन्हें हिंदी की ताकत का एहसास है, यही वजह है कि अमेजन हो या फिर फिल्पकार्ड उन सबकी साइट हिंदी में उपलब्ध है, हॉलीवुड की लगभग सभी बड़ी फिल्में हिंदी में डब होती हैं।

Exit mobile version