महाराष्ट्र में महान हस्तियों के नाम पर राजनीति बंद होने का नाम ही नहीं ले रही है। इससे पहले जहां राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी द्वारा शिवाजी महाराज को लेकर दिए गए बयान पर एनसीपी और विपक्षी पार्टियां राज्य की गठबंधन सरकार पर हमलावर थीं, वहीं अब बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अजित पवार को संभाजी महाराज को लेकर दिये बयान पर घेरना शुरू कर दिया है।
बता दें कि पिछले हफ्ते महाराष्ट्र विधानसभा में बोलते हुए अजित पवार ने कथित तौर पर कहा था कि, छत्रपति संभाजी महाराज धार्मिक नायक नहीं बल्कि स्वराज रक्षक थे। उनको धर्मवीर कहना गलत है। लेकिन अजित पवार होते कौन है यह तय करने वाले कि संभाजी महाराज धर्मवीर नहीं थे? धर्मवीर की उपाधि के तौर पर संभाजी राजे का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। छत्रपति संभाजी महाराज ने धर्म की रक्षा की। धर्म, स्वधर्म और हिन्दू धर्म की रक्षा की। औरंगजेब ने उन्हें क्यों मारा? संभाजी महाराज को धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने स्वदेश, स्वभूमि और स्वधर्म के लिए अपना बलिदान कर दिया। अजित पवार और उनके समान विचारधारा वाले लोग चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन इस सच को कोई नहीं टाल सकता कि छत्रपति संभाजी महाराज न केवल स्वराज रक्षक हैं, बल्कि वे धर्म के नायक भी हैं।
इसी कड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया कि मुगल बादशाह औरंगजेब हिंदू विरोधी नहीं था। अगर वो हिन्दू विरोधी होता तो बहादुर गढ़ यानी जिस जगह पर छत्रपती संभाजी महाराज की आँखें निकाली वहाँ मौजूद विश्वमंदिर को वह तोड़ देता। आव्हाड ने यह टिप्पणी तब की जब वह महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष और अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार के एक बयान का बचाव कर रहे थे। लेकिन फिर क्या उसके बाद आव्हाड के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया गया। आव्हान के बयान का शिंदे गुट और बीजेपी ने जमकर विरोध कर रहे है।
वहीं आव्हान के बयान पर महा विकास आघाडी के सहयोगी उद्धव गुट ने अपना कडा एतराज जताया है अम्बादास दानवे ने स्पष्ट किया कि इस मामले में उद्धव गुट और एनसीपी के विचार बिल्कुल अलग है। उद्धव ठाकरे गुट के इस रुख से महा विकास आघाडी के इन दोनों दलों में मतभेद और टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है। वहीं इस मामले में सफाई देते हुए शरद पवार ने कहा कि स्वराज रक्षक और धर्म वीर होने में कोई विरोध नहीं है। मेरे नजरिए से दोनों उपाधिया एक दूसरे के विरोधी नहीं है। इस बयान से यह तो स्पष्ट है कि उन्होंने अपने भतीजे के बचाव में इस तरह की टिप्पणी की है।
महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से आदर्शों पर टिप्पणी देने के कारण राज्यपाल कोश्यारी, चंद्रकांत पाटिल, मंगलप्रभात लोढ़ा, प्रसाद लाड को निशाना बनाया गया था। उन पर गंदे आरोप लगाए गए, अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। हालांकि सभी ने माफी मांगी। माफी मांगने के बावजूद माविया के नेता विरोध करते रहे। यानी इन नेताओं ने माविया को विरोध करने का जो मौका दिया था अब अजित पवार ने संभाजी राजे पर बयान देकर सारे किए कराए पर पानी फेर दिया है। वहीं एनसीपी के नेताओं को नहीं समझ रहा है कि अजित पवार के बयान पर क्या रुख अपनाए। पता नहीं अजित पवार का सोर्स ऑफ इनफार्मेशन क्या है, इतिहास से जुड़े किसी भी मुद्दे पर बोलने से पहले उनको थोड़ा रिसर्च कर लेनी चाहिए।
हालांकि मविया के विचारधारा समझ से परे है अगर देश के महापुरुषों, महाराष्ट्र के अपमान का विरोध माविया नेता करते है तो सोचनेवाली बात है कि भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने जब विनायक दामोदर सावरकर पर अंग्रेजों की मदद करने का आरोप लगाया।और एक चिट्ठी दिखाते हुए प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि सावरकर ने कारागार में रहने के दौरान अंग्रेजों के डर से माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी और अन्य समकालीन भारतीय नेताओं को धोखा दिया था। उस समय महा विकास आघाडी के नेता क्या सो रहे थे। वहीं पहले महा विकास आघाडी सरकार में दो नेताओं ने भी गलती की।दरअसल शिवसेना की उपनेता सुषमा अंधारे ने वारकरी पंथ को लेकर एक बेबाक बयान दिया था, जिससे उबरने के लिए शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने अजीबोगरीब बयान दिया कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। इन विवादों पर माविआ नेता क्यूँ शांत है यहाँ कोई विवाद क्यूँ नहीं?
वहीं अब इन मुद्दों को लेकर बीजेपी नेता नीतेश राणे ने एनसीपी नेतृत्व पर हमला बोलते हुए कहा कि, अपने चाचा यानी शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते हुए भतीजे अजित पवार का मानना है कि छत्रपति संभाजी महाराज ‘धर्मवीर’ नहीं थे। वहीं औरंगजेब के गुणगान को लेकर बीजेपी नेता नितेश राणे ने एनसीपी नेता विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड पर भी तंज कसा है। नितेश राणे ने जितेंद्र आव्हाड पर निशाना साधते हुए कहा है कि आव्हाड की टिप्पणी स्वाभाविक थी, क्योंकि एनसीपी नेता के शीर्ष नेतृत्व ने पहले ही मुगल शासक के गुण गाए हैं और वह अपने नेतृत्व के ख़िलाफ जा नहीं सकते।
नितेश राणे ने आव्हाड को संबोधित पत्र में कहा कि औरंगज़ेब ने संभाजी महाराज को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया, लेकिन छत्रपति एक इंच भी नहीं हिले और उन्होंने हिंदुओं के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। बीजेपी विधायक ने पत्र में औरंगजेब द्वारा नष्ट किए गए विभिन्न मंदिरों की एक सूची भी संलग्न की है। हालांकि स्वाभाविक है कि जितेंद्र आव्हाड द्वारा मुगल साम्राज्य में अंध विश्वास के कारण इस सच्चाई को भी नजरअंदाज किया जाएगा।
दरअसल औरंगज़ेब द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों में सोमनाथ मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, विश्वेश्वर मंदिर, गोविंददेव मंदिर, विजय मंदिर, भीमादेवी मंदिर, मदन मोहन मंदिर, चौसठयोगिनी मंदिर, एलोरा मंदिर, त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नरसिंहपुर मंदिर और पंढरपुर मंदिर शामिल हैं। नितेश राणा ने मुगल शासक द्वारा नष्ट किए गए केवल 13 प्रमुख मंदिरों को सूचीबद्ध किया है। उनके अलावा, कई अन्य छोटे मंदिरों को भी औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था।
सोचनेवाली बात है कि माविआ नेता खुद कुछ बोले तो वो चलेगा लेकिन कोई अन्य पार्टी के नेता यदि आदर्श पुरुषों को लेकर टिप्पणी करती है तो उनपर तंज कसा जाता है। क्यूँ आप देश चला रहे है जो किसी भी अन्य दल के नेता का विरोध प्रदर्शन करते रहते हैे लेकिन जब स्वयं पर बात आती है तो खुद को सुरक्षित रखने का प्रयास करते है। हालांकि नेता हो या आम जनता किसी को कोई हक नहीं कि वह आदर्श पुरुषों को लेकर किसी भी प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग करें। वहीं माविआ नेता गलतियों पर माफी ना मांगकर गलतियों को बढ़ावा देते है। इस तरह की विचारधारा से आपका खुद का नुकसान है। आम जनता को गुमराह करने की कोशिश ना करें। क्यूंकी जनता को पता है कि कौन नेता किस विचारधारा का है?
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